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भोपाल

बेलगाम होंगी निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटें! आयोग के नियंत्रण से फीस होगी बाहर

आयुर्वेद और होम्योपैथी के डॉक्टर (आयुष) भी दे सकेंगे एलोपैथी की दवा…

भोपालJul 26, 2019 / 03:33 pm

दीपेश तिवारी

medical students

भोपाल। मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न निजी मेडिकल कॉलेजों ( private medical college ) की 50 प्रतिशत सीटों की फीस अब जल्द ही बेलगाम हो सकती हैं। जबकि बाकी 50 प्रतिशत सीटों पर ही फीस ( Medical fee ) के नियंत्रण में रहने की उम्मीद है।

दरअसल देश में चिकित्सा शिक्षा का नए सिरे से नियमन करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019 (मेडिकल कमीशन बिल / National Medical Commission ) लोकसभा में पेश किया जा चुका है। विधेयक के जरिए सरकार चिकित्सा शिक्षा में बदलाव ( Medical Council of India ) करने जा रही है।

जिसका सीधा असर मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों पर भी पड़ेगा। बिल में प्रस्तावित आयोग निजी मेडिकल कॉलेजों ( private medical colleges ) और डीम्ड यूनिवर्सिटी की केवल 50प्रतिशत सीटों के लिए फीस तय कर सकेगा। जबकि बाकि 50 प्रतिशत सीटें नियंत्रण के बाहर होंगी।

प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में MP की स्थिति…
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में अभी 6 निजी मेडिकल कॉलेजों ( private medical colleges ) ही मान्यता प्राप्त है। ऐसे में ये नए नियम इन सभी 6 कॉलेजों पर लागू होंगे।

ऐसे समझें नया नियम…

इस नए कानून के जरिए पहले से भंग चल रही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ( MCI / एमसीआइ ) की जगह अब नेशनल मेडिकल कमीशन ( NMC / एनएमसी ) बनाया जाएगा।
यह विधेयक निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए फायदेमंद साबित होगा। बिल में प्रस्तावित आयोग निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड यूनिवर्सिटी की केवल 50प्रतिशत सीटों ( medical seats ) के लिए फीस तय कर सकेगा।
जबकि अब तक अधिकांश राज्यों में एक फीस नियामक समिति निजी कॉलेजों में सभी सीटों के लिए अधिकतम शुल्क की सीमा तय करती है।

विधेयक के अनुसार आयुर्वेद और होम्योपैथी के डॉक्टर (आयुष) भी एलोपैथी की दवा दे सकेंगे। उन्हें किसी तरह के ब्रिज कोर्स की जरूरत नहीं होगी। यही नहीं कंपाउंडर, पैथोलॉजिस्ट, लैब टेक्नीशियन, रेडियोलॉजिस्ट, खून का सैंपल लेने वाले खास तरह की दवाएं दे सकेंगे।

एनएमसी को ऐसे समझें:
25 सदस्य होंगे नेशनल मेडिकल कमीशन में।
कमीशन का अध्यक्ष डॉक्टर ही बन सकेगा।
देश में मेडिकल शिक्षा को विनियमन करेगा कमीशन।

प्रैक्टिस करने के लिए एग्जिट टेस्ट जरूरी:
विधेयक में एमबीबीएस के बाद एक कॉमन परीक्षा नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) का प्रावधान है। इसे पास करने के बाद ही डॉक्टरोंं को लाइसेंस मिलेगा।
एग्जिट टेस्ट नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा का भी काम करेगा। इससे ही पीजी कक्षाओं में प्रवेश मिलेगा। विदेशों से एमबीबीएस करके आने वालों को भी प्रैक्टिस के लिए नेक्स्ट परीक्षा पास करनी होगी।

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