विकल्प से पहले फाइनल बात
प्रदेशभर में जूडा द्वारा मरीजों का इलाज बीच में ही छोड़कर जाने के बाद प्रदेश के पांच बड़े सरकारी अस्पतालों के हालात बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं। मरीज़ों के परिजन भी अस्पताल में किसी तरह की व्यवस्था ना मिलने से आक्रोशित नज़र आने लगे हैं। वहीं, राजनीतिक नज़रिये से देखा जाए तो साल चुनावी भी है, जिस कारण सरकार को अंदर ही अंदर लगने लगा है, कि अगर अस्पतालों में तुरंत ठीक व्यवस्था नहीं दी गई तो एक बड़े तबके पर सरकार के खिलाफ नाराज़गी भी बन सकती है, जिसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक, इसी कारण सरकार इस बड़े फैसले को ले सकती है। वहीं, डिजिटल पत्रिका मध्य प्रदेश से बातचीत में चिकित्सा मंत्री शरद जैन भी वेकल्पिक व्वस्था के संकेत देते नज़र आए। मंत्री जैन ने बताया कि, जूडा अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। वहीं, सरकार उन्हें परेशान होने वाले मरीजों का हवाला देते हुए मनाने की कोशिश कर चुकी है। उन्होंने कहा कि, सरकार अपनी ओर से उन्हें एक मध्य मार्ग पर सहमति बनाने की भी अपील कर चुका है, लेकिन वह मरीजों की परवाह किए बिना अपनी पूर्ण मांगों पर सरकार को सेहमत करने की बात पर अड़िग हैं। उन्होंने कहा कि, सरकार इस गंभीर विषय पर चर्चा कर रही है, अगर अब भी यह सहमत नहीं होते हैं, तो जल्द ही प्रदेश के मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
मरीजों में हड़कंप
इधर, प्रदेश के पांच अस्पतालों इस हड़ताल का बड़ा असर देखा जा रहा है। इन अस्पतालों में राजधानी स्थित हमीदिया अस्पताल, सुल्तानिया अस्पताल, जबलपुर का जिला अस्पताल, ग्वालियर का जिला अस्पताल और इंदौर का एमवाय अस्पताल शामिल हैं। जहां कल से शुरु हुई जूडा की हड़ताल का खासा असर नज़र आ रहा है। मरीजों के हालात जानने के लिए कहीं भी व्यवस्थित डॉक्टर नहीं है। एक तरफ बिगड़े मौसम के कारण अस्पतालों में वैसे ही मरीजों का हुजूम लगा हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ मरीजों को समय पर इलाज ना मिल पाने के चलते हड़कंप का माहौल देखा जा रहा है। व्यवस्थाएं ना मिलने के कारण मरीजों और उनके परिजन में भी खासी नाराज़गी देखी जा रही है।
यह है जूडा की मांग
आपको बता दें कि, अपनी मांगों में सबसे बड़ी मांग यानि स्टायपेंड बढ़ाने को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने कल से हड़ताल शुरु की थी। जिसमें प्रदेश के लगभग सभी मेडिकल कॉलेजो के जूनियर डॉक्टर बेमियादी हड़ताल पर थे। उनकी मांग है कि, 10 हजार रुपए तक स्टायपेंड बढ़ाया जाए। बता दें कि, पीजी प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष व तृतीय वर्ष का स्टायपेंड क्रमशः 45 हजार, 47 हजार और 49 हजार रुपए है। जूडा इसे बढ़ाकर क्रमशः 65 हजार, 67 हजार व 69 हजार रुपए करने की मांग कर रहा है। इसकी लिखित सूचना जूडा ने करीब एक महीने पहले ही प्रदेश स्तर पर दे दी थी। इसके बाद से ही जूडा का चरणबद्ध आंदोलन चल रहा है। वे अलग ओपीडी चला रहे थे, लेकिन सोमवार से उनकी प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरू हो गई और मंगलवार को दिए गए सामूहिक इस्तीफे के बाद सभी जूनियर डॉक्टर हॉस्टल भी खाली करकेघर लौटने की तैयारी करने लगे हैं।