इससे पहले सेमी फाइनल मुकाबले में बंगाल को 174 रन से हराकर रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई थी। 23 साल बाद मध्यप्रदेश की टीम रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची थी। इससे पहले 1998-99 में मप्र टीम फाइनल में पहुंची थी। तब उसे कर्नाटक की टीम से हार का सामना करना पड़ा था।
इतिहास रचने वाली टीम में राजधानी के पांच खिलाड़ी
मध्यप्रदेश की टीम को रणजी ट्रॉफी का खिताब दिलाने में भोपाल का सबसे अहम योगदान रहा है। टीम की कमान भोपाल के आदित्य श्रीवास्तव के कंधों पर रही जिन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले की दूसरी पारी में शानदार 82 रनों की पारी भी खेली। उनके अलावा मध्यप्रदेश की टीम में भोपाल के ही राहुल बाथम, पुनीत दाते, अर्हम अकील और अनुभव अग्रवाल शामिल हैं। इनमें से आदित्य श्रीवास्तव, पुनीत दाते, अनुभव अग्रवाल प्लेइंग इलेवन में भी रहे।
शुरुआत पांच रणजी मैचों में जमाए शतक— मध्यप्रदेश की टीम को रणजी ट्रॉफी जितानेवाले टीम के कप्तान आदित्य श्रीवास्तव इससे पहले चार साल तक अंडर-16 और अंडर-19 क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे। आदित्य ने रणजी ट्रॉफी में मध्यप्रदेश की टीम से खेलना शुरु करते ही अपने प्रारंभिक पांच रणजी मुकाबलों में शतक लगाए थे. इनमें 192 रनों की एक शानदार नाबाद पारी भी शामिल है। आदित्य के कोच ज्योति प्रकाश त्यागी ने बताया कि आदित्य ने महज 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था। कम उम्र में ही उन्होंने धमाल मचाना प्रारंभ किया और आखिरकार रणजी चेंपियन बनने का कमाल भी कर दिखाया.