– सीएम हाउस में नगर निगम की उद्यान शाखा के 17 कर्मचारी काम कर रहे हैं। वे ड्यूटी सीएम हाउस में देते हैं, जबकि वेतन नगर निगम से बनता है।
– मंत्रियों के बंगलों पर निगम के 516 कर्मचारी नियुक्त हैं। ये पार्क, सफाई और निजी सेवाओं में लगे हुए हैं। इनका वेतन भी निगम से ही जारी होता है।
– नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अफसरों के घरों पर 48 कर्मचारी नियुक्त हंै। ये इनके निवास पर काम करते हैं।
नोट- नगर निगम द्वारा सूची तैयार कराई जा रही है। अभी इसका काम चल रहा है।
– जोन 18 में 2017 में क्षेत्रीय पार्षदों ने निगम को सफाई कर्मचारियों की नामजद सूची देकर बताया था कि ये काम पर नहीं आते, मंत्रियों के बंगलों पर लगे हुए हैं। कोई कार्रवाई नहीं हुई।
– महापौर आलोक शर्मा ने कार्यभार ग्रहण करते ही सूची तैयार कराई थी। इसमें भी करीब 1500 कर्मचारी निगम से बाहर काम करते मिले थे। न सूची सार्वजनिक की और न कार्रवाई हुई।
– 2017 में तत्कालीन निगमायुक्त छवि भारद्वाज ने आदेश जारी कर कर्मचारियों की परेड कराई थी, जिसमें कई अन्य जगह काम करते मिले थे, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा सकी।
आमजन की गाढ़ी कमाई के सालाना 12 करोड़ रुपए लेने के बावजूद शहर की सफाई समेत अन्य व्यवस्थाओं में योगदान नहीं देने का असर शहर की लगातार गिरती रैंकिंग के तौर पर हुआ है। सफाई में दो नंबर पर पहुंचने के बाद गिरकर 19वें नंबर पर आना पड़ा। हमेशा कर्मचारियों की कमी की बात से सीवेज से लेकर सफाई और इसी तरह की दिक्कतों को समय पर दूर नहीं किया जा रहा, लोग परेशान होते हैं, शहर अव्यवस्थित और अस्वच्छ बना रहता है।
ये बिल्कुल सही है कि निगम के कई कर्मचारी निगम का काम नहीं बाहर अन्य जगह काम करते हैं। हमने पड़ताल कराई थी। निगम यदि फिर से कार्रवाई कर रहा है तो सहयोग रहेगा।
आलोक शर्मा, महापौर
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कर्मचारियों को लेकर सभी जोन से रिकॉर्ड बुलाए थे। अब जो भी इनपुट सामने आए हैं, उन्हें शहर की बेहतर व्यवस्था के लिए उपयोग किया जाएगा।
मयंक वर्मा, अपर आयुक्त स्वास्थ्य व जलकार्य