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भोपाल

पुरानी कक्षा की किताबें देकर यहां से ले जाएं अगली कक्षा की पुस्तकें, नहीं लगेगा 1 रुपया भी दाम

पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान का भंडार हैं, बल्कि शिक्षा प्रणाली की बुनियाद भी हैं। महंगाई के इस दौर में शिक्षा भी महंगी होती जा रही है। स्कूलों के कोर्स की किताबों पर भी महंगाई हावी है। ऐसे में लोगों को नि:शुल्क किताबें उपलब्ध कराने के लिए पुस्तक बैंक की शुरूआत की गई है।

भोपालJun 17, 2022 / 09:36 am

Subodh Tripathi

पुरानी कक्षा की किताबें देकर यहां से जाएं अगली कक्षा की पुस्तकें, नहीं लगेगा 1 रुपया भी दाम

पुरानी कक्षा की किताबें देकर यहां से जाएं अगली कक्षा की पुस्तकें, नहीं लगेगा 1 रुपया भी दाम

भोपाल. पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान का भंडार हैं, बल्कि शिक्षा प्रणाली की बुनियाद भी हैं। महंगाई के इस दौर में शिक्षा भी महंगी होती जा रही है। स्कूलों के कोर्स की किताबों पर भी महंगाई हावी है। ऐसे में चित्रगुप्त कायस्थ समाज लोगों को नि:शुल्क किताबें उपलब्ध कराने के लिए पुस्तक बैंक संचालित कर रहा है। इस पुस्तक बैंक से कई विद्यार्थियों को कोर्स की किताब नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके लिए विद्यार्थी अपने पुरानी कक्षा की किताब जमा कराकर नई क्लास की किताब ले सकते हैं। इसी प्रकार आम लोग भी यहां से धार्मिक, सामाजिक सहित अन्य किताबें ले सकते हैं।

चित्रगुप्त समाज और शरद वेलफेयर सोसायटी की ओर से इस पुस्तक बैंक का संचालन किया जा रहा है। यहां से चार साल में तकरीबन 5 हजार किताबों का नि:शुल्क वितरण किया जा चुका है। इसके साथ ही कई लोग यहां आकर किताबें भेंट करते हैं, ताकि वह किताबे दूसरों के काम आए।

प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी देंगे किताबें
संस्था की ओर से अगले माह से यहां प्रतियोगी परीक्षा आइएएस, आइपीएस, पुलिस, प्रशासनिक, विभागीय परीक्षाओं की तैयारी के लिए नवीन किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी। यहां प्रतियोगी परीक्षा वाले विद्यार्थी बैठकर अपनी तैयारी कर सकेंगे। इसके लिए कुछ दानदाताओं ने किताबें उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। जुलाई माह में इसकी शुरुआत की जाएगी।

शहर में कायस्थ समाज की आबादी चार लाख से अधिक
शहर में कायस्थ समाज की आबादी 4 लाख से अधिक है। शहर में कायस्थ समाज की 6 से अधिक संस्थाएं सक्रिय हैं। इन संस्थाओं द्वारा विभिन्न सेवा कार्य भी किए जाते हैं। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा समाज की राष्ट्रीय स्तर की संस्था है। वर्तमान में समाज की ओर से गरीब और जरूरतमंदों के लिए नेकी की दीवार, गरीब ब’चों को शिक्षा में मदद, महिलाओं को स्वरोजगार के लिए लोन आदि कार्य किए जा रहे हैं।

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ऐसे एकत्र की जाती हैं किताबें
चित्रगुप्त समाज के राजेश नारायण श्रीवास्तव ने बताया कि इसे शुरू करने के पीछे उद्देश्य यही है कि स्कूल के कोर्स की किताबें काफी महंगी होती जा रही हैं। कई लोग ब’चों की किताबें कक्षा से उत्तीर्ण होने के बाद रद्दी आदि में बेच देते हैं, या घर पर ही रखी रहती हैं। वह किसी के काम नहीं आती। इसलिए ब’चा जिस क्लास को उत्तीर्ण कर चुका है, उस क्लास की किताबें उससे ले लेते हैं और जिस क्लास में वह गया है, उस क्लास की किताबें उसे उपलब्ध कराते हैं। वर्तमान में 6 वीं से 12 वीं क्लास तक के कोर्स की कई किताबें इसी तरह से विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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