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शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े 30 लाख परिवारों का सवाल
प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि, जब मॉल, धर्मस्थल, सरकार ने बाजारों, सार्वजनिक स्थानों, सिनेमा घरों जैसे अन्य कई स्थानों को तो व्यवस्थित रूप से खोले जाने की अनुमति दी जा चुकी है, लेकिन शेक्षणिक संस्थानों को खोलने की कोई व्यवस्था नहीं की। ये निर्णय भी शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े 30 लाख परिवारों का है। शासन को अपनी मंशा जाहिर करना चाहिए, क्योंकि ये बच्चों के साथ साथ कई परिवारों के भविष्य का भी सवाल है। प्रदेश में 74 हजार से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं। ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा देने के चक्कर में शासन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने कड़े शब्दों में कहा कि, अगर सरकार अड़िग होगी, तो हमें भी मजबूरन कड़ा फैसला लेना पड़ेगा।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी चेतावनी
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल, सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर मध्य प्रदेश, एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल एंड प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट एमपी, संस्था संगठन बैरागढ़ भोपाल, जबलपुर अन-एडिड स्कूल एसोसिएशन, इंडिपेंडेंट स्कूल एयलाइंस इंदौर, ग्वालियर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन समिति, सहोदय ग्रुप ऑफ सीबीएसई स्कूल भोपाल, ग्वालियर सहोदय ग्रुप द्वारा राजधानी भोपाल में बुधवार को प्रेस कांफ्रेस आयोजित करके दी है। प्रेस वार्ता के दौरान इन संगठनों ने कहा कि, सरकार को मनमानी बंद करके संस्थानों को खोलने की अनुमति देना होगी।
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सरकार पर लगाए आरोप
प्रेस कांफ्रेन्स के दौरान संस्था के सदस्यों ने आरोप लगाते हुए कहा कि, प्राइवेट स्कूलों को लेकर सरकार मनमानी पर है। कोरोना की आड़ लेकर स्कूली छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ तो कर ही रही है, साथ ही साथ शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े करीब 30 लाख परिवारों के साथ भी नाइंसाफी करने में जुटी है। हालत ये है कि, अब कोई भी निजी शैक्षणिक संस्थान किसी भी स्टाफ मेम्बर को वेतन देने के योग्य नहीं बचा है। यही वजह है कि, संस्थान से जुड़े लोगों में भी जीवन-मरण की स्थिति बन चुकी है। अगर सरकार अब कोई फैसला नहीं लेती, तो सरकार किसी भी तरह की अनुचित स्थिति के लिये तैयार रहे।
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सरकार से मांग
सहोदय ग्रुप के अध्यक्ष अनुपम चौकसे, एटीपीआई के अध्यक्ष केसी जैन, विनी राज मोदी और अजीत पटेल ने बताया कि हम चाहते हैं कि सरकार अगर स्कूल खोलने का निर्णय नहीं लेती है, तो हमारी 10 प्रमुख मांगे हैं। इनमें मुख्य रूप से है स्कूल से जुड़े स्टाफ के वेतन का मामला। या तो सरकार जिम्मेदारी उठा ले, या हमें बिना ब्याज 2 करोड़ रुपए तक का लोन दे, ताकि वेतन आदि चुकाया जा सके। दूसरा- जब स्कूल नहीं लग रहे हैं, तो बिजली, पानी और अन्य करों में रियायत दी जाए, ताकि खर्चे को कम किया जा सके।
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जनरल प्रमोशन की बात सुनते ही 50 फीसदी बची ऑनलाइन अटैंडेंस
संचालकों के मुताबिक, बीते 10 दिनों में ऑनलाइन क्लासेस के जरिये पढ़ने वाले छात्रों की 50 फीसदी उपस्थिति ही बची है। सरकार ने जब से जनरल प्रमोशन की बात कही है, तब से बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लग रहा। वो क्लास अटेंड नहीं कर रहे हैं, इसलिए जनरल प्रमोशन जैसी कोई भी चीज नहीं दी जानी चाहिए। इसकी जगह हमें समय दिया जाना चाहिए, ताकि स्कूल खोल कर बच्चों को पढ़ाया जा सके और उनकी परीक्षा ली जा सके। इससे उन्हें भी जब उसका रिजल्ट मिलेगा, तो उन्हें अहसास हो सके कि, ये उनकी मेहनत का नतीजा है।