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भोपाल

हर रोज अस्पताल पहुंचनेवाले 1 हजार रोगियों में से सिर्फ 500 को मिल रहा इलाज

दिल की बीमारी से 32 लाख लोग पीड़ित 100 में 3 मरीज युवा
 

भोपालSep 29, 2022 / 10:46 am

deepak deewan

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भोपाल. राजधानी में दिल के रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। यहां हर रोज लगभग एक हजार मरीज दिल की विभिन्न बीमारियों के कारण अस्पताल पहुंचते हैं। लेकिन इनमें से 50 फीसदी को ही इलाज मिल पाता है। शहर के पांच बड़े सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 6 हृदय रोग विशेषज्ञ ही हैं। इनमें से 4 हमीदिया अस्पताल में हैं। इसलिए ओपीडी में हृदय रोगियों की भीड़ रहती है। मजबूरन लोगों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।
शहर के अस्पतालों में भीड़
शहर के हमीदिया बीएमएचआरसी एम्स कमला नेहरू और जेपी हॉस्पिटल जैसे सरकारी अस्पतालों में दिल के रोगी ज्यादा पहुंचते हैं। इनमें से अधिकतर अस्पतालों में दिल के इलाज की बेहतर व्यवस्थाएं नहीं हैं। इसके चलते हमीदिया अस्पताल पर मरीजों का बोझ ज्यादा रहता है। यहां चार कार्डियोलॉजिस्ट और दो कार्डियक सर्जन हैं। यहां की ओपीडी में रोजाना करीब 200 मरीज आते हैं। अत्याधुनिक कैथ लैब में यहां रोजाना एक मेजर और सात मानइर सर्जरी की जाती हैं। फिर भी मरीजों की संख्या अधिक होने से 15 से एक महीने तक का इंतजार मरीजों को करना पड़ता है।
खराब जीवनशैली है मुख्य कारण
डॉक्टरों के अनुसार खराब जीवनशैली के कारण दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रदेश में दिल की बीमारी से करीब 32 लाख लोग प्रभावित हैं। हर 100 में से 3 मरीज युवा हैं। अनियमित दिनचर्या और बाहर के खानपान से दिल की बीमारी बढ़ रही है। बच्चों को कम उम्र से ही फास्ट फूड देना इसका एक मुख्य कारण है। इसके अलावा तंबाकू मधुमेह उच्च रक्तचाप धूम्रपान अनियमित नींद और तनाव बीमारी को बढ़ावा देते हैं।
हार्ट अटैक का पता लगाने में महिला डॉक्टर तीन गुना बेहतर
लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में कार्डियक फार्मालॉजी के प्रोफेसर स्यान हार्डिंग ने साल 2002 से 2013 तक महिला और पुरुषों में हार्ट अटैक के मामलों पर शोध किया था। उन्होंने हार्ट अटैक के 13 लाख मामलों का अध्ययन किया। जिसमें सामने आया कि महिलाओं में हार्ट अटैक का पता महिला डॉक्टरों ने पुरुष डॉक्टरों के मुकाबले तीन गुना पहले लगा लिया।
एम्स में विशेषज्ञ नहीं
एम्स भोपाल में भी कोई हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। हालांकि कार्डियक सर्जन के होने से यहां सर्जरी होती है। जेपी और कमला नेहरू अस्पताल में एक भी कार्डियक स्पेशलिस्ट नहीं है। बीएमएचआरसी में दो विशेषज्ञ हैंए लेकिन यहां आने वाले अधिकतर मरीज गैस पीड़ित हैं।
जीएमसी के कॉर्डियोलाजी विभागाध्यक्ष प्रो डॉ राजीव गुप्ता के अनुसार सरकारी अस्पतालों में हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी है। लेकिन चिकित्सक एमडी जैसे विशेज्ञता प्राप्त और अनुभवी हैं। डॉक्टरों की टीम ज्यादा से ज्यादा मरीजों को देखने का प्रयास करती है। जीएमसी में पब्लिक एजुकेशन पेशेंट अवेयरनेस और रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं।
प्रदेश में सिर्फ दो महिला हृदय रोग विशेषज्ञ
एक अध्ययन के अनुसार महिला हृदय रोग विशेषज्ञ यदि महिला हृदय रोगियों का इलाज करती हैं तो उनके ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिनए प्रदेश में सिर्फ 2 ही महिला हृदय रोग विशेषज्ञ ही हैं। एक भोपाल में डॉण्माधुरी नागोरी तो दूसरी इंदौर में डॉण् सरिता राव हैं।

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