शहर के हमीदिया बीएमएचआरसी एम्स कमला नेहरू और जेपी हॉस्पिटल जैसे सरकारी अस्पतालों में दिल के रोगी ज्यादा पहुंचते हैं। इनमें से अधिकतर अस्पतालों में दिल के इलाज की बेहतर व्यवस्थाएं नहीं हैं। इसके चलते हमीदिया अस्पताल पर मरीजों का बोझ ज्यादा रहता है। यहां चार कार्डियोलॉजिस्ट और दो कार्डियक सर्जन हैं। यहां की ओपीडी में रोजाना करीब 200 मरीज आते हैं। अत्याधुनिक कैथ लैब में यहां रोजाना एक मेजर और सात मानइर सर्जरी की जाती हैं। फिर भी मरीजों की संख्या अधिक होने से 15 से एक महीने तक का इंतजार मरीजों को करना पड़ता है।
डॉक्टरों के अनुसार खराब जीवनशैली के कारण दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रदेश में दिल की बीमारी से करीब 32 लाख लोग प्रभावित हैं। हर 100 में से 3 मरीज युवा हैं। अनियमित दिनचर्या और बाहर के खानपान से दिल की बीमारी बढ़ रही है। बच्चों को कम उम्र से ही फास्ट फूड देना इसका एक मुख्य कारण है। इसके अलावा तंबाकू मधुमेह उच्च रक्तचाप धूम्रपान अनियमित नींद और तनाव बीमारी को बढ़ावा देते हैं।
लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में कार्डियक फार्मालॉजी के प्रोफेसर स्यान हार्डिंग ने साल 2002 से 2013 तक महिला और पुरुषों में हार्ट अटैक के मामलों पर शोध किया था। उन्होंने हार्ट अटैक के 13 लाख मामलों का अध्ययन किया। जिसमें सामने आया कि महिलाओं में हार्ट अटैक का पता महिला डॉक्टरों ने पुरुष डॉक्टरों के मुकाबले तीन गुना पहले लगा लिया।
एम्स भोपाल में भी कोई हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। हालांकि कार्डियक सर्जन के होने से यहां सर्जरी होती है। जेपी और कमला नेहरू अस्पताल में एक भी कार्डियक स्पेशलिस्ट नहीं है। बीएमएचआरसी में दो विशेषज्ञ हैंए लेकिन यहां आने वाले अधिकतर मरीज गैस पीड़ित हैं।
एक अध्ययन के अनुसार महिला हृदय रोग विशेषज्ञ यदि महिला हृदय रोगियों का इलाज करती हैं तो उनके ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिनए प्रदेश में सिर्फ 2 ही महिला हृदय रोग विशेषज्ञ ही हैं। एक भोपाल में डॉण्माधुरी नागोरी तो दूसरी इंदौर में डॉण् सरिता राव हैं।