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भोपाल

एक साल में सिर्फ दो एमएलए ने जमा की एक महीने की पगार

पीसीसी की माली हालत सुधारने में नहीं विधायकों की दिलचस्पी,
– एआईसीसी ने दिए थे विधायकों को एक माह का वेतन देने के निर्देश
 

भोपालJan 15, 2020 / 07:57 am

Arun Tiwari

एक साल में सिर्फ दो एमएलए ने जमा की एक महीने की पगार

एक साल में सिर्फ दो एमएलए ने जमा की एक महीने की पगार

भोपाल : 15 साल सत्ता का वनवास भोगने वाली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की माली हालत सुधारने के लिए एआईसीसी ने निर्देश जारी किए थे। एआईसीसी ने कहा कि पार्टी का हर विधायक साल में एक बार पीसीसी में एक माह का वेतन जमा करेगा। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने एक साल बीत गए हैं लेकिन विधायकों ने अपना वेतन देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

एक साल में सिर्फ एक मंत्री और एक विधायक ने ही अपनी पगार पीसीसी में जमा कराई है। कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री हर्ष यादव और हाटपिपल्या से विधायक मनोज चौधरी ने ही पीसीसी को एक महीने का वेतन दिया है। कांग्रेस के 115 विधायक हैं जिनमें से 113 ने अब तक एक माह का वेतन नहीं दिया है।

पीसीसी संचालन में खर्च होगा फंड :

विधायकों के वेतन से जो राशि आएगी उससे पीसीसी का संचालन किया जाएगा। एआईसीसी ने प्रदेश में लंबे समय से सरकार से बाहर रहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के आर्थिक संकट को दूर करने के लिए ये व्यवस्था की थी। ये निर्देश सभी राज्य कमेटी को दिए गए थे। 2018 कांग्रेस के लिए बेहतर साबित हुआ और मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकारें बन गईं।

लेकिन सरकार बनने के बाद भी इन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। नियमानुसार विधायक को साल में एक बार अपना मूल वेतन ही पार्टी कार्यालय में जमा करना है जो करीब 30 हजार होता है। इस हिसाब से पार्टी फंड में करीब 34 लाख 50 हजार रुपए जमा होने चाहिए थे लेकिन सिर्फ 60 हजार रुपए जमा हुए।

करीब 25 लाख रुपए मासिक खर्च :

सूत्रों के मुताबिक पीसीसी का महीने का खर्च करीब 25 लाख रुपए से ज्यादा है। इसमें कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल, प्रदेश और प्रदेश से बाहर से आने वाले पदाधिकारियों का खर्च, नेताओं के दौरे, पार्टी की बैठक ें, परिवहन समेत डीजल-पेट्रोल का खर्च शामिल है। संगठन में प्रमुख पद पर रहे पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी के मुताबिक जब सरकार नहीं थी तब पीसीसी का खर्च दस लाख रुपए महीना था। इसमें पांच लाख रुपए एआईसीसी की ओर से आते थे बाकी पार्टी नेताओं का चंदा और जवाहर भवन में बनी दुकानों के किराए से इंतजाम होता था।

ये पार्टी का अंदरुनी मामला है। विधायकों की दिलचस्पी न होने जैसी कोई बात नहीं है। इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने में अभी समय है। मंत्री और विधायक लगातार जनता की सेवा में व्यस्त हैं और 15 साल की बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने में लगे हुए हैं। – चंद्रप्रभाष शेखर संगठन प्रभारी,कांग्रेस –

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