scriptबच्चों के वजन का एक तिहाई बस्ता, झुक रही कमर, टूट रहे कंधे | overload school bag, students in trouble | Patrika News
भोपाल

बच्चों के वजन का एक तिहाई बस्ता, झुक रही कमर, टूट रहे कंधे

एक दूसरे से खुद को बेहतर साबित करने स्कूलों की होड़ के चलते बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। नन्हें कंधों पर बस्ते का बोझ लगातार बढ़ रहा है। इसे कम करने नियम कायदे तो हैं लेकिन इसकी हकीकत चौंकाने वाली है। पत्रिका ने शहर के अलग-अलग स्कूलों में जब जायजा लिया तो बस्ते का बोझ बच्चे के वजन के एक तिहाई तक मिला। जो कि तय मानक से तीन गुना है। नौनिहालों के स्वास्थ्य के लिए विशेषज्ञ इसे गंभीर खतरा बता रहे हैं।

भोपालAug 12, 2018 / 08:05 am

शकील खान

news

बच्चों के वजन का एक तिहाई बस्ता, झुक रही कमर, टूट रहे कंधे

बचपन पर संकट : ये कैसी पढ़ाई, नन्हें कंधों पर बस्तों का बोझ

भोपाल. नियमों के तहत स्कूल बैग 10 प्रतिशत से ज्यादा भारी नहीं होना चाहिए। हकीकत में नर्सरी से पांचवीं तक बैग इससे कई गुना भारी मिला। हकीकत जानने जब धरातल पर पहुंच तो कक्षा एक के बच्चे में बच्चा जो बस्ता ले जा रहा था उसका वजन जहां 6 किलो डेढ़ सौ ग्राम था वहीं बच्चे का वजन 15 किलो। यानी अपने वजन से एक तिहाई। अलग-अलग स्कूलों के बस्तों के कमोबेश एक जैसे हाल मिले।
बैग बहुत भारी, दुखते हैं कंधे, बच्चों ने बयां किया दर्द

भारी बस्तों के साथ अभिभावक बच्चों को स्कूल के लिए रवाना तो कर देते हैं लेकिन अधिकांश ने इनके दर्द के बारे में पूछा ही नहीं। स्कूल की मनमानी के आगे बच्चे दर्द सहने मजबूर हैं। अलग-अलग कक्षाओं के बैग के वजन का ब्यौरा लेने के दौरान बच्चों ने अपना दर्द बताया। कक्षा दो की एक बच्ची ने कहा बैग बहुत भारी लगता है। इसे उठाने में कंधे दर्द करते हैं। शाम को मम्मी कंधे की मालिश करती है।
news
निर्देश और नियम केवल कागजों में

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन ने स्कूल बैग के वजन को लेकर 2016- 17 में गाइडलाइन जारी की। कक्षा के हिसाब से स्कूल बैग का वजन तय किया था। यहां लॉकर सुविधा की भी बात गई। निर्देश कागजों तक सिमटकर रह गए। बच्चे भारी बैग ढोने मजबूर हैं।
स्कूल बैग के वजन को राइट टू एजुकेशन एक्ट में जोडऩे के लिए एनसीपीसीआर ने अनुशंसा की है। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने एक रिपोर्ट तैयार की है कि किस कक्षा के बच्चे के बैग का कितना वजन होगा।
सभी राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को निर्देश भी जारी कर दिया है। अब मप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग इस संबंध में मप्र स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर बस्ते का बोझ कम करने के लिए अनुशंसा करेंगे।
विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना

एमडी मेडिसिन डॉ आदर्श वाजपेयी के मुताबिक कमर भारी या असामान्य स्कूली बस्ते का बोझ शारीरिक संरचना को असंतुलित कर सकता है. गरदन के आसपास की मांसपेशियों और स्नायुतंत्र पर लगातार बोझ व दबाव के कारण गंभीर खिंचाव उत्पन्न हो जाता है। बाल्य रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश मिश्रा के मुताबिक इस मामले में यदि उचित देखभाल न की जाए तो विभिन्न प्रकार की और्थोपैडिक संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसका असर कंधे, गर्दन, पीठ, कमर और पैरों पर हो सकता है। बोझ के कारण मांसपेशियों में दर्द और रीढ़ संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
news
स्कूलों की छुट्टी के बाद पत्रिका संवाददाता ने कक्षा 1 से 4 तक के बच्चों के बस्ते और उनके वजन को तौलने पर ये स्थिति मिली – पहली क्लास के बच्चे का वजन करीब 14 किलो निकला, जबकि बैंग के साथ उसका वजन 18 किलो 870 ग्राम था। यानि 4 किलो 870 का बैग।
दूसरी क्लास के बच्चे का वजन 18 किलो निकला, जबकि बैग के साथ बच्चे का वजन 23.200 किलो हो गया।
तीसरी क्लास के बच्चे का बैग करीब सात किलो का था। बच्चे का वजन 20 किलो निकला।
इसी तरह चौथी क्लास के बच्चे का वजन 20 किलो था, जबकि बैग सहित उसका इसका वजन 27 किलो था।
सीबीएसई के निर्देशों के तहतबैग का वजन

2 किलो कक्षा पहली से दूसरी
3 किलो कक्षा तीसरी से चौथी
4 किलो कक्षा पांचवी से आठवीं

राजधानी में सीबीएसई स्कूल पर एक नजर

60 सीबीएसई स्कूल-राजधानी में
50 हजार-पहली से पांचवी तक बच्चों की संख्या
news
 

बस्ते का वजन कम करने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन है। बच्चे के वजन से 10 फीसदी ही बैग का वजन होना चाहिए। आयोग ने इसके सुझाव के साथ इसे लागू करने अनुशंसा की है। पालन न करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई होगी।
डॉ राघवेन्द्र शर्मा, अध्यक्ष राज्य बाल संरक्षण आयोग
-प्राइमरी के बच्चों के बैग ही ज्यादा भारी हो गए है। कई बार तो हमें बैग उठाक र ले जाना पड़ता है। मैडम को उतनी ही किताबें मंगानी चाहिए, जिनकी जरुरत दिन के हिसाब से हो।
-आरती यादव, अविभावक

Home / Bhopal / बच्चों के वजन का एक तिहाई बस्ता, झुक रही कमर, टूट रहे कंधे

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो