जिसके चलते इस मुद्दे पर 3 दिन बाद आने वाले केरल हाई कोर्ट के निर्णय पर सभी की नजरें लगी हैं। वहीं इस खबर के सामने आते ही मध्यप्रदेश के कर्मचारियों में हलचल शुरू हो गई है। अधिकांश लोग इसे लेकर चिंता में दिख रहे हैं।
भविष्य निधि में हमारा पैसा काटा जाता है, जिसका एक पार्ट पेंशन का भी होता है। जब हमें पैसे की जरूरत होती है तब भी हम अपनी जरूरतों को कम करके इसमें पैसा भविष्य को देखते हुए कटवाते हैं। अब यदि ये भविष्य की पेंशन सुविधा ही बंद करनी है, तो आज तक किस हक से हमारा पैसा काटा गया।
– राकेश शर्मा, निजी कंपनी कर्मचारी
– राकेश शर्मा, निजी कंपनी कर्मचारी
नौकरी के दौरान हमारी फैमली की कई जरूरतें हम मजबूरन कम करते हैं, इसी दौरान बच्चों सहित अन्य चीजों में हमें पैसे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। लेकिन वह हमें भविष्य के सपने दिखा कर काटे जाते हैं। अब यदि उन सपनों पर ही कुठाराघात किया जाएगा तो हम शांत तो नहीं बैठेंगे।
– जीतेंद्र सिंह, सरकारी कर्मचारी
– जीतेंद्र सिंह, सरकारी कर्मचारी
हमसे करीब 16 साल से पेंशन के नाम पर पैसे काटे जा रहे हैं, अब काटे गए पैसे को लेकर वादा पूरा करने से बचने की ये साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी। हम इसके लिए जरूरत पड़ी तो आंदोलन के साथ ही कोर्ट में भी जाएंगे।
– प्रवीण यादव, कर्मचारी निजी कंपनी
– प्रवीण यादव, कर्मचारी निजी कंपनी
पेंशन सुविधा का लाभ…
वहीं सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में निगम-मंडल, सहकारिता, बैंक, निजी क्षेत्र सहित मजदूर जिनका कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान कटता है, ऐसे लोगों की संख्या लगभग 33 लाख है। ईपीएफओ 1 सितंबर 2014 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन सुविधा का लाभ देने से इंकार कर रहा है। बताया जाता है कि ईपीएफओ ने इस मुद्दे पर कर्मचारियों से विकल्प मांगा था, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।
वहीं सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में निगम-मंडल, सहकारिता, बैंक, निजी क्षेत्र सहित मजदूर जिनका कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान कटता है, ऐसे लोगों की संख्या लगभग 33 लाख है। ईपीएफओ 1 सितंबर 2014 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन सुविधा का लाभ देने से इंकार कर रहा है। बताया जाता है कि ईपीएफओ ने इस मुद्दे पर कर्मचारियों से विकल्प मांगा था, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।
सभी राज्यों में विरोध…
इधर, कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें इस संबंध में ईपीएफओ की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली। कर्मचारी पेंशन मुद्दे का सभी राज्यों में विरोध हो रहा है, केरल हाई कोर्ट में इस मामले पर 26 मार्च को फैसला सुनाया जाना है।
इधर, कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें इस संबंध में ईपीएफओ की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली। कर्मचारी पेंशन मुद्दे का सभी राज्यों में विरोध हो रहा है, केरल हाई कोर्ट में इस मामले पर 26 मार्च को फैसला सुनाया जाना है।
निवृत्त कर्मचारी 1995 राष्ट्रीय समन्वय समिति के राष्ट्रीय उप महासचिव चंद्रशेखर परसाई ने बताया कि विकल्प न देने पर ईपीएफओ पेंशन देने से इंकार कर चुका है। इस मामले में संगठन की ओर से केन्द्रीय मंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया है। फिलहाल केरल हाईकोर्ट से आने वाले निर्णय पर सबकी नजरें केंद्रित हैं।
देशभर में दे रहे लाभ…
ईपीएफओ में नियमित तौर पर अंशदान जमा कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि ईपीएफओ से सूचना के अधिकार के तहत निकली जानकारी में बताया गया है कि देशभर में लोगों को पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है, इसलिए बाकी सभी को यह सुविधा दी जानी चाहिए। मप्र में भविष्य निधि पेंशन के करीब साढ़े तीन लाख पेंशनर्स हैं। इनमें से केवल राजधानी भोपाल में ही 30 हजार पेंशनर्स हैं।
ईपीएफओ में नियमित तौर पर अंशदान जमा कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि ईपीएफओ से सूचना के अधिकार के तहत निकली जानकारी में बताया गया है कि देशभर में लोगों को पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है, इसलिए बाकी सभी को यह सुविधा दी जानी चाहिए। मप्र में भविष्य निधि पेंशन के करीब साढ़े तीन लाख पेंशनर्स हैं। इनमें से केवल राजधानी भोपाल में ही 30 हजार पेंशनर्स हैं।
नहीं तो हाई कोर्ट जाएंगे…
पेंशन के लिए नए नियमों के तहत ईपीएफओ 1 सितंबर 2014 के पहले के एक साल के वेतन का औसत निकालता है, जबकि इसके बाद वालों के लिए 60 महीने का औसत वेतन निकालने का प्रस्ताव है। इससे पेंशन कम बनने की आशंका है। उप महासचिव परसाई के अनुसार हाल ही में उनके संगठन की ओर से दिल्ली में ईपीएफओ कमिश्नर और मंत्री को भी मांग पत्र सौंपा था। यह भी कहा गया है कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक यदि कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय नहीं हुआ तो निवृत कर्मचारी 1995 राष्ट्रीय समन्वय समिति मप्र हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।
पेंशन के लिए नए नियमों के तहत ईपीएफओ 1 सितंबर 2014 के पहले के एक साल के वेतन का औसत निकालता है, जबकि इसके बाद वालों के लिए 60 महीने का औसत वेतन निकालने का प्रस्ताव है। इससे पेंशन कम बनने की आशंका है। उप महासचिव परसाई के अनुसार हाल ही में उनके संगठन की ओर से दिल्ली में ईपीएफओ कमिश्नर और मंत्री को भी मांग पत्र सौंपा था। यह भी कहा गया है कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक यदि कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय नहीं हुआ तो निवृत कर्मचारी 1995 राष्ट्रीय समन्वय समिति मप्र हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।