इस बीच शिक्षा विभाग के अधिकारी बार-बार कड़ी कार्रवाई की बात कहते रहे, लेकिन किसी स्कूल पर कार्रवाई नहीं की गई। इसके चलते आखिर समय सीमा तक भी 50 फीसदी स्कूलों के छूट जाने के बाद आयुक्त लोक शिक्षण ने प्रदेश के संयुक्त संचालकों को कड़ा पत्र लिखा है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेशों की पालना न करने की मंशा पर फटकार लगाते हुए स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं। अब देखना यह है कि इस पत्र के बाद निजी स्कूलों पर शिकंजा कस पाता है या पुराना ढर्रा जारी रहता है।
सरकार को 19 अक्टूबर को फीस देने वाले स्कूलों की जानकारी कोर्ट में पेश करनी है। इस बीच विभाग के पोर्टल पर अचानक 14 हजार स्कूल कम हो गए है, जिसके चलते फीस देने वाले स्कूलों का प्रतिशत 50 फीसदी पहुंच गया है। अभिभावकों का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट में फीस की जानकारी दिखाने वाले स्कूलों का प्रतिशत बढ़ाकर दिखाने के लिए यह गड़बड़ी की गई है।
10 अक्टूबर तक थे 51 हजार स्कूल स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियमन क्रियान्वयन प्रणाली के सेक्शन में 10 अक्टूबर तक पंजीयन हेतु लक्षित स्कूल 51 हजार 230 दिखाए जा रहे थे। जबकि 16 हजार 166 स्कूलों ने जानकारी दिया जाना दर्शाया था। इस तरह केवल 31.5 फीसदी स्कूलों ने जानकारी दी थी।
अचानक घटकर हुए 37 हजार 071
11 अक्टूबर को इसी पोर्टल पर स्कूलों की संख्या अचानक घटकर 37 हजार 071 हो गई। पोर्टल के अनुसार इनमें से 18 हजार 242 स्कूलों ने जानकारी दी थी। इस तरह आंकड़ा बढ़कर 49.2 फीसदी हो गया। एक दिन में 14 हजार 159 स्कूल घटने का क्या कारण है यह कहीं नहीं बताया गया। इतना ही नहीं विभाग के अधिकारी भी इस विषय पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
बॉक्स – जिले में भी घट गए 700 स्कूल स्कूलों की संख्या में अचानक गिरावट केवल प्रदेश में ही नहीं आई है बल्कि प्रत्येक जिले में भी स्कूलों की संख्या कम हुई है। पोर्टल पर भोपाल में ही 2615 स्कूल दिखाए जा रहे थे जो अब 1782 हो गए हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भी दो बार तारीख बढऩे के बाद भी 50 फीसदी स्कूलों ने भी वसूली गई फीस की जानकारी नहीं दी है। सरकार अपनी कमी को छुपाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। इसी के चलते पोर्टल पर स्कूलों की संख्या में गड़बड़ी की गई है। इस चालबाजी के खिलाफ अभिभावक सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर करेगा।