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भोपाल

यूपी के बाद मध्यप्रदेश में भी नाम बदलने की सियासत, कांग्रेस ने बताया आरएसएस की साजिश

प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने होशंगाबाद का नाम बदलने की उठाई मांग…। कांग्रेस ने बताया संघ की साजिश

भोपालDec 03, 2020 / 06:20 pm

Manish Gite

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भोपाल। राजधानी की ईदगाह हिल्स का नाम गुरुनानक टेकरी किए जाने की चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि होशंगाबाद का नाम बदलने की बात कहकर प्रोटेम स्पीकर ( protem speaker ) रामेश्वर शर्मा ने राजनीति को हवा दे दी है। कांग्रेस ने इसे भाजपा विभाजनकारी षड्यंत्र बताया है।

 

मध्यप्रदेश के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने होशंगाबाद का नाम बदलने का मुद्दा उठाया। इसी संबंध में उनका वीडियो भी वायरल हुआ है। उन्होंने कहा कि कब तक लुटेरे हुशंगशाह के नाम से होशंगाबाद को पहचाना जाएगा। शर्मा ने कहा कि जिस लुटेरे ने हमारे मठ-मंदिरों को तोड़ा, भगवान भोले के मंदिर भोजपुर का शिखर तोड़ा, उसके नाम से नगर का नाम मंजूर नहीं है। मोक्षदायिनी पुण्य सलिला मां नर्मदा जिनके दर्शन मात्र से पुण्य मिलता हो, जिनके आशीर्वाद से मध्यप्रदेश के खेत लहलहाते हों, उनके नाम से नगर पहचाना जाना चाहिए। शर्मा ने आगे कहा कि शिवराज सरकार ने पहले ही संभाग का नाम नर्मदापुरम संभाग रखा है, अब नगर का नाम भी नर्मदापुरम ( Narmadapuram ) रखने की मांग उठी है, जिसे पूरा किया जाएगा।

 

कांग्रेस ने कहा, देश को बांटने की राजनीति

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा कहते हैं कि जातीय विभाजन किस प्रकार किया जा सके, इसे लेकर भाजपा सुविचारित राजनीतिक के तहत काम कर रही है। राम मंदिर के बाद अब कोई ऐसा मुद्दा बचा नहीं है, जिसके आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण हो सके, लिहाजा देशव्यापी विभाजन की दरार पैदा कर संघ परिवार की ओर से योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। मिश्रा ने कहा कि नाम बदलने की राजनीति के तहत उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे हिन्दी भाषी प्रदेश को प्रयोग स्थली बनाया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता के मुताबिक संघ की ओर से इन्हें निर्देशित किया जाता है। रामेश्वर शर्मा तो एक मुखौटा हैं, इसके पीछे संघ की साजिश है।

 

ईदगाह हिल्स का नाम भी बदलेगा

ईदगाह हिल्स इलाके का नाम बदलकर गुरु नानक टेरी करने की मांग सबसे पहले मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने उठाई थी। हाल ही में गुरुनानक देव जयंती के मौके पर एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए शर्मा ने कहा था कि करीब 500 साल पहले गुरुनानक देव जब भारत भ्रमण पर निकले थे, तो भोपाल में गुरुनानक देव इसी टेकरी पर आए थे। उस जगह का नाम ईदगाह हिल्स कर दिया गाया, इसे बदलकर गुरुनानक टेकरी किया जाना चाहिए। शर्मा ने यह भी कहा कि यदि उनके पास यह मांग आएगी तो वे इसे सरकार तक पहुंचा देंगे। इसके बाद सिख संगठनों ने प्रोटेम स्पीकर की पहल का स्वागत भी किया।

 

सिंधी समाज ने किया स्वागत

इधर, गुरुवार को प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा से मिलकर सिंधी समाज ने खुशी जाहिर की है। समाज के लोगों ने कहा है कि ईदगाह हिल्स का नाम गुरुनानक टेकरी किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को समर्थन पत्र भी सौंपा।

 

 

https://youtu.be/eGcuZsFABrE
बदल चुका है बैरागढ़ नाम

इससे पहले भोपाल के ही उपनगर बैरागढ़ का नाम भी बदलकर संत हिरदाराम नगर किया जा चुका है। इसी नाम पर अब रेलवे स्टेशन का नाम भी कर दिया गया है।
https://twitter.com/RSSorg?ref_src=twsrc%5Etfw

इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर

भोपाल से 12 किमी दूर स्थित ऐतिहासिक स्थल इस्लाम नगर का नाम भी बदलकर जगदीशपुर करने की प्रक्रिया चल रही है। यह भोपाल नवाबी दौर की राजधानी थी। भोपाल से बैरसिा जाते समय इस्लाम नगर में राजपूतों का शासन था। 18वीं शताब्दी में अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद खान यहां आए और इसे अपने अधीन ले लिया। उन्होंने इसका नाम इस्लामनगर कर दिया था। भोपाल रियासत की स्थापना के साथ ही इस्लामनगर को राजधानी बना दिया गया था। स्थानीय लोगों समेत भोपाल के तत्कालीन सांसद ने इसके लिए अभियान चलाया। पुरातत्व के रिकार्ड के अनुसार इस्लामनगर का प्राचीन नाम जगदीशपुर मिलता है। प्रोटेम स्पीकर ने भी गुरुवार को कहा कि इसका नाम जगदीशपुर कर दिया गया है। रिकार्ड में भी आ गया है।

 

बदल चुके हैं अजीब नाम

एक साल पहले मध्यप्रदेश के तीन गांवों का नाम भी बदलने की कार्रवाई हुई थी। सतना जिले के नकटी गांव का नाम नयनपुर कर दिया। छतरपुर जिले का नाम रसुईयां भटना से ‘राधेनगर’ कर दिया गया, वहीं उमरिया जिले के वीरसिंहपुर पाली का नाम बदलकर मां बिरासिनी धाम किया गया था। राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूर करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने गांव का नाम बदलने के लिए अपनी अनापत्ति (एनओसी) जारी कर दी थी।

 

ऐसे होती है प्रक्रिया

जब किसी गांव या शहर का नाम बदलने की प्ररक्रिया की जाती है तो राज्य सरकार के प्रस्ताव के बाद गृह विभाग एनओसी जारी करने से पहले इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी), जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई), डाक विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से जानकारी हासिल करता है उसके बाद उनकी एनओसी लेता है। जब ये सभी एजेंसियां अपनी सहमति दे देती हैं, तो गृह विभाग अपनी एनओसी जारी कर देता है। इसके बाद राज्य का लोक निर्माण विभाग, डाक विभाग तथा जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) को सूचित करते हुए नया नाम जारी करने की अधिसूचना जारी करेगा। इसी के बाद उस नगर या गांव का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

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