वहीं मंगलवार को रात का तापमान सोमवार के मुकाबले सीधे 4.7 डिग्री उछला और 25.9 डिग्री पर पहुंच गया। अधिकतम तापमान में सोमवार के मुकाबले 0.3 की मामूली बढ़त हुई, लेकिन इसी के चलते इसने 40 डिग्री को छू लिया। बात मानसून की करें तो इसका आना एक बड़ा मुद्दा रहता है और केरल में यह अक्सर निराश भी नहीं करता है लेकिन शहर में देर से आना इसकी आदत सी रही है।
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पिछले 10 सालों के रिकॉर्ड के अनुसार मानसून, केरल में छह बार समय या समय से पहले आया है, यदि लेट भी हुआ तो केवल चार से पांच दिन। जबकि इसी दरमियान भोपाल ठीक उल्टा हुआ और 10 में से छह बार यह लेट ही रहा। देरी भी ऐसी-वैसी नहीं बल्कि 10 से 15 दिन तक की। यही कारण है कि पिछले तीन दशकों के आंकड़ों के अध्ययन के बाद पिछले वर्ष ही शहर में मानसून आने की अधिकृत तिथि को 14 से बढ़ाकर 20 जून कर दिया गया है।
मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार केरल में मानसून आने की सामान्य तिथि 1 जून है। पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो 2011, 2017 और 2018 में यह तय तारीख से पहले ही मई के आखिरी सप्ताह में आ गया वहीं 2012, 2013 और 2020 में यह ठीक तय तारीख एक जून को आया। वहीं राजधानी के आंकड़े कुछ अलग ही कहानी कहते हैं। यहां केवल 2012, 2013, 2014 और 2020 में ही तय तारीख से पहले मानसून आया है, जबकि बाकी छह सालों में यह देरी से ही आया।
केरल में चार से छह दिन तो भोपाल में 10 दिन की देरी
मानसून की देरी का ट्रैक भी अलग कहानी बताता है, केरल में यह जिन सालों में यह देरी से भी आया है तब भी मात्र चार से छह दिन की ही देरी रही हुई। 10 में नौ सालों में यह जून के पहले सप्ताह में आ ही गया है जबकि मात्र 2019 में सप्ताह बीतते ही आठ जून को आया। वहीं शहर में 2019 तक तय 14 जून तारीख से जब भी मानसून की लेट हुआ यह सीधे 10 से 15 दिन , देरी से आया है। इसी के चलते य मानसून आने की सामान्य , तारीख को भी नए सिरे से तय री किया गया है, इससे तय और वास्तविक तारीख।