राशन की दुकान से आएगा वाहन
अब गरीबों को राशन लेने के लिए उचित मूल्य की दुकानों तक नहीं जाना पड़ेगा। सरकार उनके घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था करने की तैयारी कर रही है। सरकार हर उचित मूल्य की दुकान के साथ एक वाहन की व्यवस्था करेगी, जिसे लेकर सेल्समैन गांव-गांव तक जाकर खाद्यान्न वितरण करने का काम करेंगे।
सरकार यह व्यवस्था मप्र के स्थापना दिवस एक नवम्बर से लागू करने पर विचार कर रही है। पहले चरण में आदिवासी क्षेत्रों में लागू किया जाएगा। खाद्य विभाग पूरा रोडमैप तैयार कर रहा है। इस तरह से खाद्यान्न वितरण पर कितना खर्च आएगा, इसकी भी जानकारी तैयार की जा रहा है। आदिवासी क्षेत्रों में यह व्यवस्था इसलिए पहले लागू की जा रही है क्योंकि आदिवासियों को खाद्यान्न लेने के लिए उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर का सफर करना होता है। कई बार ऐसा भी होता है कि जब आदिवासी दुकानों पर पहुंचते हैं, तो वह दुकानें बंद रहती हैं। इसके अलावा उम्रदराज और महिला उपभोक्ताओं को एक साथ महीनेभर का खाद्यान्न लेकर घर आने में दिक्कत होती है। इससे सरकार खाद्यान्न गरीबों के घर तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है। इससे उचित मूल्य की दुकानें बंद होने का समस्या नहीं होगी, दुकानों तक पहुंचने और खाद्यान्न लेकर आने की भी गरीबों को दिक्कतें नहीं होंगी।
सप्ताह में एक बार जाएगा वाहन
मिनी ट्रक में गेहूं-चावल वितरण की व्यवस्था: हर दुकान के पास एक मिनी ट्रक होगा। इसके जरिए चावल और गेहूं का परिवहन किया जाएगा। सेल्समैन और पीओएस मशीन की भी व्यवस्था होगी। इसके अलावा सेल्समैनों के साथ रजिस्टर भी होंगे, जिन क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करते हैं वहां खाद्यान्न लेने वालों की एंट्री रजिस्टर पर की जाएगी। बताया जाता है कि यह वाहन प्रत्येक गांव में सप्ताह में एक बार जाएगा। हालांकि इस दौरान उचित मूल्य की दुकानें भी खुली रहेगी। दुकानों पर भी उपभोक्ता अपने हिस्से का राशन ले सकेंगे।