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भोपाल

हजारों भारतीयों के लिए बनी थी संकटमोचक, जानिए उनसे जुड़े 5 दिलचस्प किस्से

विदिशा से सांसद और विदेश मंत्री रही सुषमा स्वराज की पहली पुण्य तिथि पर प्रस्तुत हैं उनसे जुड़े कुछ किस्से…।

भोपालAug 06, 2020 / 04:03 pm

Manish Gite

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भोपाल। तत्कालीन विदेश मंत्री और विदिशा से सांसद रही सुषमा स्वराज की 6 अगस्त को पुण्य तिथि है। प्रखर वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली सुषमा स्वराज के कई किस्से आज भी याद किए जाते हैं।

हरियाणा के अंबाला में 14 फरवरी 1952 को जन्मी सुषमा कई भाषाओं की जानकार थीं। हिन्दी में जब वे भाषण देती थीं तो मानो वे सभी को सम्मोहित कर लेती थीं। आज भी कई लोग उनके भाषण के दीवाने हैं।


किस्सा-1

चुनाव नहीं लड़ने के फैसले पर जताई थी खुशी :-:

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के इंदौर में पत्रकारों से बात करते हुए सुषमा ने कहा था कि वे अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। सुषमा के इस फैसले के बाद उनके पति ने खुशी जाहिर की थी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था। चुनाव नहीं लड़ने के आपके फैसले के लिए धन्यवाद। स्वराज कौशल ने कहा था कि मुझे याद है एक समय मिल्खा सिंह को भी रुकना पड़ा था। यह दौड़ 1977 से शुरू हुई थी। इसे अब 41 साल हो गए हैं। आप अब तक 11 चुनाव लड़ चुकी हैं। सिर्फ दो बार 1991 और 2004 में आप चुनाव नहीं लड़ी थीं, क्योंकि पार्टी ने आपको चुनावी मैदान में नहीं उतरने दिया। मैं पिछले 46 सालों से आपके पीछे भाग रहा हूं। अब मैं 19 साल का नहीं हूं। थैक्यू मैडम।

 

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किस्सा-2

तो सिर मुंडाकर सफेद साड़ी पहनूंगी :-:

बात उस दौर की है जब लोकसभा चुनाव में यूपीए ने एनडीए को हरा दिया था। कांग्रेस सोनिया गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाने वाली थी। सोनिया को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए बीजेपी पूरी तरह से विरोध में खड़ी हो गई थी। जमकर प्रदर्शन किए थे। तब सुषमा ने कहा था कि “संसद सदस्य बनकर अगर संसद में जाकर बैठती हूं तो हर हालत में मुझे उन्हें माननीय प्रधानमंत्री जी कहकर संबोधित करना होगा, जो मुझे गंवारा नहीं होगा। सुषमा ने यह भी घोषणा कर दी थी कि यदि सोनिया प्रधानमंत्री बनती हैं तो वो सिर मुंडा लेंगी, सफेद साड़ी पहनेंगी, भिक्षुणी की तरह जमीन पर सोएंगी और सूखे चने खाएंगी। यह बयान आज भी चर्चा में रहता है।

 

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किस्सा-3

बेल्लारी से चुनाव लड़ा और कन्नड़ सीखी :-:

सुषमा स्वराज सोनिया के खिलाफ बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ी थीं। तब उन्होंने कन्नड़ भी सीखी थी। कांग्रेस के गढ़ वाली इस सीट पर सोनिया की जीत पक्की थी। लेकिन, सुषमा ने कड़ी चुनौती देने के लिए केवल 30 दिनों के भीतर ही कन्नड़ भाषा सीखी और चुनाव प्रचार में कन्नड़ में भाषण देने लगीं। सुषमा ने सोनिया के विदेशी मूल पर सवाल उठाते हुए विदेशी ‘बहू और देसी बेटी’ का नारा दिया। फिर भी सुषमा 56 हजार वोटों से हार गई थी। लेकिन, उन्होंने यह कहकर सबका दिल जीत लिया था कि भले ही वो हार गईं, लेकिन संघर्ष उनके नाम रहा। इसी का पुरस्कार तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें दिया। वे कैबिनेट में मंत्री बनाई गई और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय की जवाबदारी दी गई।

 

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किस्सा-4

चर्चित थी प्रेम कहानी :-:

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में हरियाणा के अंबाला में हुआ है। सुषमा स्वराज ने लव मैरिज की थी। शादी स्वराज कौशल के साथ हुई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों की प्रेम कहानी कॉलेज के दिनों में शुरू हुई थी। सुषमा और स्वराज की मुलाकात पंजाब यूनिवर्सिटी के चंडीगढ़ के लॉ डिपार्टमेंट में हुई थी। दोनों ने 13 जुलाई, 1975 को शादी कर ली थी। प्रेम विवाह के लिए दोनों को अपने परिवार वालों को मनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी थी। जब सुषमा ने प्रेम विवाह किया था उस समय हरियाणा की किसी लड़की के लिए प्रेम विवाह के बारे में सोचना भी बड़ी बात थी। सुषमा ने ये साहस किया और फिर शादी भी की। स्वराज कौशल भारतीय राजनीतिज्ञ तथा सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील, छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे साथ ही मिजोरम में राज्यपाल भी रह चुके हैं।

 

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किस्सा-5

हजारों भारतीयों को कराया था एयरलिफ्ट

सुषमा स्वराज इसलिए भी याद रहेंग जब विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने आपरेशन राहत के तहत 4640 देशवासियों को वहां सुरक्षित निकाला गया था। इनके अलावा 48 देशों के 2000 लोग भी शामिल थे। साल 2015 में युद्धग्रस्त यमन में जब विद्रोहियों और यमन सरकार के बीच जंग छिड़ी थी तब वहां रह रहे हजारों भारतीय फंस गए थे। भारतीयों ने विदेश मंत्री से मदद मांगी और सुषमा स्वराज ने तुरंत एक्शन लेते हुए विदेश राज्यमंत्री एवं पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह को यमन भेजा। फिर भारत सरकार के वायुसेवा के विमानों से सभी को एयरलिफ्ट किया गया।


-मुंबई निवासी हामिद अंसारी कथित तौर पर ऑनलाइन दोस्त बनी लड़की से मिलने 2012 में अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान चले गया था। बाद में बगैर वीजा के पाकिस्तान में घुसने की सजा में उसे गिरफ्तार कर लिया। सजा पूरी होने के तीन साल बाद भी उसकी रिहाई नहीं हो रही थी। सुषमा की पहल पर उसे 18 दिसंबर 2018 को आजादी मिली और व स्वदेश लौट आया। इसके बाद हामीद के माता-पिता विदेश मंत्रालय में सुषमा से मिलने आए, जहां अंसारी की मां ने कहा ‘मेरी मैडम महान’।

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