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पुलिस का कारनामाः सरकारी खजाने में नहीं पहुंचता चालान का पैसा, रिकॉर्ड भी गायब

locationभोपालPublished: Jun 03, 2019 05:32:50 pm

Submitted by:

Manish Gite

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक और गड़बड़ी उजागर की है, ट्रैफिक पुलिस चालान की राशि सरकारी खजाने में ही जमा नहीं कर रही है, जबकि कितने लोगों का चालान बनाया गया है, उसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है…।

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भोपाल। मध्यप्रदेश की पुलिस वाहनों की चैकिंग के नाम पर किस तरह अवैध वसूली करती है, इसका खुलासा हुआ है। यह कारनामा उजागर होने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। यह मामला राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह की पकड़ में आया है।

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पुलिस के इस कारनामे को उजागर करते हुए कहा कि इस तरह की वसूली भ्रष्टाचार के लिए खुला न्योता है। यह मामला डीजीपी वीके सिंह और राज्य के महालेखाधिकारी रविंद्र पत्तार के संज्ञान में भी लाया गया है।

 

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लिखित जवाब में फंस गए पुलिस के अफसर
राहुल सिंह ने इस मामले में जब सतना पुलिस को तलब किया तो चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आई हैं। सतना के पुलिस अधीक्षक (एसपी) इकबाल रियाज ने नगर पुलिस अधीक्षक के जरिए सूचना आयोग को लिखित जवाब में कहा था कि नो पार्किंग चालान नोटिस की कोई भी जानकारी पुलिस विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। सतना पुलिस ने भी यह बताया कि उनके पास इसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है कि नो पार्किंग नोटिस कितनी मात्रा में पुलिस ने छपवाया है और चस्पा नोटिस के एवज में कितने रुपए का चालान पुलिस ने काटा था।

 

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नियम के मुताबिक हो चालानी कार्रवाई
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस विभाग के नियमों के मुताबिक ही ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन करने वालों पर चालीनी कार्रवाई हो सकती है। इसके तहत गवर्नमेंट प्रेस से छपे चालान की हर रसीद की तीन कॉपियां रहती हैं, जिसमे से एक कॉपी ट्रेजरी, दूसरी जिसके खिलाफ चालानी कार्रवाई हुई हो और तीसरी कॉपी पुलिस विभाग के पास रहती है। इसके साथ ही इस पूरी कार्रवाई का पंचनामा भी बनता है।

 

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कितने लोगों से वसूली रकम
राहुल सिंह ने सतना में उजागर हुई इस गड़बड़ी पर दिए अपने आदेश में कहा कि यदि पुलिस विभाग के पास इस बात का रिकार्ड नहीं है तो इस बात का पता लगाना असंभव है कि कितने लोगों का चालान जारी किया गया और कितने लोगों से वसूली कर सरकारी खजाने में रकम जमा की गई।


कैसे उजागर हुआ मामला
अवैध वसूली का यह मामला तब उजागर हुआ जब सतना के जवाहरलाल जैन ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत याचिका दायर की। जैन के मुताबिक 2016 में वाहनों पर चस्पा नो पार्किंग चालान नोटिस के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इस मामले में थानेदार कोतवाली सतना का बयान बहुत ही हास्यास्पद था। उसने कहा था कि अधिकारी से इस बात की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए कि उसके पास हर समस्या का हल है। साथ ही उसने कहा था कि जानकारी लोकहित में नहीं दी जा सकती है। उस थानेदार ने आवेदक को साह भी दे डाली थी कि जानकारी चाहिए तो बाजार से मोटर व्हीकल एक्ट की किताब खरीद कर पढ़ लें। जवाहरलाल जैन ने अपील करते हुए कहा था कि सतना पुलिस मनमाने ढंग से जुर्माने की रसीद काटती है और वाहन चालकों को प्रभाववश छोड़ दिया जाता है।


एसपी, सीएसपी और थानेदार को नोटिस जारी
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए सतना के तत्कालीन एसपी, सीएसपी और थानेदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

 

तो होता है भ्रष्टाचार
राज्य सूचना आयुक्त ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि 2012-13 में भी भोपाल में तत्कालीन डीआईजी श्रीनिवास वर्मा ने ट्रैफिक चालान में उपयोग में लाई जा रही अवैध रसीद कट्टे का रैकेट पकड़ा था। सूचना आयुक्त का मानना है कि इस तरह की वसूली के चलते चालान की राशि शासन के खजाने में न जाकर भ्रष्ट व्यवस्था की भेंट चढ़ जाती है।


सरकार को राजस्व का नुकसान
राज्य के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि अवैध चालान से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। पुलिस की चालानी करवाई का रिकॉर्ड होना चाहिए और हैदराबाद जैसे शहरों में उपयोग में लाई जा रही ऑनलाइन बॉडी कैमरा से एक पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था का निर्माण हो सकता है। सूचना आयोग ने इस मामले से जुड़े सारे दस्तावेज, कार्रवाई के लिए मध्यप्रदेश के डीजीपी वीके सिंह और राज्य के महालेखाधिकारी रविन्द्र पत्तार को उपलब्ध कराए है, ताकि आगे अवैध वसूली की वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान न हो।

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