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भोपाल

राजधानी से निजी कारों को टैक्सी के रूप में चलवा रहे ट्रेवल्स एजेंसी वाले

आरटीओ उडऩदस्ता नहीं करता जांच, ऐसे में सवारी की जान को है खतरा

भोपालOct 02, 2018 / 01:31 am

Ram kailash napit

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भोपाल. आप अपनी कार से इंदौर या कहीं ओर जा रहे हैं तो बेखौफ सवारी बैठा लें, कहीं भी कोई नहीं रोकेगा। अगर सवारी नहीं मिल रही हैं तो किसी ट्रेवल्स ऑपरेटर से बात कर लें वो कमीशन लेकर आपको सवारी भी दे देगा। कमीशन के फेर में शहर के टूर एंड ट्रेवल्स खुलेआम फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। वे कमीशन लेकर निजी कारों को टैक्सी के रूप में चला रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इस फर्जीवाड़े में आरटीओ अधिकारी भी शामिल हैं। पत्रिका ने जब इस फर्जीवाड़े की पड़ताल की तो पता चला कि टे्रवल्स संचालक बिना किसी खौफ के यह धंधा कर रहे हैं। ट्रेवल्स संचालक दूसरे शहर जा रही निजी कारों से बात कर उनमें सवारी बैठा देते हैं। इसके बदले में वे कार मालिक को आधा किराया देते हैं।

ऐसे खुलीं फर्जीवाड़े की परत
पत्रिका टीम ने एक ट्रेवल्स एजेंसी पर गया और कहा कि वो अकेला कार से इंदौर जा रहा है, कोई सवारी मिलेगी क्या? इस पर ट्रेवल्स एजेंट ने उसे कहा कि सवारी तो मिल जाएंगी,लेकिन पचास फीसदी कमीशन लगेगा। राजी होने के बाद एजेंट ने 380 रुपए प्रति सवारी के हिसाब से चार सवारी देने को कहा। बदले में 760 रुपए बतौर कमीशन भी मांग लिया।

नहीं मिलेगा सवारी को बीमा
इस पूरे खेल में सबसे ज्यादा खतरा कार में बैठी सवारी को होता है। अगर कार रास्ते में दुर्घटना ग्रस्त हो जाती है तो सवारी किसी भी तरह से क्लेम नहीं कर सकती। ऐसी स्थिति में कार चालक सवारी को परिजन या लिफ्ट देना बता कर छूट जाता है।

आरटीेओ नहीं करता जांच
इस खेल के चलने का सबसे बड़ा कारण है आरटीओ अधिकारियों की मिलीभगत। दरअसल आरटीओ का उडऩ दस्ता कभी इसकी पड़ताल या सड़क पर जांच नहीं करता। जानकारों की माने तो अगर जांच हो भी गई तो सभी अधिकारियों की ट्रेवल्स संचालक से मिलीभगत होती है। उडऩदस्ता कार मालिक पर तो कार्रवाई करता है,लेकिन ट्रेवल्स को छोड़ देता है।

यह है नियम
परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार सवारी लाने ले जाने के लिए कार के पर टैक्सी परमिट होना जरूरी है। बिना टैक्सी परमिट के सवारी ले जाने पर जुर्माना, जब्ती सहित सजा का प्रावधान है, लेकिन अधिकारी इन इन नियमों के तहत कभी जांच ही नहीं करते।

टैक्सी मालिकों को होता है नुकसान
इस पूरे खेल में टैक्सी कोटे में चल रही गाडिय़ों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। दरअसल टैक्सी मालिक सवारी के बदले ट्रेवल्स को 20 फीसदी कमिशन देते हैं जबकि निजी कारों से पचास फीसदी तक कमीशन मिल जाता है। ऐसे में एजेंसी के एजेंट निजी कारों को ज्यादा सवारी देते हैं जिससे टैक्सी संचालाकों को नुकसान होता है।

ऐसा नहीं है हमारी फ्लाइंग स्क्वाड की टीम समय समय पर कार्रवाई करती है। जांच में यह साबित नहीं हो पाता कि यह सवारी किस टे्रवल्स ने बैठाई है, लेकिन हम इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने लगातार अभियान चलाते रहते हैं।
संजय तिवारी, आरटीओ

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