ऐसे में संविदा शिक्षक भर्ती samvida shikshak bharti recruitment की तैयारी कर रहे युवाओं में बैचेनी बढ़ गई है। दरअसल अब सामने आ रही सूचनाओं के अनुसार मप्र संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा लटक गई है।
अध्यापकों के संविलियन की घोषणा करने के बाद सीएम शिवराज सिंह ने अप्रैल के अंत में विज्ञापन जारी करने का एलान किया था, लेकिन अब जो बातें सामने आ रहीं हैं उनके अनुसार संविलियन samvida workers to become regular नियमों के कारण मप्र संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा नहीं की जा सकती।
सूत्रों के अनुसार जब तक संविलियन पूरा नहीं होगा, नई भर्तियां भी नहीं होंगी। वहीं जानकारों का मानना है कि अब यदि सरकार आदेश कर भी देती है, तो भी यह हाईकोर्ट में जाकर उलझ सकता है।
अत: ऐसे में अब अधिकारियों ने सरकार के पाले में बॉल डाल दी है। जिसके बाद अब कैबिनेट ही तय करेगी कि भर्ती परीक्षा samvida shikshak bharti कब और कैसे करवानी है। इस कारण लटकी भर्ती…
दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग को 31 हजार 658 पदों पर अप्रैल से जुलाई के बीच भर्ती करनी थी। इसी बीच अध्यापकों के स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन करने की घोषणा हो गई और कहा जा रहा है कि विभागीय अधिकारियों ने तत्काल भर्ती से हाथ खींच लिया।
दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग को 31 हजार 658 पदों पर अप्रैल से जुलाई के बीच भर्ती करनी थी। इसी बीच अध्यापकों के स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन करने की घोषणा हो गई और कहा जा रहा है कि विभागीय अधिकारियों ने तत्काल भर्ती से हाथ खींच लिया।
जबकि जानकारी के अनुसार ‘नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)” के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्तमान में 70 हजार शिक्षकों की कमी है। 2011 के बाद से अब तक एक भी भर्ती परीक्षा samvida shikshak bharti नहीं हुई है। वहीं सूत्र इशारा कर रहे हैं कि इस बार फिर संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है।
जानिये अब कब होगी परीक्षा…
माना जा रहा है कि सरकार तो विधानसभा चुनाव से पहले चयन परीक्षा कराना चाहती है, लेकिन विभाग ने संविलियन की बात आते ही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए नए सिरे से शिक्षकों के नियमित पदों पर भर्ती की प्रक्रिया sarkari jobs पर काम शुरू कर दिया।
माना जा रहा है कि सरकार तो विधानसभा चुनाव से पहले चयन परीक्षा कराना चाहती है, लेकिन विभाग ने संविलियन की बात आते ही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए नए सिरे से शिक्षकों के नियमित पदों पर भर्ती की प्रक्रिया sarkari jobs पर काम शुरू कर दिया।
ऐसे में माना जा रहा है कि अब इस प्रक्रिया में छह से सात महीने का समय लग सकता है। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि यह समय इससे ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन sarkari jobs करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन नीतिगत निर्णय अभी नहीं हुआ है।
अब कैबिनेट करेगी फैसला…
अध्यापकों की भर्ती का मामला अब कैबिनेट में जाएगा, जो तय करेगी कि अध्यापकों का संविलियन शिक्षकों के डाइंग कैडर (समाप्त कैडर) को पुनर्जीवित कर किया जाए या नया कैडर तैयार किए जाए।
अध्यापकों की भर्ती का मामला अब कैबिनेट में जाएगा, जो तय करेगी कि अध्यापकों का संविलियन शिक्षकों के डाइंग कैडर (समाप्त कैडर) को पुनर्जीवित कर किया जाए या नया कैडर तैयार किए जाए।
संविलियन का निर्णय होने के बाद शिक्षकों के नियमित पदों पर भर्ती का निर्णय भी कैबिनेट ही लेगी। इस प्रक्रिया में तीन से चार माह लग सकते हैं। इसके बाद नियमित पदों पर भर्ती के नियम तैयार होंगे।
इसमें भी दो से तीन माह का समय लगेगा। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि भर्ती sarkari jobs अगले साल ही होने की संभावना ज्यादा है। इधर, संविलियन के लिए संविदा कर्मचारियों को देनी पड़ सकती है परीक्षा…
चुनावी साल को देखते हुए सरकार कर्मचारियों के हर कैडर को साधने में तो जुटी है, लेकिन ऐसे में उसे कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा हैं। इन्हीं में से एक प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के संविलियन को लेकर भी कई अड़चने आ रही हैं।
चुनावी साल को देखते हुए सरकार कर्मचारियों के हर कैडर को साधने में तो जुटी है, लेकिन ऐसे में उसे कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा हैं। इन्हीं में से एक प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के संविलियन को लेकर भी कई अड़चने आ रही हैं।
इसी के चलते कुछ जानकारों का कहना है कि संविलियन को लेकर शासन इन कर्मचारियों के सामने परीक्षा देने, बोनस अंक देने और ग्रेडेशन sarkari jobs का प्रावधान रख सकता है। जीएडी द्वारा तैयार किए गए मसौदे में इस तरह के प्रावधान का किया गया है। जीएडी ने संविदा नियुक्ति नियम 2017 में थोड़ा बहुत फेरबदल करके कई पेंच भी लगा दिए हैं।
अभी कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि संविदा नीति अन्याय पूर्ण है। इसके बाद जीएडी ने संविलियन की कवायद शुरू कर दी थी। इसके लिए विभागों से जानकारी मांगी गई थी। मुख्य सचिव ने पिछले महीने विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिवों की बैठक ली थी।
इससे पहले राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेशचंद्र शर्मा ने मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ, संयुक्त मंच समेत अन्य संघों के ज्ञापन के बाद शासन को प्रस्ताव भेजा था। जीएडी के मसौदे में ऐसे-एेसे प्रावधान…
– संविदा कर्मचारी को जिला स्तरीय चयन समिति की सिफारिश के बाद ही हटाया जा सकता है। ऐसे कर्मचारी संभाग स्तरीय समिति के सामने अपील भी कर सकेंगे।
– इन कर्मचारियों को वेतन मूल विभाग द्वारा ही दिया जाएगा। अभी दस फीसदी इन्क्रीमेंट होगा और हर साल पांच-पांच प्रतिशत वेतन बढ़ेगा।
– संविलियन या नियमितीकरण के लिए पहले से तय पदों पर पीईबी द्वारा ली जाने वाली परीक्षा एवं अंकों में वेटेज दिया जाएगा। हर साल 2 अंक बतौर बोनस दिए जाएंगे, अधिकतम 5 साल तक 10 अंक ही दिए जाएंगे।
– संविदा कर्मचारी को जिला स्तरीय चयन समिति की सिफारिश के बाद ही हटाया जा सकता है। ऐसे कर्मचारी संभाग स्तरीय समिति के सामने अपील भी कर सकेंगे।
– इन कर्मचारियों को वेतन मूल विभाग द्वारा ही दिया जाएगा। अभी दस फीसदी इन्क्रीमेंट होगा और हर साल पांच-पांच प्रतिशत वेतन बढ़ेगा।
– संविलियन या नियमितीकरण के लिए पहले से तय पदों पर पीईबी द्वारा ली जाने वाली परीक्षा एवं अंकों में वेटेज दिया जाएगा। हर साल 2 अंक बतौर बोनस दिए जाएंगे, अधिकतम 5 साल तक 10 अंक ही दिए जाएंगे।
– जिन्हें पांच साल पूरे जाएंगे वे करार और कार्य आधारित मूल्यांकन से मुक्त रहेंगे। इसमें भी एक पेंच यह है कि सालाना वेतन वृद्धि नियंत्रणकर्ता अधिकारी द्वारा दी गई ग्रेड के आधार पर ही की जाएगी।
– सीआर का रिकार्ड रखा जाएगा। ईएल नहीं मिलेगी। मेडिकल लीव 15 दिन की मिलेगी, लेकिन यह संभाग स्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद ही दी जाएगी।
– सीआर का रिकार्ड रखा जाएगा। ईएल नहीं मिलेगी। मेडिकल लीव 15 दिन की मिलेगी, लेकिन यह संभाग स्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद ही दी जाएगी।
महासंघ का आरोप अफसर लगा रहे अड़ंगे…
जीएडी के मसौदे को लेकर संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ नाखुश है। महासंघ के पदाधिकारियों का मानना है कि सीएम तो चाहते हैं कि संविदा कर्मचारियों को रेगुलर कर दिया जाए, लेकिन अधिकारी अड़ंगा लगा रहे हैं। इसीलिए ऐसा मसौदा तैयार कर दिया।
गुरुजी, पंचायतकर्मी, शिक्षाकर्मी और दैनिक वेतन भोगियों को स्थाई करने और नियमित करने में कोई अड़ंगे नहीं आए। हमारे लिए यह अड़चन क्यों?