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भोपाल

अब भ्रष्टाचार रैंकिंग की तैयारी, इन अफसरों पर गिरेगी गाज

प्रदेश सरकार ने एेसे अफसर-कर्मचारी का डाटा-रिकॉर्ड बना लिया गया है, जो भ्रष्टाचार के मामले में विभागीय जांच या फिर सख्त कार्रवाई के घेरे में आया है।

भोपालNov 09, 2017 / 11:04 am

sanjana kumar

Shivraj Singh Chauhan, MP Government, Shivraj Singh Chauhan Action, MP Government Employees

Shivraj Singh Chauhan, MP Government, Shivraj Singh Chauhan Action, MP Government Employees

 

भोपाल। प्रदेश सरकार ने भ्रष्ट अफसर और कर्मचारियों की कुंडली तैयार कर ली है। हर विभाग के एेसे अफसर और कर्मचारी का डाटा-रिकॉर्ड बना लिया गया है, जो भ्रष्टाचार के मामले में विभागीय जांच या फिर सख्त कार्रवाई के घेरे में आया है।

सरकारी विभागों में एेसे करीब 1800 अफसर-कर्मचारी सामने आए हैं। इनके अलावा लोकायुक्त संगठन में २६९६ और ईओडब्ल्यू में करीब दो सौ प्रकरण वाले अफसर-कर्मचारी भी सरकार के निशाने पर हैं। सरकार की पहली प्राथमिकता विभागीय जांच और सख्त कार्रवाई वाले प्रकरण में उलझे अफसर-कर्मचारियों की नौकरी का फैसला करने की है। इन अफसर-कर्मचारियों पर ५० साल की उम्र या २० साल की नौकरी का फार्मूला लगाया जाएगा।

इसमें देखा जाएगा कि इतनी सेवा अवधि या उम्र पूरी करने वाले अफसर-कर्मचारी भ्रष्टाचार और अन्य मापदंडों पर नौकरी के लिए अब भी खरे उतरते हैं या नहीं। अनफिट पाने पर इन्हें नौकरी से बाहर किया जा सकता है, लेकिन इसका फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस पूरे प्रेजेंटेशन के बाद होगा। भ्रष्टों के इस डाटा-बैंक के प्रेजेंटेशन के लिए सीएम से वक्त मांगा जा रहा है। जीएडी एसीएस प्रभांशु कमल के स्तर पर यह डाटा तैयार किया गया है।


सरकार के ये दो भी अहम कदम

भ्रष्टाचार में जिलों की रैंकिंग के प्रयास

सीएम ने भ्रष्टाचार के मामले में जिलों की रैंकिंग करना तय किया था, लेकिन यह निर्णय बेपटरी हो गया है। जिलों से विभागीय जाचों व कार्रवाई संबंधित हर महीने की रिपोर्ट मांगी जा रही है, लेकिन जिले आधी-अधूरी जानकारी भेज रहे हैं। भोपाल, जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर सहित अनेक जिलों ने शून्य जानकारी भेज दी, जबकि बड़वानी सहित अन्य जिलों ने बीते सालों में कुल बनाए प्रकरण भेज दिए। इस कारण इन जिलों को सही जानकारी भेजने के आदेश
दिए गए हैं।

कमेटी की सिफारिशों का अध्ययन

सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त मध्यप्रदेश के लिए भी राज्य स्तरीय कमेटी बनाई थी। इसकी रिपोर्ट सीएम को दी गई थी, जिसके बाद सीएम ने सीएस स्तर पर एक कमेटी बनाकर उसे इसका आकलन करके रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इसके तहत सीएस की कमेटी 14 अन्य राज्यस्तरीय कमेटियों की रिपोट्र्स के आंकलन के साथ इस पर भी अपनी रिपोर्ट देगी। कमेटी ने मुख्यत: हर विभाग में पूर्णत: कैशलेस वर्किंग हो, ऑडिट आपत्तियों को गंभीरता से लेकर निराकरण हो आदि सुझाव दिए गए हैं।

 

साल में दो परफार्मेंस क्लीरियंस हो, इसमें वित्तीय ऑडिट हो, मदों को बदलकर राशि इस्तेमाल करना बंद हो और प्रत्येक टेंडर आनलाइन करने जैसे सुझाव दिए हैं।

 

सरकार सख्त, रिपोर्ट तलब


जिन विभागों व कलेक्टर्स ने 50-20 के फार्मूले पर रिपोर्ट नहीं भेजी है, उन पर सरकार ने सख्ती शुरू कर दी है। बुधवार को जीएडी ने पत्र लिखा है कि 31 दिसंबर 2017 की स्थिति में अफसरों-कर्मचारियों की रिपोर्ट तैयार कर लें, जिसे अनिवार्य रूप से 15 जनवरी 2018 तक भेज दें। इसमें लिखा है कि १५ जनवरी और 15 जुलाई की स्थिति में साल में दो बार अफसरों-कर्मचारियों की छानबीन पूरी होना है। इसकी रिपोर्ट 5 फरवरी और ५ अगस्त तक साल में दो बार भेजी जाना है। इसलिए इस मामले को गंभीरता से ले और 15 जनवरी 2018 तक रिपोर्ट भेजें।


1800 प्रकरण सरकार के स्तर पर
2696 प्रकरण लोकायुक्त संगठन के स्तर पर
200 प्रकरण ईओडब्ल्यू के स्तर पर

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