ऐसे बंटी व्यवस्था, बनी दिक्कत स्ट्रीट लाइट- पहले शहर की तमाम स्ट्रीट लाइट निगम देखता था। कुछ सड़कों का जिम्मा सीपीए के पास था। अब स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन शहर के अलग-अलग क्षेत्रों की 20 हजार स्ट्रीट लाइट के रखरखाव करने का दावा करता है। निगम भी इतनी ही लाइट्स संचालित कर रहा है।
पार्किंग- मल्टीलेवल पार्र्किंग का संचालन स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन कर रहा है। यदि यहां दिक्कत है तो स्मार्ट सिटी में शिकायत होगी। एमपी नगर की पार्र्किंग में गड़बड़ी की शिकायत नगर निगम देखेगा ओर दस नंबर, न्यू मार्केट में माइंडटेक कंपनी आ जाएगी।
सफाई- शहर में स्मार्टडस्टबिन खाली नहीं किए तो स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन देखेगा। डोर-टू-डोर कचरा नहीं उठ रहा है तो निगम के कॉल सेंटर पर शिकायत दर्ज की जाएगी। लिंक रोड पर मशीनीकृत सफाई का काम एक निजी एजेंसी के पास है।
नोट- ये तीन महज उदाहरण है।
एक ही एजेंंसी के पास जिम्मा हो तो मिले पूरा लाभ सेवा निवृत्त आइएएस अधिकारी डीएस तिवारी का कहना है कि यदि काम एक ही श्रेणी का है और एक ही क्षेत्र में हो रहा है तो फिर अलग-अलग एजेंसियों के पास नहीं होना चाहिए। एक ही एजेंसी रहने से एकीकृत योजना बनाकर काम होगा। लोगों को भी पता होगा कि एक ही जगह शिकायत करने पर राहत मिल जाएगी।
अलग-अलग एजेंसियों के पास सड़कें तो ये स्थिति
चार इमली की सड़क का रखरखाव सीपीए इसका करेगा। होशंगाबाद रोड पर चेतकब्रिज से लेकर आरआरएल तिराहे पर पीडब्ल्यूडी और इसके बाद बीआरटीएस नगर निगम देखेगा। कॉलोनियों की सड़कें निगम के पास तो मुख्य मार्ग पीडब्ल्यूडी या सीपीए के पास। इतनी उलझन है कि लोग शिकायत करते रहते हैं, सही जगह बात नहीं पहुंचती और दिक्कत बनी रहती है।
न प्राधिकरण बन पाया, न लगे मेप सड़कों की उलझन खत्म करने महापौर आलोक शर्मा ने सड़क विकास प्राधिकरण का प्रस्ताव शासन को दिया था, जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वार्डवार नक्शे बनाकर सड़कों को अलग-अलग रंग से चिह्नित करना था ताकि पता चले किसकी कौन सी सड़क है। करीब एक साल बीत गया, न नक्शे बने और न वार्डों में इनके बोर्ड लग पाए। लोग अब तक परेशान हो रहे।
कई बार केंद्र राज्य की योजनाओं को लागू करने वाली एजेंसियां अलग होती है। कुछ ऐसे प्रोजेक्ट होते हैं जिनके लिए अलग एजेंसी होती है। इससे ही व्यवस्था अलग-अलग हाथों में चली जाती है। इसपर चर्चा करने के बाद ही निर्णय की स्थिति बनेगी।
– गुलशन बामरा, आयुक्त नगरीय प्रशासन