जस्टिस गोहिल की रिपोर्ट में संस्थान के प्रोफेसरों ने ही बताया
एनएलआइयू के ही शिक्षकों ने यह बात स्वीकार की है। एसोसिएट प्रोफेसर कविता सिंह 1999 से एनएलआइयू में कार्यरत हैं। इन्होंने बताया कि 14वें ट्रायमेस्टर में क्लिनिकल एजुकेशन की मुख्य परीक्षा में बैच 2004 के 10 स्टूडेंट्स को एक भी नंबर नहीं दिया। अवॉर्ड लिस्ट में डबल जीरो लिखा। लेकिन टेबुलेशन चार्ट में इसी बैच के 12 में से 6 स्टूडेंट्स को 25-25 नंबर दे दिए। यह नंबर में बढ़ोतरी का साफ सुथरा प्रकरण था।
एनएलआइयू के ही शिक्षकों ने यह बात स्वीकार की है। एसोसिएट प्रोफेसर कविता सिंह 1999 से एनएलआइयू में कार्यरत हैं। इन्होंने बताया कि 14वें ट्रायमेस्टर में क्लिनिकल एजुकेशन की मुख्य परीक्षा में बैच 2004 के 10 स्टूडेंट्स को एक भी नंबर नहीं दिया। अवॉर्ड लिस्ट में डबल जीरो लिखा। लेकिन टेबुलेशन चार्ट में इसी बैच के 12 में से 6 स्टूडेंट्स को 25-25 नंबर दे दिए। यह नंबर में बढ़ोतरी का साफ सुथरा प्रकरण था।
Must Read- प्रो. तपन आर मोहंती ने जानबूझकररिकॉर्ड बदला
प्रो. तपन आर मोहंती एनएलआइयू में 2000 से कार्यरत हैं। वह सिर्फ समाजशास्त्र में एमफिल थे और बाद मेें एक निजी कॉलेज से 2017 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। इन्होंने स्वीकार किया है कि एक छात्र को 10 के स्थान पर 25 नंबर दे दिए गए और रिकॉर्ड में ओवर राइटिंग भी नहीं की गई है। इसे जस्टिस गोहिल ने पक्षपात का मामला माना। वहीं, विभिन्न टेबुलेशन चार्ट में जिसमें इनके हस्ताक्षर हैं, उनमें ओवर-राइटिंग, कटिंग और लूइड का इस्तेमाल कर माक्र्स बढ़ाए गए है। प्रो. मोहंती अपने बचाव में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए और साथ ही साथ इन्होंने नंबर बढ़ाए जाने का कारण भी नहीं लिखा। गोहिल ने लिखा है कि प्रो. मोहंती ने जानबूझकर कुछ छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए अवॉर्ड लिस्ट से लेकर टेबुलेशन चार्ट तक में बदलाव किए। इनकी गवाही से यह भी पता चलता है कि ये बेईमान और विश्वास करने योग्य प्रोफेसर नहीं हैं।
प्रो. तपन आर मोहंती एनएलआइयू में 2000 से कार्यरत हैं। वह सिर्फ समाजशास्त्र में एमफिल थे और बाद मेें एक निजी कॉलेज से 2017 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। इन्होंने स्वीकार किया है कि एक छात्र को 10 के स्थान पर 25 नंबर दे दिए गए और रिकॉर्ड में ओवर राइटिंग भी नहीं की गई है। इसे जस्टिस गोहिल ने पक्षपात का मामला माना। वहीं, विभिन्न टेबुलेशन चार्ट में जिसमें इनके हस्ताक्षर हैं, उनमें ओवर-राइटिंग, कटिंग और लूइड का इस्तेमाल कर माक्र्स बढ़ाए गए है। प्रो. मोहंती अपने बचाव में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए और साथ ही साथ इन्होंने नंबर बढ़ाए जाने का कारण भी नहीं लिखा। गोहिल ने लिखा है कि प्रो. मोहंती ने जानबूझकर कुछ छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए अवॉर्ड लिस्ट से लेकर टेबुलेशन चार्ट तक में बदलाव किए। इनकी गवाही से यह भी पता चलता है कि ये बेईमान और विश्वास करने योग्य प्रोफेसर नहीं हैं।
34 नंबर बदलकर 40 कर दिए गए
डॉ. सुषमा शर्मा एनएलआइयू में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। यह एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ पढ़ाती हैं। इनके द्वारा तैयार अवॉर्ड लिस्ट में एक छात्र को 21 नंबर मिले, लेकिन टेबुलेशन चार्ट में इसके स्थान पर 35 नंबर कर दिए। एक अन्य छात्र को 34 नंबर मिले जिसे 40 कर दिया गया। डॉ. शर्मा ने कहा कि टेबुलेशन चार्ट में यह परिवर्तन कैसे हुआ, इस संबंध में वह कुछ नहीं कह सकती। लेकिन वे इस मामले से खुश नहीं है कि नंबर बदलकर कई छात्रों को पास कर दिया गया।
डॉ. सुषमा शर्मा एनएलआइयू में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। यह एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ पढ़ाती हैं। इनके द्वारा तैयार अवॉर्ड लिस्ट में एक छात्र को 21 नंबर मिले, लेकिन टेबुलेशन चार्ट में इसके स्थान पर 35 नंबर कर दिए। एक अन्य छात्र को 34 नंबर मिले जिसे 40 कर दिया गया। डॉ. शर्मा ने कहा कि टेबुलेशन चार्ट में यह परिवर्तन कैसे हुआ, इस संबंध में वह कुछ नहीं कह सकती। लेकिन वे इस मामले से खुश नहीं है कि नंबर बदलकर कई छात्रों को पास कर दिया गया।