स्वामी भोपाल में मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगस्त तक राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा और दीपावली तक राम मंदिर भी बनकर तैयार हो जाएगा। हम सब अगली दिवाली अयोध्या के राम मंदिर में मनाएंगे।
स्वामी रविवार और सोमवार दो दिनों के लिए भोपाल में हैं। रविवार को उन्होंने एक व्याख्यान कार्यक्रम में भाग लिया, वहीं सोमवार को वे नूर उस सबाह होटल में एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं।
राहुल पर साधा निशाना
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल कहते हैं कि वे शिवभक्त हैं। राहुल को जबरदस्ती जनेऊ पहनाई गई, तो उन्होंने कपड़ों के ऊपर से ही पहन ली। उन्होंने कहा कि राहुल यदि सही हैं तो खंडन क्यों नहीं करते। राहुल की ताजपोशी पर उन्होंने कहा कि ये ताज किस काम का है।
कई बार दिए विवादित बयान
-भाजपा से सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बयान अक्सर ही मोदी सरकार के लिए मश्किल बन जाते हैं। स्वामी कैबिनेट मंत्री से लेकर आरबीआई गवर्नर तक को अपना निशाना बना चुके हैं। इससे पहले अपनी ही पार्टी के वित्त मंत्री अरुण जेटली को आड़े हाथ लेते हुए खरी-खोटी सुना दी थी।
-इससे पहले स्वामी के निशाने पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा भी आ गए थे। स्वामी ने जयंत पर निशाना साधते हुए कहा था कि विदेशी कंपनियों में काम करने वाले सरकार में हैं। जयंत सिन्हा मोर्गन स्टैनले के लिए काम करते थे। इन्हें सरकार से दूर रखना चाहिए था।
विवादों के स्वामी
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को लोग विवादों का स्वामी भी कहते हैं। वे वन मैन आर्मी के नाम से भी मशहूर हैं। स्वामी अमरीका से अर्थशास्त्र में पीएचडी हैं, लेकिन वकालत की पढ़ाई किए बिना ही वो देश के बड़े-बड़े केस की वकालत कर चुके हैं।
धर्मनिरपेक्ष परिवार
हर समय हिन्दू और हिन्दू हितों की बात करने वाले नेता स्वामी के परिवार में हर धर्म के लोग है। जहां स्वामी की पत्नी पारसी है वहीं उनकी भाभी इसाई, दामाद मुसलमान और बहनोई यहूदी है।
बाजपेयी पर लगाया था आरोप
आपातकाल के बाद 1977 में बनी जनता पार्टी के वो संस्थापक सदस्यों में थे। 2013 में अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर चुके स्वामी मोरारजी देसाई की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर नहीं बनाए जाने से इतना नाराज हो गए थे कि उन्होंने इसके पीछे अटल बिहारी वाजपेयी को कारण बताया था। शायद यही कारण था कि 1980 में जब बीजेपी की नींव पड़ी तो उन्हें पार्टी में शामिल होने नहीं बुलाया गया।
13 महीने की सरकार गिराई थी स्वामी
साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी को सत्ता में आए महज 13 महीने ही हुए थे। स्वामी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री बनना चाहते थे पर कहते हैं लेकिन वाजपेयी इसके लिए तैयार नहीं थे। फिर क्या था, स्वामी ने वाजपेयी सरकार को जयललिता और सोनिया गांधी के साथ मिलकर ध्वस्त कर दिया।
इसलिए सोनिया के खिलाफ हुए थे स्वामी
स्वामी का कहना था कि वाजपेयी सरकार गिराने के समय सोनिया के साथ ये तय हुआ था कि स्वामी के नेतृत्व में एक गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी सरकार बनेगी, लेकिन वाजपेयी सरकार गिरने के बाद सोनिया गांधी खुद अपनी सरकार बनाने की कोशिशों में लग गईं थीं। स्वामी उसके बाद से सोनिया के खिलाफ हो गए।