2016 से लगी है पदोन्नति में रोक
मध्य प्रदेश में अप्रैल 2016 से प्रमोशन में रोक लगी है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल को ‘मप्र लोक सेवा (पदोन्नत) नियम 2002″ खारिज कर दिया था। इस अवधि में 60 हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से 32 हजार कर्मचारी बगैर प्रमोशन ही रिटायर हो गए। उस समय सामान्य वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने याचिका लगाई थी। जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण नियम खारिज कर दिए थे। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चले गई थी और मई 2016 में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण में यथास्थिति के निर्देश दिए थे। तभी से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इस पर केंद्र या राज्य सरकारें ही फैसला करें। हम अपनी तरह से कोई पैमाना तय नहीं करेंगे। कोई भी फैसला करने से पहले उच्च पदों पर नियुक्ति का आंकड़ा जुटाना अनिवार्य है। यानी वस्तु स्थिति बरकरार रहेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 6 बिन्दू तय किए हैं। अब अलग-अलग मामलों में इन बिंदुओं के आधार पर देखा जाएगा कि केंद्र या राज्य सरकार ने क्या किया है। इन मामलों की सुनवाई अगले माह 24 फरवरी को होगी।