टीकों के असर पर होगा अध्ययन वयस्क लोगों का टीकाकरण किए जाने के बाद इसके असर की पड़ताल भी की जाएगी। इसके लिए जिन लोगों को टीका लगाया जाएगा। उन पर इसके असर की जानकारी करने के लिए साथ-साथ अध्ययन होगा। आइसीएमआर द्वारा यह रिसर्च की जाएगी। इस दौरान टीके की प्रभावशीलता और उसके व्यक्ति के शरीर पर होने वाले प्रभाव को देखा जाएगा। यह अपनी तरह का पहला अध्ययन होगा। इसके अलावा एक अध्ययन 6 से 18 साल तक के बच्चों में टीबी वैक्सीन के बूस्टर डोज के प्रभाव पर भी किया जा रहा है।
कोरोना की ही तरह पंजीयन सरकार द्वारा टीबी विन नामक वेबसाइट शुरू की गई है। इसके जरिए कोरोना वैक्सीन की तरह ही व्यक्ति मोबाइल नंबर से पंजीयन करने के बाद टीकाकरण करा सकता है। इसमें सबसे पहले प्राथमिकता 60 साल से अधिक आयु के व्यक्ति, टीबी से ठीक हुए मरीज, टीबी मरीजों के साथ रहने वाले परिजन और दूसरी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को दी जाएगी।
50 फीसदी जिलों में लगेगा टीका पूरे देश में टीबी वैक्सीन के 23 राज्यों को इस टीकाकरण अभियान के लिए चुना गया है। जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्य शामिल हैं। यहां के 50 फीसदी जिलों में बीसीजी के टीके लगाए जाएंगे। वहीं अन्य 50 फीसदी जिलों में प्लेसबो यानी तरल पदार्थ दिया जाएगा। इस पूरे अभियान को बीसीजी पुन: टीकाकरण परीक्षण नाम दिया गया है।
—– इस अभियान के लिए एक स्लोगन तैयार किया है। जो इसको शुरू करने की वजह को बताता है। वो यह है कि टीबी रोग का सफाया कब? पात्र लोग एडल्ट बीसीजी का एक बार टीका लगवाएं तब।
-डॉ. संतोष शुक्ला, राज्य टीकाकरण अधिकारी, मप्र