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भोपाल

युवाओं ने लिया बच्चों की सुरक्षा का संकल्प,कहा-इन्हें दिलाएंगे अधिकार

हर बच्चे का अधिकार है कि वह सुरक्षित रह सके

भोपालJan 21, 2019 / 09:21 pm

Rohit verma

dovelepment

युवाओं ने लिया बच्चों की सुरक्षा का संकल्प,कहा-इन्हें दिलाएंगे अधिकार

भोपाल. हर बच्चे का अधिकार है कि वह सुरक्षित रह सके। बच्चों की सुरक्षा राज्य के साथ-साथ समाज की भी प्राथमिकता में होना चाहिए। जब बात समाज की आती है तो युवा सबसे पहले सामने आते हैं। यह सुखद है कि बच्चों की सुरक्षा में अब युवा भी आगे आ रहे हैं। राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बाल सुरक्षा के मुद्दे पर युवाओं ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। आपको बता दें कि यूनिसेफ समर्थित परियोजना ‘सशक्त समाज, सुरक्षित शहर’ कार्यक्रम में बच्चों की सुरक्षा में युवा भी अब आगे आ रहे हैं।

गौरतलब है कि राजधानी में आवाज सहित अन्य सामाजिक संस्थाएं बच्चों के मुद्दे पर काम कर रही हैं। आवाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ऐसे ही कुछ युवाओं ने अपनी दास्तां बयां की, जिन्होंने आगे आकर बच्चों की सुरक्षा का बीड़ा उठाया है। यह युवा भोपाल के अलावा झाबुआ और शिवपुरी के हैं। इन युवाओं की इस पहल पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत दुबे ने कहा कि यह बहुत ही सुखद है कि युवा साथी बच्चों की सुरक्षा को अपनी जिम्मेदारी मान कर इसकी पहल कर रहे हैं और इसके लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि बड़ी संख्या में युवा सामने आएंगे तो वह दिन दूर नहीं, जब हरेक बच्चा अपने आप को सुरक्षित महसूस करेगा।

 

बस्ती में रुकवाया बाल विवाह
12वीं में पढ़ रहीं अर्शी ने बाल विवाह को लेकर आवाज बुलंद की। इसमें सक्रिय भागीदारी निभाते हुए अपनी बस्ती में न केवल बाल विवाह रुकवाया, बल्कि परिवार व आस-पास में बाल विवाह के विरुद्ध माहौल भी बनाया है। वे कहती हैं कि किसी न किसी को तो आगे आना ही होगा। नाला खुदाई को लेकर भी सघन अभियान चलाया।
अर्शी कुरैशी, ऐशबाग भोपाल

बाल विवाह रुकवाने कराई मुनादी
कलमोड़ा गांव निवासी हरीश मेड़ा एनसीसी के सीनियर ऑफिसर हैं। इन्होंने गांव में सरपंच व जिम्मेदारों के साथ बैठक कर गांव में मुनादी करवाई है कि गांव में बाल विवाह नहीं होगा। वे कहते हैं कि यह मेरा संकल्प है और मुझे लगता है कि बच्चों के संरक्षण से जुड़ी ऐसी कुरीतियों को दूर करने के लिए युवाओं का आगे आना जरुरी है।
हरीश मेड़ा, निवासी कलमोड़ा गांव झाबुआ

 

चाइल्ड हेल्प डेस्क से करते हैं मदद
कक्षा 11 में पढ़ रहे आशीष का कहना है कि बच्चे अपने साथ होने वाली घटनाओं को पुलिस के पास ले जाने से डरते हैं। उन्हें पता भी नहीं होता कि कहां जाना है। बच्चों की मदद के लिए ‘चाइल्ड हेल्प डेस्क’ बनाई। इसमें हर समय 5 साथी होते हैं। हम बच्चों की हरसंभव मदद करते हैं। जरुरत पर चाइल्ड लाइन व पुलिस की मदद लेते हैं।
आशीष गुप्ता, शंकराचार्य नगर भोपाल

खुद का रुकवाया बालविवाह
शिवपुरी की आरती रावत, रातौल गांव की निवासी हैं। इन्होंने न केवल खुद का बाल विवाह रुकवाया, बल्कि बाद में इससे सीख लेकर अपने गांव में ही तीन और बालविवाह रुकवाए। ये कहती हैं कि बालविवाह बच्चों के सभी अधिकारों पर कुठाराघात है और यह बात मुझसे बेहतर कोई और समझ नहीं सकता है। मेरी पढ़ाई रुक गई थी, मैंने बाद में जाकर बीए की पढ़ाई पूरी की।
आरती रावत, निवासी रातौल गांव शिवपुरी

 

नशे के खिलाफ चला रही हैं मुहिम
भोपाल की बापूनगर बस्ती में रहने वाली शबनम अगरिया शासकीय कमला नेहरू हायर सेकंडरी स्कूल, टीटी नगर की छात्रा हैं। इन्होंने अपनी बस्ती में नशे के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। शबनम कहती हैं कि मैं नशे के साथ-साथ बालविवाह पर भी जंग लड़ रही हूं। बालविवाह को लेकर जाति पंचायत से भी बात कर रही हूं। इनका कहना है कि ऐसी कुरीतियों के लिए लोगों को आगे आना चाहिए।
शबनम अगरिया, बापू नगर बस्ती भोपाल

बच्चों की सुरक्षा समझती हैं जिम्मेदारी
बाग दिलकुशा की निकिता रजक को असुरक्षा के कारण 8वीं में ही पढ़ाई छोडऩी पड़ी। अब वे आसपास के बच्चों की सुरक्षा को लेकर लड़ाई लड़ रही हैं। कुछ बच्चियां रस्ते में लडक़ों द्वारा की जा रही छेडख़ानी से स्कूल छोड़ चुकी थीं। निकिता ने न केवल उन लडक़ों को सबक सिखाया, बल्कि वहां खड़ा होना भी बंद कराया, ताकि हर लडक़ी आसानी से स्कूल जा सके। अब खुद पढ़ाई कर रही हैं।
निकिता रजक, बाग दिलकुश भोपाल

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