भोपाल-देवास मार्ग के लिए 81 करोड़, दमोह-जबलपुर के लिए 82.71 करोड़ और खंडवा-बुरहानपुर रोड के निर्माण में 66.36 करोड़ रु. की ग्रांट दी गई थी। इससे सड़कों की लागत कम हो गई थी। भोपाल-देवास सड़क की लागत 339 करोड़ रु. आई जबकि टोल टैक्स के रूप में इस रोड से अब तक 1124 करोड़ रु. कमाए जा चुके हैं।
सदन में कांग्रेस विधायक हर्ष विजय गेहलोत और कुणाल चौधरी ने इस पर सवाल उठाया। विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव ने लिखित जवाब दिया तो हर कोई चौंक उठा। उन्होंने बताया कि टोल टेंडर की शर्तों के हिसाब से ही तय किया गया है।
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शर्तों के अनुसार टोल अवधि में लागत का 20 गुना टोल वसूला जाएगा। तीनों सड़कों की डीपीआर में पूर्ण में लागत का तीन से चार गुना ज्यादा टोल बताकर टेक्स वसूली की अवधि 25 साल तय की गई थी।
कुणाल चौधरी ने सवाल किया था कि 200 करोड़ से अधिक लागत वाली 9 बीओटी राजमार्ग के अंतर्गत निर्मित सड़कों के नाम बताएं. इसमें टोल शुरु और बंद होने की तारीख, लागत और 31 जनवरी 2022 तक वसूली गई राशि का ब्यौरा भी दें. इस पर मंत्री के जवाब में बताया कि 127 किमी वाले जावरा नयागांव मार्ग 2009 में 450 करोड़ में बना था. टोल वसूली 25 वर्ष तय हुई. इस टोल से अभी तक लागत से चार गुना 1662.75 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं.
जावरा नयागांव मार्ग जैसी अनेक सड़के हैं. लेबड़-जावरा मार्ग पर 31 जनवरी 2022 तक 1484.15 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। इसकी डीपीआर में लागत 420.71 करोड़ रुपए बताई गई, जबकि टेंडर में 471 करोड़ और प्रशासकीय लागत 605.45 करोड़ रु. बताई गई है। इस मार्ग में टोल अवधि 27 अप्रैल 2033 तक है यानि अगले 11 साल तक टोल लिया जाएगा। टोल अवधि के हिसाब से इस सड़क पर टोल वसूली 2900 करोड़ रुपए हो जाएगी।