गौरतलब है कि ट्रामा यूनिट को गंभीर रूप से घायलों को तत्काल चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने बनाया जाता है। इसमें डॉक्टरों की टीम के साथ पैरामेडिकल स्टाफ, ऑपरेशन थिएटर के साथ सीटी स्कैन जैसी आधुनिक सुविधाएं रहती हैं। आठ यूनिट्स ऐसे हैं जहां सिर्फ बोर्ड ही लग पाए हैं। इनमें पांच साल में उपरकण तक नहीं पहुंच पाए । इन सेंटर पर सिर्फ ट्रामा सेंटर का बोर्ड ही लगा है। इलाज के लिए मरीजों को प्राइवेट अस्पताल ही जाना पड़ रहा है।
राजधानी में सिर्फ मरहम-पट्टी
जेपी अस्पताल की ट्रामा यूनिट नर्सों के भरोसे चल रही है। कोई घायल जेपी अस्पताल पहुंचता है तो उसे हमीदिया अस्पताल भेज दिया जाता है। ट्रामा यूनिट में सिर्फ मरहम पट्टी की जाती है।
मप्र में सडक़ हादसों में बढ़े मौत के केस
सडक़ हादसों में मौत का ग्राफ कम करने की कवायद के बीच प्रदेश में वर्ष 2017 में 10,177 लोगों ने जान गंवा दी। वर्ष 2016 में ये आंकड़ा 9646 रहा। सडक़ हादसों में 962 बच्चों की मौत हो गई। इस आंकड़े के साथ मप्र, देश का तीसरा ऐसा राज्य बन गया है, जिसमें सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है।
जेपी अस्पताल में महिला ने दिया तीन बच्चों को जन्म
भोपाल। जयप्रकाश चिकित्सालय में एक महिला ने तीन बच्चों को जन्म दिया है। तीनों को हालत गंभीर होने पर उन्हें अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती किया गया है। बच्चों का वजन कम है और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। दरअसल, छिंदवाड़ा निवासी 22 वर्षीय सोनल सोनी को रविवार सुबह प्रसव पीढ़ा शुरू हुई। परिजनों ने अस्पताल जाने के लिए 108 को कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस के आने से पहले ही सोनल की घर पर डिलेवरी हो गई। इसके बाद परिजन उसे जेपी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां सीमा ने दो और बच्चों को जन्म दिया। अधीक्षक डॉ. आईके चुघ के अनुसार एक बच्चे का वजन 500 ग्राम और बाकी दो बच्चों का वजन 900 ग्राम है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है, इलाज किया जा रहा है।