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भोपाल

दो किलो का एक प्याज, जंगल में होती है खेती, औषधियों के रूप में उपयोग

– भोपाल हाट में वन मेला में प्रदेश के कई जिलों से जड़ी बूटियां लेकर आए हैं लोग
– देशी इलाज के लिए ओपीडी, वैघ और हकीम और चिकित्सक कर रहे जांच

भोपालJan 27, 2024 / 08:59 pm

शकील खान

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भोपाल। वन मेले में कई दुर्लभ जड़ी-बूटियां प्रदेश के कई जिलों से लाई गई हैं। इनमें जंगल के कंद मूल हैं तो वहीं पहाड़ों पर होनी वाली वनस्पति भी है। सामान्य प्याज से तीन से चार गुना बड़ी प्याज भी वन मेले में देखने को मिल रही है। एक प्याज का वजन करीब दो किलो तक है। इसकी खेती जंगल में होती है। उपयोग औष्धि के रूप में किया जाता है। लाल मक्का और हाइब्रिड अनाज भी कुछ जिलों से यहां लाया गया है।
भोपाल हाट में 24 जनवरी से वन मेले की शुरुआत हुई है। यह 28 तक जारी रहेगा। देशी जड़ी-बूटियों के लिए यहां कई जिलों के अलग-अलग स्टाल लगाए गए हैं। इनमें सौन्दर्य से जुड़ी सामग्री से लेकर कई बीमारियों में कारगर बूटियां रखी गई है। जंगल में उगने वाली प्याज यहां आकर्षण का केन्द्र बनी है। इसे लेकर आए अशोक नगर से महेन्द्र दास ने बताया कि दुर्लभ होती है। इसका कई रोगों के इलाज में उपयोग होता है। इसका आकार सामान्य प्याज से कई गुना ज्यादा होता है। वन मेले में लाल मक्का भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहा। इसके अलावा महुआ से बनी सामग्री, कई तरह के अनाज भी लोगों की पसंद बने हुए हैं। कई दुर्लभ औषधियों से लेकर देशी इलाज के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं।
देशी इलाज के लिए वैद्य, हकीम और चिकित्सक, सभी की अलग-अलग ओपीडी

वन मेले में जड़ी बूटियों से इलाज के लिए कई ओपीडी बनाई गई हैं। मेले में चिकित्सा परामर्श के लिए ओपीडी के 20 स्टाल हैं। इसमें 40 वैद्य, हकीम और चिकित्सक मौजूद हैं। फिर भी शनिवार दोपहर कई ओपीडी खाली पड़ी थी। इलाज के नुस्खे पूछने के लिए लोग चक्कर लगाते रहे। मेले का स्वरूप बदलने के साथ ही इस व्यवस्था में कमी देखी गई। पंजीयर काउंटर के सामने वैद्य और उनके ओपीडी काउंटर नंबर की लिस्ट लगी हुई थी।
कम पड़ रही जगह, पार्किंग में परेशानी, अंतिम दिन होगी दिक्कत

वन मेले का स्वरूप बदलने के साथ ही इसकी जगह भी कम हो गई। ऐसे में यहां पहुंचने वालों को परेशानी हो रही है। रविवार को अंतिम दिन है। उम्मीद की जा रही है बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे। स्थान की कमी के कारण परेशानी हो सकती है। पार्किंग के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में बार-बार वाहन हटाने के लिए एनाउंसमेंट किए जा रहे हैं।

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