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भोपाल

इन्हें सालभर का राशन देता है रावण, इसलिए पूज्यनीय है लंकेश

इन्हें सालभर का राशन देता है रावण, इसलिए पूज्यनीय है लंकेश

भोपालOct 18, 2018 / 05:10 pm

Manish Gite

Vijayadashmi 2018 ravan   making in bhopal

Vijayadashmi 2018 ravan making in bhopal

सभी के लिए रावण बुराई का प्रतीक है, तो चंद परिवार है जिनके लिए रावण पूज्यनीय भी है,क्योंकि रावण इन परिवारों के लिए सालभर के राशन की व्यवस्था कर जाता है। mp.patrika.com की एक रिपोर्ट…।


भोपाल। सभी के लिए रावण बुराई का प्रतीक है। कुछ परिवार इस प्रतीक को जलाकर खुशी मनाते हैं, वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनके लिए यह पूज्यनीय भी है। वे खुद रावण बनाते भी हैं और दूसरों को जलाने के लिए बेच देते हैं।

जी हां, यह रावण कई परिवारों का पेट भी पालता है। यह रावण सालभर में एक बार जलाया जाता है, लेकिन कुछ परिवारों के लिए सालभर के राशन की व्यवस्था कर देता है।

 

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तो रावण से मांग लेते हैं माफी
दशहरे पर पूरी दुनिया में बुराई के प्रतीक रावण का दहन किया जाता है, तब यही परिवार रावण से माफी मांग रहे होते हैं। यह रावण के पुतले बनाकर बेचने का काम करते हैं। रावण बिकने के बाद दशहरे पर ही इनकी दिवाली भी मन जाती है।

 

Vijayadashmi 2018 ravan making in bhopal

राजधानी में रावण बनाकर परिवार का पेट पालने वालों ने बताई पत्रिका को अपने मन की बात…।


भोपाल की लिंक रोड नंबर दो पर स्थित है अर्जुन नगर। यहां पर आधा दर्जन से अधिक दुकानें हैं, जो रावण बनाने का काम होता है। सालदर साल यह दुकानें भी बढ़ती जा रही है। यहां पर कई परिवार रावण मैकिंग का काम कर रहे हैं।

अनिल बंसल नामक एक कलाकार ने बताया कि वे कई सालों से रावण बना रहे हैं। कई लोग समय कम होने के कारण रेडिमेड रावण के पुतले खरीदते हैं। पिछले साल पांच सौ से 80हजार रुपए तक के रावण बनाए जाते थे, लेकिन इस साल एक हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक के रावण बनाए जा रहे हैं।

अनिल के साथ काम कर रहे राजू बंसल ने बताया कि दशहरे के दौरान 50 से 60 पुतले बिक जाते हैं। बंसल ने यह भी बताया है कि हमारे घर सालभर का राशन आ जाता है। यहां के सभी कलाकार चक्की चौराहे वाले ओमप्रकाश साहू को अपना गुरू मानते हैं। यह लोग कहते हैं कि महंगाई के कारण रावण का कद छोटा होता जा रहा है, लेकिन यह अच्छी बात है कि विजयी जश्न मनाने का जोश आज भी बरकरार है।

 

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एक हजार से लेकर लाख रुपए है कीमत
साहू के ही एक शिष्य संजय बघेल बताते हैं कि कई लोग दूसरे शहरों से भोपाल में बस गए हैं। इसलिए अपनी कॉलोनी में ज्यादा जान-पहचान नहीं होती है। इसलिए खुद बनाने की बजाय वे खरीदकर ले जाना पसंद करते हैं। एक दशहरे के आसपास 50 से 60 छोटे-बड़े रावण बिकते हैं।


रावण से मांग लेते हैं माफी
अरेरा कॉलोनी से लगे बांसखेड़ी क्षेत्र में भी रावण बनाने की अनेक दुकानें हैं। इस बार यहां 11 परिवार रावण बेचने का काम कर रहे हैं। इनमें से कुछ तो अतिरिक्त कमाई के लिए यह धंधा कर रहे हैं। इनके साथ परिवार की महिलाएं भी साथ दे रही हैं। रावण बनाने का काम करने वाले लोग काफी गरीब हैं। वे कहते हैं कि हमारे भगवान तो यही है, क्योंकि कुछ महिने का राशन हमारे परिवार को मिल जाता है। इसलिए हमारी रोजी-रोटी चलती रहे, इसलिए रावण बेचने के वक्त हम माफी भी मांग लेते हैं। यहां पर राम निवास वंशकार भी इन्हीं लोगों में से हैं जो रावण को पूज्यनीय मानते हैं। इनके पास से भी 20-25 पुतले बिक जाते हैं। इसके अलावा वे सालभर बांस की बल्लियां बेचने का काम करते हैं।

 

राम-लक्ष्मण भी बनाते हैं रावण
राजधानी के इन स्थानों पर रावण निर्माण करने में एक खास संयोग है। यहां रावण निर्माण करने वाले लोगों के नामों में एक समानता है। एक का नाम रामनिवास है। किसी का राम बाबू, रामरतन, रामू, लक्ष्मण और लखन है। यह लोग मिलकर रावण का निर्माण करते हैं।

इन स्थानों पर बनता है रावण
भोपाल के लिंक रोड नंबर-2, सेकंड नं. बस स्टॉप और लिंक नंबर 3 पर, अन्ना नगर, अंबेडकर नगर,चक्की चौराहा, छोला दशहरा मैदान के पास, बांसखेड़ी, समेत करीब एक दर्जन स्थानों पर रावण के पुतले बनाए जा रहे हैं।

 

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