बदले गए ब्रांच कोड और IFSC कोड
वहीं बीते दिनों ही भोपाल शहर में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी कई शाखाओं के ब्रांच कोड और IFSC कोड बदल दिए हैं। साल 2017 की शुरूआत में बैंक ने 5 सहायक बैंकों का एसबीआई में विलय कर दिया गया था। इनका एसबीआई में विलय होने के बाद इन बैंकों के ग्राहकों के लिए चेक बुक समेत कई चीजें बदल गई हैं। ऐसे में अगर आप भी इन 5 सहायक बैंकों के ग्राहक हैं, तो आपको एसबीआई से नये बदलावों के बारे में जान लें कि बैंक ने अपनी 1200 से ज्यादा शाखाओं के ब्रांच कोड और IFSC कोड बदल दिए हैं।
जानिए क्या है FRDI बिल
FRDI बिल के तहत सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू बैंकों) को यह अधिकार दिया जा सकता है कि दिवालिया होने की स्थिति में बैंक खुद ये तय करेगा कि जमाकर्ता को कितने पैसे वापस करने हैं। यानि की अगर बैंक डूबता है तो जमाकर्ता के सारे पैसे भी डूब सकते हैं। ये बात लोगों को पता चलने के बाद ऑनलाइन पेटीशन का दौर शुरू हो गया है. जिसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की सफाई आई है कि इससे बिल से कम रकम जमा करने वाले उपभोक्ताओं को कोई नुकसान नहीं होगा. जेटली ने कहा कि सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि वो जमाकर्ताओं के धन की रक्षा करेगी।
63 फीसदी लोगों ने जमा किया पैसा
जानकारी के लिए आपको बता दें कि करीब 63 फीसदी भारतीयों ने अपना पैसा सार्वजनिक या सरकारी बैंकों (पीएसयू बैंकों) में जमा कर रखा है। वहीं प्राइवेट की बात करें तो सिर्फ 18 फीसदी लोगों ने ही इन बैंकों में अपनी पैसा जमा किया है। बता दें कि जब भी कोई व्यक्ति बैंक में पैसा जमा करता है तो उसके बदलें में बैंक से किसी भी प्रकार की कोई गारंटी नहीं मिलती है। इस नजर से देखा जाए तो भारतीय असुरक्षित जमाकर्ता हैं। वहीं बात अगर दूसरे देशों की करें तो वहां पर लोग बैंक में कम पैसा जमा करते हैं।
संसद में भेजा जाएगा बिल
बता दें कि ये बिल अभी संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। यह बिल तैयार कर के अगस्त महीने में ही संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया है। सरकारी बैंकों की बात करें तो बैंकों के एनपीए (नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट) बैड लोन इस समय बढ़ कर छह लाख करोड़ से ज्यादा का हो गया है। भारत के सबसे बड़ी सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए इस साल के जून महीने में एक लाख 88 हजार करोड़ का हो चुका है। ये आकड़े अपने आप में सब कुछ दर्शा देता है। इन परिस्थितियों में अगर कोई बैंक डूबती है तो वे खुद को दिवालियापन से उबारने के लिए आम जनता के पैसों का इस्तेमाल करेंगे और नए बिल के मुताबिक उन्हें ये अधिकार मिल सकता है कि वे जमाकर्ता को कितना पैसा वापस करेंगे।
ये है नया नियम
नया नियम भी पूरी तरह से जनता के अपोजिट है। इस नये नियम के मुताबिक अगर बैंक में आपकी 10 लाख रुपये तक की राशि जमा है और अगर बैंक डूबे तो केवल 1 लाख रुपये तक की राशि वापस मिलेगी। बाकी पैसा बैंक खुद को संभालने के लिए आपका पैसा निगल जाएगा। इन सब के बाद अगर आप कोर्ट में केस भी नहीं कर पाएंगे क्योंकि सरकार ने खुद ही बैंक को ये अधिकार दे रखा है।
बैंक हर जमाकर्ता को एक लाख रुपये तक की गारंटी देता है। ये गारंटी डिपॉजिट इन्श्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के तहत मिलती है। इसका मतलब ये है कि अगर जमाकर्ता ने 50 लाख रुपये भी जमा कर रखे हैं और अगर बैंक डूबता है कि सिर्फ एक लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है। बाकी रकम असुरक्षित क्रेडिटर्स के क्लेम की तरह डील किया जाता है। यानि मौजूदा नियम में यह प्रावधान है कि दिवालिया होने की स्थिति में बैंक को एक निश्चित राशि जमाकर्ता को वापस करनी होगी, लेकिन नए नियम को लेकर अफवाह ये है कि बैंक खुद तय करेंगे तो आपको कोई रकम दी भी जाए या नहीं, और अगर दी जाए तो कितनी रकम दी जाए।