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भोपाल

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के बारें में जानिए A-Z फुल जानकारी

01 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू हो चुका है। जानिए GST के बारें में फुल नॉलेज।

भोपालNov 14, 2017 / 02:14 pm

Ashtha Awasthi

Goods and Services Tax

Goods and Services Tax

1. What is GST ( जीएसटी क्या है )

जीएसटी का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) है। इसका हिंदी में अर्थ ‘वस्तु एवं सेवा कर’ होता है। नरेंद्र मोदी सरकार Goods and Services Tax को देश का सबसे बड़ा कर सुधार बता रही है। सरकार ने सभी तरह के अप्रत्यक्ष करों को खत्म करते हुए एक राष्ट्र एक कर की परिकल्पना पर इसे लागू किया है। 01 जुलाई 2017 से यह देशभर में लागू हो चुका है। इसके लागू होते ही सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स, वैट, एक्साइज ड्यूटी जैसे अप्रत्यक्ष कर से लोगों को मुक्ति मिल चुकी है और उनकी जगह जीएसटी लग चुका है, जो देशभर में एक जैसे सामान पर समान रूप से लागू है। इससे पहले एक ही सामान पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कर लगता था।

वहीं जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू होने के बाद बात अगर मध्य प्रदेश की करें तो केंद्र से मिले हिस्से में मप्र के राजस्व में गिरावट देखने को मिली है। इसके चलते पिछले साल जहां अगस्त में मप्र को 1780 करोड़ का राजस्व मिला था। वहीं जीएसटी के बाद अब यह घटकर महज 900 करोड़ रह गया है। वहीं जानकारी के अनुसार यदि पिछले साल अगस्त के राजस्व में से डीजल, पेट्रोल और एविएशन फ्यूल हटा भी दें तो भी यह आंकड़ा तकरीबन 1200 करोड़ होता है। उसके बावजूद केवल 900 करोड़ सीधी तौर पर 300 करोड़ की कमी दर्शाता है।

ऐसे में माना जा रहा है कि चुनावी वर्ष में वित्तीय संसाधनों की कमी को रोकने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार को ज्यादा लोन लेना पड़ सकता है। दरअसल जीएसटी लागू होने के बाद अधिकांश कर समाप्त कर दिए गए हैं और राज्यों को हर दो माह में उनका हिस्सा देने की बात की गई है। यही नहीं केंद्र सरकार ने राज्यों को यह भी आश्वासन दिया है कि उन्हें उनके कर राजस्व का 14 प्रतिशत अधिक मिलेगा।

2. GST Benefits (जीएसटी के लाभ)

GST के लागू होते ही केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स सब खत्म हो चुकी हैं। राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह भी खत्म हो चुका है। हालांकि पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, रसोई गैस पर अलग-अलग राज्य में जो टैक्स लगते हैं, वो अभी कुछ साल तक जारी रहेंगे।

आम आदमी को जीएसटी से होने वाले 10 फायदे :

a. GST लागू होने पर सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को हुआ है, क्योंकि अब चीजें पूरे देश में एक ही रेट पर मिल रही हैं। चाहे किसी भी राज्य से खरीदें। रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं जैसे कि मोबाइल हैंडसेट, कार, सिगरेट, शराब, आदि गुड्स में शामिल हैं तो गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू होने के बाद इनके दामों में बड़ा बदलाव आया है और पूरे देश में एक समान दरें लागू हो गई हैं।

b. GST के लागू होने के बाद टैक्स चोरी पर लगाम लगा है। इसका सीधा असर देश की जीडीपी पर पड़ रहा है। फिलहाल भारत देश में 20 तरह के टैक्स लगते थे और जीएसटी आने के बाद सब टैक्स हटकर एक टैक्स लागू हो गया है, वो है जीएसटी।

c. आम जनता जो पहले सामान खरीदते वक्त उस पर 30-35% टैक्स के रूप में चुकाती थी, जीएसटी लागू होने के बाद ये टैक्स घटकर 20-25% हो गया है, तो इसका सबसे बड़ा फायदा आम जनता को मिल रहा है।

d. जीएसटी लागू होने पर कंपनियों का झंझट और खर्च कम हुआ है। व्यापारियों को सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होती है।अलग-अलग टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर सामान बनाने की लागत में भी कमी आई है।

e. राज्यों को डर ये था कि उनकी कमाई कम हो जाएगी। खासकर पेट्रोल डीजल से तो कई राज्यों का आधा बजट चलता है। तो वो राहत केंद्र ने राज्यों को दे दी। उन पर जो टैक्स राज्य ले रहे थे, वो शुरुआती बरसों में लेते रहें हैं और राज्यों का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई पांच साल तक केंद्र सरकार करेगी। इसके अलावा जीएसटी से जो टैक्स मिलेगा, वो केंद्र और राज्य में एक तय हिसाब से बट रहा है।

f. जीएसटी आने के बाद टैक्स ढांचा एकदम समान हो गया है और पूरी तरह पारदर्शी है, जिससे टैक्स विवाद में कमी आई है ढेरों टैक्स कानून और टैक्स नियामकों (रेगुलेटरों) का झंझट कम होने के आसार हैं। इससे एक ही संस्था, कंपनी, व्यक्ति पर कई बार टैक्स लगाने की दिक्कत खत्म हो गई है। कुल मिलाकर आम आदमी, कारोबारियों और सरकारों की जिंदगी बेहद आसान हो गई है।

3. GST Tax in India ( भारत में जीएसटी कर)


a. GST बिल के तहत 1 फीसदी इंटरस्टेट ट्रांजेक्शन टैक्स हटाया गया है। मूल विधेयक में राज्यों के बीच व्यापार पर 3 साल तक 1 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगना था।

b. बदलाव के बाद अब राज्यों को 5 साल तक 100 फीसदी नुकसान की भरपाई की जाएगी पहले 3 साल तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई का प्रावधान था।

c. विवाद सुलझाने के लिए नई व्यवस्था की गई है, जिसमें राज्यों की आवाज बुलंद होगी। पहले विवाद सुलझाने की व्यवस्था मतदान आधारित थी, जिसमें दो-तिहाई वोट राज्यों के और एक तिहाई केंद्र के पास थे।

d. विधेयक में जीएसटी के मूल सिद्धांत को परिभाषित करने वाला एक नया प्रावधान जोड़ा गया है, जिसमें राज्यों और आम लोगों को नुकसान नहीं होने का भरोसा दिलाया गया है।

4. GST History (जीएसटी का इतिहास)

वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी (GST) का भारत में लंबा इतिहास कहा जा सकता है। राजनीतिक तौर पर सहमति नहीं बनने के कारण इसके कार्यान्वयन में लगभग 14 साल लग गए। इस कर बदलाव को देश में अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार बताया गया। जिस कर प्रणाली को हमारे देश में एक अप्रैल 2010 से लागू करने का प्रस्ताव किया गया था वह एक जुलाई 2017 से लागू हुई।

– दरअसल पहली बार 2003 में प्रत्‍यक्ष कर पर केलकर कार्यबल ने जीएसटी का सुझाव दिया था। केलकर कार्यबल ने देश में वैट सिद्धांत पर आधारित एक व्‍यापक वस्‍तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का सुझाव दिया था। इसके बाद सबसे पहले वित्‍त वर्ष 2006-07 के बजट भाषण में एक अप्रैल 2010 से राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वस्‍तुए एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का प्रस्‍ताव किया गया था। चूंकि इसके प्रस्‍ताव में न केवल केन्‍द्र द्वारा लगाए जाने वाले अप्रत्‍यक्ष करों बल्कि राज्‍य द्वारा लगाए जाने वाले करों में भी सुधार और पुनर्गठन करना शामिल था इसलिए जीएसटी लागू करने का डिजाइन और रोडमैप तैयार करने की जिम्‍मेदारी राज्‍य वित्‍त मंत्रियों की अधिकार प्राप्‍त समिति को सौंपी गई।

केंद्र भारत सरकार और राज्‍यों से प्राप्‍त सुझावों के आधार पर इस अधिकार प्राप्‍त समिति ने नवम्‍बर, 2009 में वस्‍तु एवं सेवा कर पर अपना पहला विचार-विमर्श पत्र (एफडीपी) जारी किया।

जीएसटी से संबंधित कार्य को आगे बढ़ाने के क्रम में केन्‍द्र के साथ-साथ राज्‍य सरकार के अधिकारियों को शामिल करके एक संयुक्‍त कार्य समूह का सितम्‍बर, 2009 में गठन किया गया था।


जीएसटी लागू करने में सक्षमता के लिए संविधान संशोधन करने के लिए संविधान (155वां संशोधन) विधेयक मार्च, 2011 में लोकसभा में पेश किया गया। निर्धारित प्रक्रिया के साथ विधेयक को जांच और रिपोर्ट के लिए संसद की स्‍थायी वित्‍त समिति के पास भेजा गया।

– केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री और राज्‍य वित्‍त मंत्रियों की अधिकार प्राप्‍त समिति के मध्‍य 08 नवम्‍बर, 2012 को आयोजित बैठक में लिये गये निर्णय के अनुपालन में भारत सरकार, राज्‍य सरकारों के अधिकारियों और अधिकार प्राप्‍त समिति को शामिल करके ‘जीएसटी स्‍वरूप पर समिति’ का गठन किया गया।

– जीएसटी स्‍वरूप पर समिति ने जीएसटी स्‍वरूप और संविधान 115वां संशोधन विधेयक के बारे में विस्‍तृत विचार-विमर्श किया और जनवरी, 2013 में अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की। इस रिपोर्ट के आधार पर अधिकार प्राप्‍त समिति ने जनवरी, 2013 में भुवनेश्‍वर में आयोजित अपनी बैठक में संविधान संशोधन विधेयक में कुछ परिवर्तनों की सिफारिश की।

– राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) ने नवंबर 2013 में शिलोंग में अपनी बैठक के बाद विधेयक पर कुछ सिफारिशें की। अधिकार प्राप्त समिति की कुछ सिफारिशें प्रारूप संविधान (115वां संशोधन) विधेयक में शामिल की गई। संशोधित प्रारूप मार्च 2014 में अधिकार प्राप्त समिति के विचार के लिए भेजा गया।

 

– जीएसटी लागू करने के लिए लोकसभा में मार्च 2011 में 115वां संविधान (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। 15वीं लोकसभा भंग होने से यह विधेयक स्वतः समाप्त हो गया।

– एन. जून, 2014 में नई सरकार की स्वीकृति के बाद प्रारूप संविधान संशोधन विधेयक अधिकार प्राप्त समिति को भेजा गया। विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर उच्च अधिकार प्राप्त समिति के साथ बनी सहमति के आधार पर मंत्रिमंडल ने 17/12/2014 को देश में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन के लिए विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 19/12/2014 को विधेयक लोकसभा में पेश किया गया और सदन ने इसे 06/05/2015 को पारित कर दिया। फिर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजा गया। समिति ने 22/07/2015 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालांकि विभिन्न मंजूरियों के बाद इसे 01 जुलाई 2017 से अमली जामा पहनाया गया।

5. GST Impact in Madhya Pradesh and India (मध्य प्रदेश और भारत में जीएसटी का प्रभाव)


गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) बिल के लागू होने के बाद तमाम कई इनडायरेक्ट टैक्सों को हटाकर उनकी जगह एक टैक्स लगाया गया है। इससे न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई फायदे हुए हैं।

– देश में अभी लागू 17 इनडायरेक्ट टैक्सों की जगह सिर्फ एक टैक्स जीएसटी लगा हुआ है। इससे बार-बार टैक्स देने का झंझट खत्म हो गया है और लागत भी कम हो गई है।

– इनपुट टैक्स क्रेडिट, सप्लायर को टैक्स अदा करने के लिए उत्साहित कर रहा है। राज्य और केंद्र दोंनो टैक्स पेमेंट पर नजर रखी जी रही है। टैक्स फ्री गुड्स की संख्या में कमी आ रही है।

– बाजार अभी तक राज्य की सीमाओं के साथ बंटा हुआ था, जीएसटी आने के बाद यह कॉमन मार्केट बन गया है।

– लॉजिस्टिक और इन्वेंट्री कॉस्ट में गिरावट हर एक स्टेट बॉर्डर पर चेकिंग से ट्रक मूवमेंट स्लो हो जाता है। भारत में एक दिन में औसतन 280 किलोमीटर चलने वाले ट्रक की तुलना में अमेरिका के ट्रक 800 किलोमीटर चलते हैं।

– अभी कई कैपिटल गुड्स के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाता था। जीएसटी आने के बाद कैपिटल गुड्स की लागत में 12 से 14 प्रतिशत की गिरावट आ रही है। कैपिटल गुड्स इन्वेस्टमेंट में छह प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

– मेक इन इंडिया- जीएसटी लागू होने के बाद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र काफी प्रतिस्पर्धी हो रही है और मेक इन इंडिया में तेजी आई है।

– पहले राज्य के बाहर समान ले जाने पर दो प्रतिशत का टैक्स लगाया जाता था इससे राज्य में होने वाला उत्पादन राज्य के ही अन्दर रह जाता था। जीएसटी के आने के बाद एक नैशनल मार्केट तैयार हो रहा है जिससे नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

– मैन्युफैक्चर्ड सामान सस्ता हो रहा है।

HSBC के मुताबिक जीएसटी लागू होने के तीन से पांच साल के बाद जीडीपी में 80 बेसिस पॉइंट का इजाफा होगा।

– ऑनलाइन मार्केट को फायदा- कुछ राज्यों में ई-कॉ़मर्स के नियम काफी पेचीदा होते हैं जिससे उन्हें इन राज्यों में अपना बिजनस करने में दिक्कत होती है। कई ऑनलाइन सेलर्स ऐसे हैं जो कुछ राज्यों में समान ही नहीं भेजते। जीएसटी आने के बाद यह सब खत्म होने की कगार पर है।

6. GST And its Impact on indian economy (भारतीय अर्थव्यवस्था पर जीएसटी के पॉजिटिव इफेक्ट ( positive effect) ) :

a.बिजनेस बूस्टर

जीएसटी पूरे देश के लिए लाभदायक है। यह उद्योग, उपभोक्ता और सरकार के सभी हितधारकों को लाभ पहुंचा रही है। इससे माल और सेवाओं की लागत कम होने के आसार दिख रहे है। अगर ऐसा सच में हो रहा है तो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी उत्पादों और सेवाओं का लाभ पूरी तरह से उठाया जा सकेगा। जीएसटी का उद्देश्य आम कर दरों और प्रक्रियाओं के साथ भारत को एक सामान्य बाजार बनाना है और इसकी आर्थिक बाधाओं को दूर करना है। यह राष्ट्रीय स्तर पर एक एकीकृत अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। अधिकांश केन्द्रीय और राज्य करों को एक ही कर में लाकर और संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में लेनदेन के लिए पूर्व-स्तरीय करों का सेट-ऑफ़ करके, यह कैस्केडिंग के खराब प्रभावों को कम करेगा, प्रतिस्पर्धा में सुधार करने के साथ साथ कारोबार की तरलता अनुपात में सुधार करने की ओर अग्रसर है। जीएसटी प्रणाली काफी हद तक प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

b. मेक इन इण्डिया पहल

जीएसटी से भारत में निर्मित वस्तुओं और सेवाओं के प्रति राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतियोगिता बढ़ती हुई दिख रही है, जिस कारण भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। इसके अलावा सभी आयातित सामानों को एकीकृत कर (आईजीएसटी) के दायरे में लाया जायेगा जो कि सेंट्रल जीएसटी + स्टेट जीएसटी के बराबर है। यह स्थानीय उत्पादों पर लगने वाले कराधानों के बीच समानता लाने की ओर अग्रसर है।

c.पारदर्शिता

जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद अप्रत्यक्ष कर कानून और अधिक पारदर्शी होते दिख रहे है। जीएसटी के जरिये आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण पर कर लगाया गया, क्योंकि पिछले चरण के करों के भुगतान के बाद आपूर्ति को अगले चरण पर सेट किया जाता है। इससे आपूर्ति के कर मूल्य और अर्थशास्त्र को पृथक करने में आसानी होती है। इससे उपभोक्ता को भुगतान करने वाले करों की सटीक राशि को जानने में मदद मिल रही है।

d.आसान कर भुगतान

जीएसटी से केंद्र सरकार के अप्रत्यक्ष कर कानूनों और सर्विस टैक्स जैसे सेंट्रल एक्साइज, वैट, एंटरटेनमेंट टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंट्री टैक्स, लक्ज़री टैक्स इत्यादि जैसे राज्य सरकारों के असंख्य कर रिकॉर्डों को बनाए रखने की अनिवार्य आवश्यक्ता स्वतः ही समाप्त हो गई है। अब सिर्फ आंतरिक राज्य आपूर्ति (जो लगभग समान कानून हैं) के लिए केंद्रीय सामान और सेवा कर अधिनियम और राज्य (या संघ शासित प्रदेश) के सामान और सेवा कर अधिनियम के संबंध में रिकॉर्ड बनाया जा रहा है।

e. अनुसंधान और विकास

करदाताओं द्वारा प्राप्त आरएंडडी सैस की सर्विस टैक्स पर भी छूट दी गई है। सरकार के इस कदम का उद्योग द्वारा स्वागत किया गया क्योंकि आरएंडडी उपकर करदाताओं के लिए एक बोझ के सामान था। आरएंडटी उपकर की समाप्ति से निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी आयात को प्रोत्साहन मिल रहा तथा घरेलू मूल्य में वृद्धि भी प्रोत्साहित कर रही है।

f. विनिर्माण

माल के विनिर्माण / उत्पादन की प्रक्रिया से सम्बंधित सेवाओं को नकारात्मक सूची से निकालकर छूट वाले सेवाओं की सूची में स्थानांतरित कर दिया गया है.अतीत में इसी तरह के संशोधन किए गए थे जहां नकारात्मक सूची से सामान्य छूट सूची में प्रवेश किया गयाथा। हालांकि इस संशोधन से कोई तात्कालिक लाभ नहीं हुआ इससे सरकार को वित्त अधिनियम प्रावधानों में संशोधन एवं सुधार की दिशा में कदम उठाने की बजाय भविष्य में इस श्रेणी में आने वाली सभी सेवाओं पर टैक्स लागू करने के लिए केवल एक अधिसूचना लागू करने की शक्ति मिली है।

g. प्रौद्योगिकी

ऐसा माना जाता है कि प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए जीएसटी बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है क्योंकि यह कई लेवी को खत्म कर देगा। इससे डिजिटल सेवाओं का विस्तार हो रहा है। जीएसटी लागू होने से आईटी कंपनियों के पास कई डिलीवरी केंद्र और कार्यालय हैं जो एक एकल अनुबंध के आधार पर मिलकर काम कर रहे हैं।

h. कृषि

जीएसटी कृषि उत्पादों के लिए एक राष्ट्रीय कृषि बाजार स्थापित करने में उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसमें कृषि-वस्तुओं के पारदर्शी, निष्पक्ष व्यापार के लिए सामान्य ई-कॉमर्स मंच के साथ विनियमित बाजारों में सभी किसानों और व्यापारियों को शामिल किया गया है।

7. GST Registration Process

सरकार ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए सामान्य सा ऑनलाइन प्रोसेस रखा है। करदाताओं को रजिस्ट्रेशन के लिए जीएसटी की ऑफिशियल पोर्टल gst.gov.in पर जाना होगा। यहां दो विकल्प दिए गए हैं Taxpayers (Normal) और GST Practitioners. आपसे संबंधित विकल्प के नीचे लिखे Register Now पर क्लिक करें। रजिस्ट्रेशन से पहले ही जरूरी दस्तावेज तैयार रखें। नई टैब ओपन होगी। यहां आपको नाम, पता, पैन नंबर, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर जैसी जानकारी देने के बाद Proceed पर क्लिक करना होगा। जानकारी सही होने पर आपको एक ओटीपी मिलेगा, ओटीपी Verification होने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी कर रजिस्ट्रेशन कर लें। इसके अलावा अपना Temporary Reference Number (टीआरएन) डालने के बाद भी रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। यहां भी आपकों वन टाइम पासवर्ड डालने के बाद Proceed पर क्लिक करना होगा। किसी भी तरह की परेशानी होने पर cbecmitra.helpdesk@gst.gov.in पर अपनी डिटेल्स भेज सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 1800-1200-232 पर कॉल कर सकते हैं।

8- How to check online GST Registration status

– स्टेटस चेक करने के लिए भी www.gst.gov.in पर जाना होगा।
– अब होमपेज पर दिए गए ‘Services’ विकल्प पर क्लिक करें।
– Track Application Status पर क्लिक करें।
– अपना ARN नंबर डाल दें, जो आपको ईमेल आईडी पर मिला होगा।
– captcha भरें और सर्च बटन पर क्लिक करें।
– एप्लिकेशन का स्टेटस आ जाएगा।

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