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भोपाल

मध्यप्रदेश की ऐसी त्रासदी, जिसे कभी नहीं भूल पाएगा देश

मध्यप्रदेश के मंदसौर में हुए किसान आंदोलन की गूंज पूरे देश ने सुनी। इस आंदोलन में गोलीबारी में 6 लोगों की मौत का मामले ने बड़े किसान आंदोलन का रूप ले

भोपालDec 25, 2017 / 06:13 pm

Manish Gite

YEAR ENDER 2017

भोपाल। मध्यप्रदेश के मंदसौर में हुए किसान आंदोलन की गूंज पूरे देश ने सुनी। इस आंदोलन में गोलीबारी में 6 लोगों की मौत का मामले ने बड़े किसान आंदोलन का रूप ले लिया था। देशभर में राजनीति हुई। साल 2017 की यह एक दुखद घटना बन गई। कई अप्रिय घटनाओं की ये सभी तारीखें ताउम्र लोगों को याद रहेंगी।

mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है मंदसौर किसान आंदोलन के बारे में, जो साल 2017 में मध्यप्रदेश की फिजा में बदनुमा दाग लगा गया…।

2 जून 2017
कहां और कैसे शुरू हुआ आंदोलन
महाराष्ट्र में किसानों की हड़ताल का असर मध्यप्रदेश में भी होने लगा था। 2 जून को इंदौर, धार, उज्जैन, नीमच, मंदसौर, रतलाम, खरगौन और खंडवा के किसान अपने-अपने क्षेत्र में आंदोलन कर रहे थे। सब्जी के दाम बढ़ने लगे, दूध की सप्लाई रोक दी गई। किसानों ने दूध को सड़कों पर बहाना शुरू कर दिया था।

 

 

6 जून 2017
मंदसौर में हिंसक हुआ आंदोलन
इस बीच, मंदसौर में मंगलवार 6 जून को किसान जमा हुए, लेकिन देखते ही देखते यहां आंदोलन हिंसक हो गया। फायरिंग और पथराव के दौरान 6 किसानों की मौत की खबर ने पूरे प्रदेश में आंदोलन की लहर दौड़ गई। यहां सुरक्षा बलों की गोली से 6 किसान मारे गए। मंदसौर और आसपास के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया। कई नेताओं को बंधक बना लिया गया था। गुस्साए किसानों ने रेलवे की पटरियां तक उखाड़ दी थी।

6 जून 2017
एक-एक करोड़ का मुआवजे का ऐलान
आंदोलन के हिंसक होने के बाद जब 6 किसानों की मौत हो गई तो सरकार जागी और उसने मृत किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए के मुआवजे का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देने को कहा। इसके अलावा घायल किसानों को 5 लाख रुपए सहायता और निःशुल्क इलाज की भी घोषणा की गई।
KISAN ANDOLAN
7 जून 2017
शव रखकर किया चक्काचाम
बरखेड़ापंत गांव के किसान अभिषेक की गोली लगने से हुई मौत के बाद बुधवार 7 जून को को सुबह से हजारों किसानों ने शव रखकर हाईवे जाम कर दिया। यहां किसानों को समझाने पहुंचे कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह और एसपी के साथ किसानों ने मारपीट कर दी और उनके कपड़े फाड़ दिए। काफी दूर तक उन्हें पैदल ही खदेड़कर ले जाया गया।
रेलवे लाइन उखाड़ दी
मंदसौर से 8 किलोमीटर दूर बरखेड़ा पंत में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइन की पटरियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके साथ ही कई किसान रेलवे लाइन की पटरियों पर जमा हो गए थे। किसानों का गुस्सा देखते हुए मल्हारगढ़ के लिए जाने वाली ट्रेन को रास्ते में ही रोक दिया गया और उसे वापस मंदसौर स्टेशन ले जाया गया। इस दौरान 15 से 20 ट्रेनें प्रभावित हुई।
BHUPENDRA SINGH
8 जून 2017
पुलिस चौकियां भी बनी शिकार
-किसानों के गुस्से का शिकार पुलिस चौकियां भी बनीं।
-मंदसौर क्षेत्र के बहीगांव और भानपुर पुलिस चौकी में भी तोड़फोड़ की गई।
-पुलिस चौकियों से लगी शासकीय दुकानें भी क्षतिग्रस्त कर दी गई।
-यूको बैक के एटीएम के बाद बैंक में भी आग लगा दी गई।
-भानपुरा की सब्जीमंडी में भी आग लगा दी गई। कई हाथ ठेले जलाए गए।
-बहुचौपाटी और बरखेड़ा पंथ में किसानों और पुलिस में झड़प। पथराव के बाद पुलिस ने आंसुगैस के गोले छोड़े गए।
-16 से अधिक मोटरसाइकिलों में आग लगा दी गई।
मंदसौर-नीमच और रतलाम के आसपास के सभी रास्तों पर जाम लगा दिया गया था।
-राजस्थान से मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाले वाहन मालखेड़ा में ही रोक दिए गए थे।
-छह ट्रकों और 15 पुराने वाहनों में आग लगा दी गई।
-कलेक्टर स्वतंत्रकुमार सिंह और एसपी ओपी त्रिपाठी को पीटा, कपड़े फाड़े।
-BJP के पूर्व विधायक के वाहन को फूंका।
-पूर्व विधायक राधेश्याम पाटीदार को वाहन से उतार कर लगाई आग।
कई बड़े नेताओं को प्रशासन ने रोका
आंदोलन के उग्र रूप लेने के बाद कई वीवीआईपी और बड़े नेताओं को मंदसौर की तरफ जाने से रोक दिया गया। वे मृतक किसानों के परिजनों से मिलने जाना चाहते थे। भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था।
8 जून 2017
कलेक्टर और एसपी पर गिरी गाज
आंदोलन से प्रभावित मंदसौर, नीमच और रतलाम के कलेक्टरों को तत्काल हटा दिया गया था। तीनों को ही स्थिति नियंत्रित नहीं कर पाने के बाद बदला गया। इसी बहाने प्रदेश में आईएएस और आईपीएस अफसरों की बड़ी सर्जरी भी कर दी गई।
8 जून 2017
पहले इनकार, बाद में स्वीकारा
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा था कि किसानों के ऊपर गोलियां पुलिस या सीआरपीएफ ने नहीं चलाई थी। किसानों की मौत किसकी गोली से हुई यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन बाद में जांच के बाद गृहमंत्री ने स्वीकारा कि गुरुवार 8 जून को मीडिया से कहा कि इन किसानों की मौत पुलिस की गोली लगने से ही हुई है। हालांकि बाद में यह समाचार भी सामने आया था कि वहां के एसपी और कलेक्टर ने ही गृहमंत्री को गलत जानकारी दी थी। इसी के बाद दोनों अफसरों को हटा दिया गया।
8 जून 2017
हां, हमने चलाई गोली- डीजीपी
पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने स्वीकार किया था कि गोली पुलिस ने ही चलाई। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि गोली जिन हालातों में चलाई गई, उस दौरान दूसरा विकल्प नहीं था। गोलियां सिर्फ अपने बचाव के लिए चलाई गईं।
YEAR ENDER 2017
9 जून 2017

राजधानी तक पहुंची आंदोलन की आग

किसान आंदोलन की आग शुक्रवार सुबह तक भोपाल पहुंच गई थी। किसान इंदौर-भोपाल हाईवे पर प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने एक ट्रक में आग लगा दी और चक्काजाम कर दिया। इस दौरान कई बसों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस को आंसू गैस के गोले दागे और हवाई फायर करना पड़ा।
10 जून 2017
शिवराज का उपवास
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि शांति बहाली के लिए वो शनिवार से भोपाल में उपवास पर बैठेंगे। उन्होंने वहां से सरकार भी चलाएंगे और किसानों से बात भी करेंगे।
11 जून 2017

शिवराज ने उपवास तोड़ा
किसान आंदोलन के दौरान शांति बहाली की अपील को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार 11 जून को भोपाल में अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया। यहां किसानों से मुलाकात की और उनकी कई मांगों पर फैसला हुआ। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी और कई बुजुर्ग किसानों ने मुख्यमंत्री को नारियल पानी पिलाकर उनका उपवास तुड़वाया।
16 जून 2017
मध्यप्रदेश के कई इलाकों में किसानों की तरफ से धरना-प्रदर्शन चलता रहा। हालांकि अब यह हिंसक नहीं रह गया था। फिर भी सरकार और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा।

YEAR ENDER 2017
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