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भुवनेश्वर

अगले साल से हो सकता है रथयात्रा के लिए काठ का संकट, जगन्नाथ रथायात्रा कोआर्डिनेशन कमेटी ने जताई चिंता

प्रताप जेना ने कहा कि पुरी में भक्तों और पर्यटकों को कोई असुविधा न होने पाए इसका विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए…

भुवनेश्वरJun 13, 2019 / 07:54 pm

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अगले साल से हो सकता है रथयात्रा के लिए काठ का संकट, जगन्नाथ रथायात्रा कोआर्डिनेशन कमेटी ने जताई चिंता

(पुरी,पत्रिका ब्यूरो): जगन्नाथ रथयात्रा के लिए अगले साल से काठ का संकट उत्पन्न हो सकता है। राज्य सरकार द्वारा चिन्हित चार जगन्नाथ वन प्रकल्प की ताजी हालत क्या है, यह बताने में विभागीय अधिकारी अगली-बगली झांकते रहे। रथयात्रा समन्वय समिति में तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई। समिति के अध्यक्ष प्रभारी मंत्री प्रताप जेना ने कहा कि भक्तों को असुविधा नहीं होनी चाहिए। वन प्रकल्प पर उन्होंने वन विभाग से रिपोर्ट मांगी। उल्लेखनीय है कि 20 साल पहले 2500 हेक्टेयर में महाप्रभु के रथ के लिए काठ (लकड़ी) का अग्रिम प्रबंध के लिए वन प्रकल्प चिन्हित किए गए थे। यह वन क्षेत्र पुरी, नयागढ़, खोरदा व अनुगुल में था। अब हालत क्या है? वन विभाग संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।


जगन्नाथ धाम पुरी में नौ दिवसीय जगन्नाथ यात्रा 4 जुलाई से शुरू होगी। यात्रा की तैयारियां जोरों पर है। श्रीमंदिर प्रशासन, प्रबंध समिति और सेवायतों के बीच तालमेल बैठाकर ऐतिहासिक धार्मिक पारंपरिक रथयात्रा की तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। आज रथयात्रा समन्वय समिति की तीसरी समन्वय बैठक नीलाद्रि भक्त निवास पुरी में हुई जिसमें तैयारियों का जायजा लिया गया और फानी के प्रभाव से उजड़े पुरी का पुराना वैभव लाने की चेष्टा पर चर्चा हुई।


बैठक की अध्यक्षता राज्य सरकार के विधि मंत्री प्रताप जेना ने की। इस अवसर पर मंत्री पद्मनाभ बेहरा, श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक पीके महापात्रा, क्षेत्रीय विकास आयुक्त एके सामल, आईजी पुलिस एसके प्रियदर्शी, पुलिस अधीक्षक उमाशंकरर दास व संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।


बैठक में प्रताप जेना ने कहा कि पुरी में भक्तों और पर्यटकों को कोई असुविधा न होने पाए इसका विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने श्रीमंदिर प्रशासक पीके महापात्रा से कहा कि फानी से मंदिर को हुए नुकसान को ठीक कराएं। उधर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक ने कहा कि रिपेयरिंग वर्क रथयात्रा शुरू होने से पहले ही पूरा कर लिया जाएगा। पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम 5 व 6 जुलाई को मुख्य मंदिर के गर्भ गृह का निरीक्षण करेगी। रिपेयरिंग संबंधी काम 14 जुलाई तक पूरा हो जाएगा। टीम का काम मंदिर की सुरक्षा और संरक्षा का है। गर्भ गृह, नाट्य मंडप, रसोई गृह व श्रीमंदिर परिसर में कुछ रिपेयरिंग का काम होना है। इसके अलावा मुख्य द्वार यानी सिंह द्वार स्थित जय-विजय की प्रतिमाओं को 16 जुलाई को स्थापित कर दिया जाएगा। मालूम हो कि फॉनी तूफान में यह प्रतिमा टूट गयी थी। नीलचक्र का रसायनिक विश्लेषण किया जाएगा ताकि यह टिकाऊ बना रहे।

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