कड़ी मेहनत के बाद सपना हुआ पूरा
मीडिया से वार्ता करते हुए प्रदीप कुमार ने कहा कि उनका सपना फील्ड वर्क वाली सम्मानजनक पोस्ट प्राप्त करना था, जो कड़ी मेहनत के बाद अब पूरा हुआ है। बताया कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर भगतावाला से एवं वर्ष 2014, इंटरमीडिएट की परीक्षा गांव सादकपुर स्थित इंटर कलेज से उत्तीर्ण की। कई दोस्तों व शिक्षकों से प्रेरणा प्राप्त कर आईआईटी की तैयारी शुरू कर दी और सेल्फ स्टडी कर पहले ही प्रयास में आईआईटी जेईई मेंस की परीक्षा पास कर ली। जिसमें उनका एनआईटी श्रीनगर में नंबर आ गया, लेकिन उस समय एडमिशन के लिए 50,000 रुपए की व्यवस्था नहीं हो पाने व समय पर श्रीनगर न पहुंच पाने के कारण वह एनआईटी में एडमिशन नहीं ले पाए।
प्रदीप कुमार ने अपना प्रयास जारी रखा और वर्ष 2015 में पुनः जेईई मेंस एवं जेईई एडवांस क्वालीफाई किया और उन्हें आईआईटी दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियर की ब्रांच मिली। एक वर्ष बाद उन्होंने इसे चेंज करके इलेक्ट्रिकल ब्रांच कर लिया। वर्ष 2019 में आईआईटी उत्तीर्ण कर केंपस प्लेसमेंट से बेंगलुरु की एक कंपनी में प्राइवेट जॉब की।
प्राइवेट जॉब के दौरान पास किया सिविल सर्विसेज का एग्जाम
प्राइवेट जॉब करने के दौरान वर्ष 2020 में भारतीय इंजीनियरिंग सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की। जिससे विद्युत मंत्रालय आरकेपुरम नई दिल्ली में सहायक निदेशक की जॉब मिली। लेकिन यूपीएससी का सपना देखते हुए वे लगातार प्रयासरत रहे और दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी में 686 वी रैंक हासिल कर ली और आईपीएस बनकर अपना सपना पूरा करते हुए क्षेत्र का नाम रोशन किया।