योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय परिसर, बीछवाल के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के निदेशक डॉ. देवाराम काकड़ के अनुसार कभी-कभी समस्या को दूर करने के लिए प्राकृतिक चीजों को चुनना सबसे अच्छा विकल्प होता है। हमारा शरीर पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश से बना है। मिट्टी में शरीर को अंदर से ठीक करने और किसी भी असंतुलन को ठीक करने की क्षमता होती है। प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी चिकित्सा में (मड) मिट्टी का वैज्ञानिक उपयोग तरीके से किया जाता है, ताकि शरीर को भीतर से लाभ मिल सके। इसमें बहुत सारे महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं, जो शरीर में खराब विषाक्त पदार्थों से लड़ते हैं। चूंकि इसके बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ भी हैं।
मड बाथ के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी साफ और प्रदूषण से मुक्त होनी चाहिए। इसे जमीन की सतह से 60 सेमी की गहराई से चिकनी या मुल्तानी मिट्टी का उपयोग किया जाता है। उपयोग करने से पहले, मिट्टी को सूरज की किरणों में सुखाया जाना चाहिए। अशुद्धियों को अलग करने के लिए पाउडर और छाना जाता है। साफ मिट्टी के पाउडर को रात को पानी में भिगोकर सुबह मिट्टी – पानी (आवश्यकतानुसार) मिलाकर अच्छे से पेस्ट बनाया जाता है। सुबह खाली पेट पूरे शरीर पर मिट्टी का लेप कर किया जाता है। शरीर की पूरी स्किन हाइड्रेट होती है। आधा घंटे बाद साफ पानी से स्नान करवाया जाता है।मड थेरेपी आपकी कई तरह से मदद कर सकती है।
आपकी त्वचा को बेहतर बनाने से लेकर, मानसून के दौरान रोग मुक्त भी रखती है। अर्थराइटिस, तनाव, अनिद्रा, कब्ज, पिंपल को दूर कर त्वचा को चमकदार, आंतों की गर्मी को शांत करने में कारगर होती है। मिट्टी विषाक्त पदार्थों को दूर करती है और यह त्वचा और ब्लड पर शीतलन प्रभाव पैदा करता है, जिससे शरीर में पित्त के बुरे प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह किसी भी अशुद्धि की त्वचा को डिटॉक्सीफाई करता है, जिससे आपको सॉफ्ट और तरोताजा त्वचा मिलती है। हमें उत्तम स्वास्थ्य के लिए समय – समय पर योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की क्रियाओं का अभ्यास करते रहना चाहिए, क्योंकि यह पद्धति हमारे जीवन जीने की कला है।