शहर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के प्रभाव के कारण मजदूरों के पलायन की संभावना है। ऐसे में संभव है प्रशासन को इन मजदूरों को इन आश्रय स्थलों में ठहराना पड़े। अगर मजदूरों के साथ उनके परिवार की महिलाएं भी हुई तो उन्हें यहां ठहराने के लिए निगम को वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ सकती है। गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों को इन आश्रय स्थलों में आसरा मिला था। महिलाओं व पुरुषों के ठहरने के लिए कक्ष भी अलग-अलग थे।
पहले अलग-अलग कक्ष नगर निगम शहर में चार स्थानों पर आश्रय स्थल संचालित कर रहा है। ये आश्रय स्थल बीछवाल अग्निशमन केन्द्र परिसर, बीछवाल निजी बस स्टैण्ड, सैटेलाइट अस्पताल परिसर और रेलवे स्टेशन के पास चल रहे हैं। प्रत्येक आश्रय स्थल में ठहरने के लिए पुरुष व महिलाओं के लिए अलग-अलग कक्ष बने हैं। इनके एक-एक कक्ष के इंदिरा रसोई के काम आने के कारण अब एक-एक कक्ष ही लोगों के ठहरने के लिए उपलब्ध है।
१२० लोगों के ठहरने की व्यवस्था चारों आश्रय स्थलों में वर्तमान में १२० बेड उपलब्ध है। इसमें १२० लोगों को ही ठहराया जा सकता है। एक कक्ष होने के कारण आश्रय स्थल में २५ से ३० लोगों को ठहराया जा सकता है। अगर दोनों कक्ष आश्रय स्थल के लिए उपलब्ध हो तो करीब ढाई सौ लोगों के रहने की व्यवस्था हो सकती है।
गर्मी से बचाव व शीतल जल चारों आश्रय स्थलों में गर्मी को देखते हुए कूलर, पंखे और शीतल जल की व्यवस्था की गई है। डेएनयूएलएम प्रबंधक नीलू भाटी के अनुसार कूलर सही करवाए गए हैं। कमी है तो नई खरीद की जा रही है। आरओ और वाटर कूलर लगे हुए हैं। सोडियम हाइपोक्लोराइट के छिड़काव की कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया है। नियमति छिड़काव के लिए एक-एक हैण्ड स्प्रे मशाीन चारों आश्रय स्थलों में रखी जाएगी। मास्क और हैण्ड सेनेटाइजर की सुविधा पहले से है। यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के तापमान की जांच के लिए थर्मल स्क्रीनिंग मशीनों की व्यवस्था है। भाटी के अनुसार रेलवे स्टेशन आश्रय स्थल पर दस महिलाओं को ठहराने की व्यवस्था अलग से की गई है। वहीं अन्य आश्रय स्थलों पर भी तीन से चार महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था है।