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बीकानेर

प्रसूताओं को जननी सुरक्षा के लाभ का इंतजार

bikaner news- प्रसूताओं में 60 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं, इनमें भी 40 फीसदी प्रसूताओं की ऑपरेशन से डिलीवरी

बीकानेरJul 24, 2019 / 11:03 am

Jai Prakash Gahlot

bikaner- pbm hospital news : rajshree yojana

प्रसूताओं को जननी सुरक्षा के लाभ का इंतजार

जयप्रकाश गहलोत

बीकानेर. प्रसव जैसे संवेदनशील मामले में सरकार की और से जननी सुरक्षा योजना के तहत की जानी वाली मदद यहां प्रसूताओं को आसानी से नहीं मिल रही। पीबीएम अस्पताल प्रशासन के पास कई चक्कर लगाने के बाद भी २७८० प्रसूताओं को योजना राशि का इंतजार है। इसके पीछे एक वजह अस्पताल प्रशासन की और से भुगतान के लिए लगे कार्मिकों की आपसी खींचतान भी है।
ऐसे कई उदाहरण है जिनमें प्रसूताओं को प्रसव होने के बाद मिलने वाली राशि आज तक नहीं मिली है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते प्रसूताओं का लाखों रुपए बकाया पड़े हैं। प्रशासन भी भुगतान के बढ़ते मामलों को लेकर गंभीर नहीं दिखता।
हर माह दो हजार से अधिक प्रसव
पीबीएम के जनाना अस्पताल में हर माह दो हजार से अधिक प्रसव होते हैं। इन प्रसूताओं में भी ६०
फीसदी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं होती है। इनमें भी ४० फीसदी प्रसूताओं की डिलीवरी ऑपरेशन से होती हैं। पीबीएम अस्पताल में काफी लंबे समय से दो हजार ७८० प्रसूताओं को प्रसव के बाद मिलने वाली राशि का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। इन प्रसूताओं के करीब आठ से दस लाख रुपए बकाया है। विदित रहे कि पूर्व में साढ़े छह हजार प्रसूताओं का भुगतान अटका हुआ था।
भुगतान में है दिक्कत
नाम, बैंक खाता संख्या, आधार कार्ड व भामाशाह में त्रुटियां होती है, जिससे कई प्रसूताओं के भुगतान में ही दिक्कत आ रही है। वर्तमान में ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद से सभी प्रसूताओं को भुगतान नियमित किया जा रहा है। साथ ही पहले की प्रसूताओं का भुगतान अटका होने की वजह उनके कागजात पूरे नहीं होना है और वे डिस्चार्ज होकर घर चली गई हैं। पूर्व में भुगतान से वंचित प्रसूताओं की संख्या करीब साढ़े छह हजार थी जो अब तीन हजार से कम रह गई है। वंचित प्रसूताओं के नामों की सूची सीएमएचओ को भेज दी गई है।
डॉ. पीके बैरवाल, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल
हर बार कोई न कोई बहाना
पीबीएम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई प्रसूताओं को करीब एक साल से भुगतान नहीं मिला है। प्रसूताएं भुगतान के लिए कई चक्कर निकाल चुकी है। हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर टरका दिया जाता है। एक प्रसूता के परिजन सुनील ने बताया कि दो बार कागजात जमा करवा चुका हूं, लेकिन अभी तक भुगतान नहीं मिला है। कागजों में हर बार नई कमी निकाल देते हैं।
योजना का उद्देश्य
सरकार ने एक जून २०१६ से मुख्यमंत्री राजश्री योजना शुरू की। इसका उद्देश्य था कि बेटियों की जन्म दर बढ़े, अच्छी परवरिश मिले एवं बेटियां पढ़ लिखकर आगे बढ़े। इसलिए बेटियों की पढ़ाई व स्वास्थ्य की देखभाल के लिए अभिभावकों को ५० हजार रुपए आर्थिक सहायता के रूप में दिए जा रहे हैं।

ये है मुख्यमंत्री राजश्री योजना
सरकार ने बेटी के जन्म से कक्षा १२वीं तक अभिभावक को ५० हजार रुपए देने की योजना संचालित की जा रही है। योजना के तहत जन्म के समय २५०० और एक वर्ष की होने तक फिर २५०० रुपए दिए जाते हैं।
राजकीय विद्यालय में पहली कक्षा में प्रवेश लेने पर ४००० रुपए।
कक्षा छह में प्रवेश लेने पर ५००० रुपए।
कक्षा १० में प्रवेश लेने पर ११००० रुपए
कक्षा १२वीं उत्तीर्ण करने पर २५००० रुपए।
इसके अलावा लड़की होने पर प्रसव के १४०० और लड़का होने पर १००० रुपए दिए जाते हैं।
बीपीएल प्रसूताओं को नकदी रुपए के अलावा पांच किलो देशी घी भी उपलब्ध कराया जाता है।

केस एक
पूनम पत्नी महेश कुमार का करीब आठ माह पहले जनाना अस्पताल पीबीएम में प्रसव हुआ। उसने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज करते समय आधार कार्ड व बैंक पास की प्रतिलिपि भी जमा करवाई लेकिन भुगतान आज तक नहीं मिला है।

केस दो
प्रीति पत्नी विष्णु को करीब सवा साल पहले पीबीएम के जनाना हॉस्पिटल में डिलीवरी हुई। इसके बाद उसने डिस्चार्ज होते समय सारे दस्तावेज भी जमा करवाए लेकिन आज तक भुगतान नहीं मिला है।
प्रीति के परिजनों ने करीब तीन बार दस्तावेज जमा करवा दिए थे।

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