पशु चिकित्सकों ने रातभर उपचार कर करीब सवा सौ गायों को बचा लिया। चिकित्सकों ने मंगलवार सुबह गायों के शवों का पोस्टमार्टम कर उनके पेट में मिले पदार्थ के नमूने जांच के लिए भेजे है। प्रथम दृष्टया चिकित्सकों ने मौत का कारण सायनाइट के असर से होना माना है।
सोमवार रातभर दुलचासर पशु चिकित्सालय प्रभारी डॉ. वेदप्रकाश चौधरी व अन्य चिकित्सकों की टीम ने गोवंश का उपचार किया। बड़ी संख्या में गोप्रेमी, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता और ग्रामीण भी गायों की जान बचाने में जुटे रहे। इस गोशाला में 204 गायें थी।
इस दौरान पशुपालन विभाग उपनिदेशक मूलसिंह, पांच पशुचिकित्सक व सहायकों की मेडिकल टीम, तहसीलदार श्रीडूंगरगढ़ सुभाष चौधरी, नायब तहसीलदार, डीएसपी राजकुमार चौधरी, श्रीडूंगरगढ़ वृताधिकारी प्रवीण सुंडा, सेरूणा थानाधिकारी श्यामसुंदर, श्रीडूंगरगढ़ थानाधिकारी सत्यनारायण समेत अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
मृत गायों का पोस्टमार्टम
गोशाला में डॉ. वेदप्रकाश चौधरी, डॉ.़ त्रिभुवन सिंह, डॉ. राजेश चौधरी, डॉ. उत्तम भाटी, डॉ. गिरीश गोहिल, डॉ. दीनूखां, डॉ. लक्ष्मीनारायण, डॉ. पूनम पूरी, डॉ. आरती चावला, डॉ. भागीरथ विश्नोई, डॉ. जफर अहमद, डॉ. नंदकिशोरसिंह, डॉ. बीआर बायल, डॉ. मुकेश गहलोत व डॉ. हरिकरण बीट्ठू की टीम ने मृत गोवंश का पोस्टमार्टम किया।
पशु चिकित्सकों का तर्क गोवंश की मौत के वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही पता चलेंगे। उपचार के दौरान गायों में सायनाइड विषाक्तता के लक्षण दिखाई दिए है। पशुओं को हरी ज्वार का चारा डाला गया था। कच्ची ज्वार में सायनायड की मात्रा होती है। हरे चारे को एक दो दिन काम में नहीं लेने पर विषाक्तता बढ़ जाती है, जो पशुधन के लिए जानलेवा हो सकती है।
मूलसिंह, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग