यहां से शुरू हुआ गलती का सिलसिला
महिला को परिजन बुधवार रात करीब पौने ग्यारह बजे श्वांस में तकलीफ होने पर पीबीएम अस्पताल लेकर गए। यहां आपातकालीन वार्ड से भर्ती प्रक्रिया पूरी कर जे वार्ड में भेज दिया। वहां श्वांस की तकलीफ में आराम नहीं आने पर अस्पताल की प्रथम मंजिल पर स्वाइन फ्लू वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद भी थोड़ा सुधार होने पर अगले दिन वापस वार्ड में भेजा। तब दोपहर में तबीयत खराब हो गई। इस पर महिला को चिकित्सकों ने कोरोना डी वार्ड आईसीयू में लिया। यहां इलाज के दौरान शुक्रवार दोपहर बाद मौत हो गई।
चिकित्सकों ने मृतक महिला की स्वाइन फ्लू और अन्य सभी जांचें करा ली लेकिन कोरोना की जांच नहीं कराई। शुक्रवार को चिकित्सकों ने कोरोना वायरस की जांच के लिए सैम्पल भेजा। चिकित्सकीस सूत्रों के मुताबिक यहां के चिकित्सकों की सबसे बड़ी गलती रही कि महिला में कोरोना के लक्षण जैसे श्वांस में तकलीफ होने के बावजूद मरीज की जांच नहीं कराई। जांच कराई और रिपोर्ट आई तब तक महिला की मौत हो गई।
कोरोना पॉजीटिव महिला के संपर्क में आने वाले करीब ३५ नर्सिंग, पांच अटेंडेंट, ईसीजी टेक्नीशियन दो, स्वीपर पांच, टेक्नीशियन तीन को क्वारेंटाइन किया गया। इसके अलावा १२ कार्मिक पहले से क्वारेंटाइन हैं। करीब ५० कार्मिकों को होम आइसोलेट किया गया है। कार्मिकों को वीरादंवी धर्मशाला में क्वारेंटाइन किया गया है। यहां दो रेजिडेंट भी रह रहे थे जो मृतक महिला के सीधे संपर्क में आए थे। बाद में इन दोनों रेजिडेंट चिकित्सकों को शहर के एक निजी होटल के कमरे में ठहराया गया है।
शुक्रवार को पीबीएम अस्पताल में कोरोना पीडि़त महिला की मौत के बाद शनिवार को अस्पताल के कार्मिकों ने महिला के संपर्क में आने वाले कार्मिकों को होमआइसोलेशन की गुहार लगाई। सुबह नर्सिंग सहित अन्य कार्मिक पीबीएम अधीक्षक कार्यालय के आगे एकत्रित हो गए। उन्होंने एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को ज्ञापन देकर महिला के संपर्क में आए २४ कार्मिकों को होम आइसोलेशन में रखने की गुहार लगाई।