उन्होंने उन व्यावहारिक कठिनाइयों को भी बताया, जिनके कारण प्रदेश में अंतिम वर्ष सेमेस्टर की परीक्षाएं करवाने में बाधा आएंगी। भाटी ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को पत्र लिखकर कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल प्रदेश में अभी तक यातायात सेवाओं का संचालन सामान्य नहीं हुआ है।
प्रदेश की भौगोलिक दशाओं के कारण अधिकांश विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश से नगरीय, शहरी केन्द्रों पर अध्ययन कर रहे हैं। हजारों विद्यार्थी लॉकडाउन के चलते अपने-अपने गांव तक जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्र एवं राज्य सरकार की कोविड-19 स्वास्थ्य गाइडलाइन के तहत सभी संस्थाओं के छात्रावास, पीजी बन्द पड़े हैं। निजी छात्रावास एवं मकान मालिक महामारी के डर से बाहर से आने वाले विद्यार्थियों को किराये पर मकान भी नहीं दे रहे हैं।
इन राज्यों का दिया हवाला
उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने देश के अन्य राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों जैसे पंजाब, हरियणा, उड़ीसा, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल सहित आईआईटी मुंबई, खडग़पुर, कानपुर एवं रूड़की आदि के भी अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा को निरस्त करने का फैसला लिए जाने का हवाला दिया।
परीक्षाएं नहीं करवाने का निर्णय
भाटी ने बताया कि राज्य सरकार ने 4 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में आयोजित उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में विचार-विमर्श एवं परामर्श कर विश्वविद्यालयों की सभी परीक्षाओं को नहीं करवाने का निर्णय लिया था। ऐसे परिस्थिति में राज्य में किसी भी परीक्षा का आयोजन करवाया जाना संभव नहीं है।