नाटक का मुख्य पात्र मदन एक डाक्टर के दूसरे डाक्टर से बात करते सुनकर यह मान बैठता है कि उसको दिल की गंभीर बीमारी है और वह चंद दिनों का मेहमान है। उसके बाद मरने वाला है। बस यहीं से शुरू होती है कहानी। इसमें कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। पत्नी उस पर शक करती है, वो सफाई भी देता है, लेकिन नहीं मानती तो असल बात बताता है।
नाटक में अमन गुप्ता, प्रीता माथुर ठाकुर सहित अतुल माथुर, शंकर अय्यर, गुंजन सिन्हा, मोहित शर्मा सुमित भारद्वाज, दर्शन पंवार आदि कलाकारों ने भूमिका निभाई। आयोजन को लेकर उत्तम सिंह, सुरेश खत्री, किशन रंगा, अमित गोस्वामी, रवि शुक्ला, सुधेश व्यास आदि भागीदारी निभा रहे हैं।
जुनून ही रंगमंच रंग अभिनेता अमन गुप्ता ने कहा कि रंगमंच करने के लिए जरूरी है कि जुनून हो। वो ही लंबे समय तक इस पर टिकता है। रेलवे प्रेक्षागृह में पत्रिका से बातचीत में गुप्ता ने कहा कि रंगमंच के लिए सरकार से अनुदान मिलता है, लेकिन वो काफी नहीं है। हालांकि यह भी सही है कि सरकार की सीमाएं होती है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी नाटकों से जुड़ तो रही है, लेकिन उनके लिए रंगमंच फिल्म लाइन में जाने की एक सीढ़ी है। यही वजह है कि चंद नाटकों के मंचन के बाद ही वो निकल लेते हैं। गुप्ता ने कहा कि रंगमंच कभी नहीं मरेगा।