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बीकानेर

1178 प्रकरणों का निस्तारण, 7.25 करोड़ राशि का अवार्ड पारित

राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, प्रि-लिटीगेशन के 302 प्रकरण निस्तारित
 

बीकानेरJul 11, 2021 / 06:40 pm

Vimal

1178 प्रकरणों का निस्तारण, 7.25 करोड़ राशि का अवार्ड पारित

1178 प्रकरणों का निस्तारण, 7.25 करोड़ राशि का अवार्ड पारित

बीकानेर. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बीकानेर की आेर से शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला मुख्यालय बीकानेर एवं प्रत्येक ताल्लुका नोखा, श्रीडूंगरगढ़, कोलायत, लूणकरनसर, खाजूवाला मुख्यालय पर सभी प्रकृति के विवादों के निस्तारण व प्रि लिटीगेशन और लम्बित प्रकरणों को समाहित करते हुए विभिन्न तरह के मामलों, दावों आदि का अधिकाधिक रूप से निस्तारण लोक अदालत के माध्यम से किया गया।

 

जिला एवं सेशन न्यायाधीश मदन लाल भाटी के अनुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों में से कुल 3449 प्रकरण लोक अदालत में रखे गए। जिनमें 1178 प्रकरणों का लोक अदालत की भावना से निस्तारण हुआ तथा 72534999 राशि का अवार्ड पारित किया गया। इसके अलावा प्रि-लिटीगेशन के 7261 प्रकरण रखे गए, जिनमें से 302 प्रकरणों का निस्तारण लोक अदालत की भावना से निस्तारण होकर उनमें से 18763553 राशि का अवार्ड पारित किया गया।

 

इन प्रकरणों का हुआ निस्तारण

राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी प्रकृति के विवादों के निस्तारण व प्रि-लिटिगेशन और लम्बित प्रकरणों को समाहित करते हुए शमनीय दाण्डिक अपराध, अंतर्गत धारा 138, परक्राम्य विलेख अधिनियम, बैक रिकवरी मामले, एमएसीटी मामले, पारिवारिक विवाद, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले, बिजली व पानी के बिल (चोरी के अलावा), मजदूरी, भत्ते और पेंशन भत्तों से संबंधित सेवा मामले, राजस्व मामले, अन्य सिविल मामले किराया, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा दावे एवं विनिर्दिष्ट पालना दावे) आदि का निस्तारण लोक अदालत के माध्यम से किया गया।

 

विवाद निस्तारण का महत्वपूर्ण माध्यम लोक अदालत

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव एवं अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश बीकानेर मनोज कुमार गोयल के अनुसार वर्तमान समय में वैकल्पिक विवाद निस्तारण का एक महत्वपूर्ण माध्यम लोक अदालत है। लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारों को बिना किसी खर्चे के त्वरित न्याय मिलता है एवम् उसकी अपील भी नहीं होती है। उन्होंने बताया कि लोक अदालत के दौरान कोविड -19 को ध्यान में रखते हुए पूर्ण सावधानी रखी गई। आगन्तुकों के लिए हैण्ड सैनेटाईजर, मास्क की पर्याप्त व्यवस्था की गई। सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए विवादों का निस्तारण किया गया।

 

 

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समझाईस, हुआ राजीनामा

राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान एक मामले में घर बैठे पक्षकारान का वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राजीनामा हुआ। लोक अदालत के अवसर पर संदीप मेहता न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर पीठ की ओर से भंवरी देवी बनाम गोपाल सिंह प्रकरण में दोनों पक्षकारान के मध्य समझाईस करवाकर राजीनामा करवाया। इस राजीनामें में भंवरी देवी व गोपाल सिंह दोनों बीकानेर निवासी है।

दोनो पक्षकार जिला एवं सेशन न्यायाधीश मदन लाल भाटी बीकानेर के वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष में उपस्थित रहे। न्यायाधिपति ने जोधपुर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर समझाईस की गई व दोनों पक्षों में राजीनामा करवाया। न्यायाधीश मनोज कुमार गोयल के अनुसार इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायाधिपति यूयू ललित भी वीसी के माध्यम से जुड़े और घर बैठे इस प्रकार करवाए गए राजीनामें के प्रयास की सराहना की।

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