प्रदेश में उदयपुर के बाद बीकानेर में एनसीएसएम की ओर से दूसरा साइंस सेंटर तैयार कराया जा रहा है। आधुनिक उपकरणों और इनोवेशन के लिहाज से यह साइंस सेंटर प्रदेश में अब तक बने साइंस सेंटर में सबसे एडवांस तकनीक का होगा।
इसकी बायोटेक्नोलॉजी लेब का उपयोग विज्ञान के विद्यार्थी कर सकेंगे। आधुनिक इनोवशन हब में साइंस प्रोजेक्ट्स का डेमोस्ट्रेशन होगा। एनसीएमएस के ऐसे देशभर में 22 सेंटर अभी संचालित हैं।
साइंस सेंटर के निर्माण का कार्य नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम कोलकाता को सौंपा हुआ है। सेंटर तैयार होने के बाद राजस्थान सरकार के विभाग डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) को सौंप दिया जाएगा।
राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद की ओर से देश में विज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा देने की योजना (एसपीओसीएस) शुरू कर रखी है। इसके तहत साल 2021 में केन्द्र सरकार ने बीकानेर व अजमेर (राजस्थान), कन्याकुमारी (तमिलनाडु) व जबलपुर (मध्यप्रदेश) में विज्ञान केन्द्र स्वीकृत किए थे। इससे पहले प्रदेश में उदयपुर में उप क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र संचालित है।
साइंस लाइब्रेरी और इनोवेशन हब
साइंस सेंटर में मुख्य रूप से थीम बेस पार्क, तारामंडल (प्लेनेटोरियम), आउट डोर साइंस पार्क, फन साइंस पार्क, विकसित अनुसंधान केंद्र प्रदर्शनी (एग्जिबिट डवलपमेंट लेबोरेट्री), साइंस लाइब्रेरी, कॉन्फ्रेंस रूम कम ऑडिटोरियम बन रहे हैं। सेंटर में भौतिकी (फिजिक्स) एवं गणित से जुड़े विभिन्न साइंस मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे।
न्यास ने उपलब्ध कराई भूमि
साइंस पार्क के लिए करीब बीस हजार वर्ग मीटर भूमि नगर विकास न्यास ने राज्य सरकार की ओर से निशुल्क उपलब्ध करवाई है। निर्माण पर आने वाली 15 करोड़ रुपए की लागत में केंद्र एवं राज्य सरकार का अंशदान है। अभी भवन का ढांचा खड़ा हो रहा है। करीब एक साल में यह सेंटर बनकर पूरी तरह तैयार होने की उम्मीद है।
जल्द पूरा होगा काम
साइंस सेंटर से विज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। विज्ञान के विद्यार्थियों के साथ आमजन को भी विज्ञान से जुड़ी जानकारी, इनोवेशन आदि जानने, समझने और देखने का मौका मिलेगा। साइंस लाइब्रेरी और कॉन्फ्रेंस हॉल भी बहुउपयोगी साबित होंगे। अब इसका निर्माण कार्य पूरा होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
– अर्जुनराम मेघवाल, केन्द्रीय मंत्री