महंगी और गंभीर बीमारियों की दवा तो नि:शुल्क दवा केन्द्रों पर पहले से गायब थी। अब हालात और खराब हैं। सामान्य रोग की दवाइयां भी वितरण केन्द्रों पर नहीं मिल रही। फार्मासिस्ट पर्ची पर लिखी अधिकतर दवाइयों के सामने अनुपलब्ध की सील लगाकर पर्ची वापस लौटा देते हैं। जागरूक मरीज पुन: चिकित्सकों के पास पहुंचकर दवा नहीं मिलने की जानकारी देता है, लेकिन चिकित्सक भी असमर्थता जताते हुए दूसरी दवा लिख देते हैं। हालत यह है कि दोबारा लिखी दवा भी केन्द्रों पर नहीं मिलती, तो मरीज हारकर निजी मेडिकल स्टोर पर चला जाता है।
लिख रहे पांच, मिल रही दो
पीबीएम अस्पताल में चिकित्सक की लिखी औसत पांच में से दो ही दवा नि:शुल्क मिलती है। कुछ पर्ची पर तो शतप्रतिशत दवा नहीं मिलती। कस्बों और उपखण्ड मुख्यालयों के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तो हालात ज्यादा खराब हैं। वहां तो जुकाम-खांसी, बुखार को छोड़कर शेष दवा मिलती ही नहीं।
पीबीएम अस्पताल में चिकित्सक की लिखी औसत पांच में से दो ही दवा नि:शुल्क मिलती है। कुछ पर्ची पर तो शतप्रतिशत दवा नहीं मिलती। कस्बों और उपखण्ड मुख्यालयों के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तो हालात ज्यादा खराब हैं। वहां तो जुकाम-खांसी, बुखार को छोड़कर शेष दवा मिलती ही नहीं।
नहीं लगे सूचक बोर्ड
पीबीएम अस्पताल के आंख, नाक व कान और चर्म व रति रोग विभाग के पास नि:शुल्क दवा केन्द्र पर दवाओं के लिए चार बाहर परिसर में एवं एक अंदर दवा केन्द्र हैं। बाहर वाले दवा केन्द्र में से एक अवकाश के चलते बंद रहता है, जबकि तीन रोजाना खुलते हैं। तीनों ही स्थानों पर लंबी कतारें लगी रहती हैं।
पीबीएम अस्पताल के आंख, नाक व कान और चर्म व रति रोग विभाग के पास नि:शुल्क दवा केन्द्र पर दवाओं के लिए चार बाहर परिसर में एवं एक अंदर दवा केन्द्र हैं। बाहर वाले दवा केन्द्र में से एक अवकाश के चलते बंद रहता है, जबकि तीन रोजाना खुलते हैं। तीनों ही स्थानों पर लंबी कतारें लगी रहती हैं।
इन केन्द्रों पर यह नहीं लिखा हुआ कि कौनसे रोग की दवा किस खिड़की पर मिलेगी, ना ही कोई सूचना बोर्ड है। एेसे में कान व नाक के रोगी नेत्र रोगी की कतार में और चर्म रोग वाले किसी अन्य कतार में खड़े होकर बारी का इन्तजार करते हैं। जब बारी आती है तो फार्मासिस्ट दूसरी लाइन में लगने के लिए भेज देता है।
हम क्या करें
चिकित्सक भी स्वीकार कर रहे हैं कि दवा उपलब्ध नहीं हो रही। अगर दवा न मिले तो मरीज की मर्जी है कि वह बाहर से खरीदे। चिकित्सक नि:शुल्क दवा केन्द्र की दवा लिख रहे हैं और नही मिलने पर यह भी कहने से नहीं चूक रहे कि हम क्या करें।
चिकित्सक भी स्वीकार कर रहे हैं कि दवा उपलब्ध नहीं हो रही। अगर दवा न मिले तो मरीज की मर्जी है कि वह बाहर से खरीदे। चिकित्सक नि:शुल्क दवा केन्द्र की दवा लिख रहे हैं और नही मिलने पर यह भी कहने से नहीं चूक रहे कि हम क्या करें।
इन दवाओं की कमी
कैप्सूल पेंटाप्राजोज +डोपपेरीडॉन (भूखे पेट), मल्टीविटामिन (ताकत), सीरप लैक्टुलोस (कब्ज की दवा), क्लोरडाईजेपोराइड (नींद न आना व चिड़चिड़ापन), टेबलेट ऐमिट्रिप्टिलाइन, कैल्शियम +विटामिन डी-३, डाई एक्जोल, आई ऑक्जोल (कॉन्ट्रास्ट) इंजेक्शन, सिट्राजीन, आईब्यूप्रोफेन।
कैप्सूल पेंटाप्राजोज +डोपपेरीडॉन (भूखे पेट), मल्टीविटामिन (ताकत), सीरप लैक्टुलोस (कब्ज की दवा), क्लोरडाईजेपोराइड (नींद न आना व चिड़चिड़ापन), टेबलेट ऐमिट्रिप्टिलाइन, कैल्शियम +विटामिन डी-३, डाई एक्जोल, आई ऑक्जोल (कॉन्ट्रास्ट) इंजेक्शन, सिट्राजीन, आईब्यूप्रोफेन।
पीबीएम एक नजर में
ओपीडी 6000-6500
भर्ती 200-250
डीडीसी 27
एमएनडीवाई में दवा 821
पीबीएम में उपलब्ध 477
सर्जीकल आइटम 50
सूचर 16
दवाइयां कम 45
टेस्टिंग में दवाइयां 115 दूसरी दवा दे रहे
45 दवाइयां शॉर्ट चल रही हैं। आई एक्जोल की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुछ दवाइयां कम हैं, लेकिन
उनकी जगह समतुल्य दूसरी दवा दी जा रही है।
डॉ. गौरीशंकर जोशी, प्रभारी, ड्रग वेयर हाउस एसपी मेडिकल कॉलेज
ओपीडी 6000-6500
भर्ती 200-250
डीडीसी 27
एमएनडीवाई में दवा 821
पीबीएम में उपलब्ध 477
सर्जीकल आइटम 50
सूचर 16
दवाइयां कम 45
टेस्टिंग में दवाइयां 115 दूसरी दवा दे रहे
45 दवाइयां शॉर्ट चल रही हैं। आई एक्जोल की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुछ दवाइयां कम हैं, लेकिन
उनकी जगह समतुल्य दूसरी दवा दी जा रही है।
डॉ. गौरीशंकर जोशी, प्रभारी, ड्रग वेयर हाउस एसपी मेडिकल कॉलेज