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बीकानेर

… ऐसे तो मौतों को आंकड़ा नहीं होगा कम

bikaner news: राजमार्ग पर अस्पतालों के हालात खराब, गंभीर घायलों के इलाज की नहीं सुविधा

बीकानेरNov 20, 2019 / 12:51 am

Hari

ऐसे तो मौतों को आंकड़ा नहीं होगा कम

ऐसे तो मौतों को आंकड़ा नहीं होगा कम

बीकानेर. श्रीडूंगरगढ़. जिले के राजमार्ग स्थित ११ पर आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है, जिनमें लोगों की जान जा रही है। सरकार सड़क हादसों में कमी लाने और मौतों पर अंकुश लगाने के भरसक प्रयास कर रही है लेकिन परिणाम आशानुरूप नहीं आ रहे है।
इसकी सबसे बड़ी वजह है कि राजमार्ग के पास बसे गांवों व तहसील मुख्यालयों पर अस्पतालों में चिकित्सकों व साधन-संसाधानों का अभाव है। ऐसे में घायलों को समय पर इलाज नहीं मिल पाने से से अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं। इस तरह के हालात पिछले दो दशक से बने हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक कीतासर से सेरूणा गांव के बीच करीब 60 किलोमीटर की दूरी में सड़क दुर्घटनाओं की तादाद बढ़ रही, लेकिन इस पर नियंत्रण के कोई कारगर उपाय नहीं हो रहे है। यहीं वजह है कि किसी भी दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति को बचा पाना मुश्किल होता जा रहा है।
जब कहीं भीषण दुर्घटना घटित हो जाती है तो उपखण्ड मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में घायलों को लाया जाता है, परन्तु यहां चिकित्सकों एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण बीकानेर रेफर करना मजबूरी हो जाता है।

यहां है स्वास्थ्य केन्द्र
सैरूणा व कीतासर गांव के बीच साठ किलोमीटर की दूरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा कई प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बने हुए हंै। उच्च मार्ग पर बिग्गा गांव में आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बना हुआ है, परन्तु सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है।
यहां कार्यरत स्टाफ को अन्यत्र भेज देने से सुविधाओं का मोहताज हो गया है। इसी प्रकार उपखण्ड मुख्यालय पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बना हुआ है। यहां चिकित्सकों के दर्जनभर पद रिक्त पड़े हैं। फीजिशियन एवं महिला चिकित्सकों का पद अर्से से खाली है।
तीन-चार डॉक्टरों के भरोसे ही पूरा अस्पताल चल रहा है। लखासर में भी प्राथमिक केन्द्र है तो सैरुणा में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बना हुआ है। मगर दु:खद स्थिति तब हो जाती है जब बड़ी दुर्घनाएं घटित हो जाती है और मौके पर चिकित्सक ही न मिले। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ऐसी स्थिति देखने को मिलती है।

सौ किलोमीटर का सफर मजबूरी
कीतासर एवं बिग्गा गांव के आस पास वाहन दुर्घटनाएं हो जाती है तो पहले बीस से तीस किलोमीटर श्रीडूंगरगढ़ लाया जाता है। जब घायलों की स्थिति चिन्ताजनक होती है तो उनको 70 किलोमीटर दूर फिर से बीकानेर के लिए रेफर किया जाता है।

इतनी दूरी तय करना कुछ घाायलों के लिए मुश्किल हो जाता है और वे बीच रास्ते मेें ही दम तोड़ देते है। इन सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक केन्द्रों पर यदि डॉक्टरों के साथ साथ नर्सिंग स्टाफ के अलावा अन्य मूलभूत सुविधाएं हो तो दुर्घटना के तुरन्त बाद इन अस्पतालों में इलाज सम्भव हो सकता और गम्भीर घायलों की जिन्दगी बच सकती है।
ट्रकों की टक्कर में एक चालक घायल

नोखा. राष्ट्रीय राजमार्ग 89 पर मंगलवार रात भामटसर गांव के पास एक ट्रक और मिनी ट्रक में टक्कर हो गई। इस हादसे में गाड़ी में सवार चालक गाड़ी के अंदर फंस गया। सड़क से गुजर रहे लोगों ने मौके से क्षतिग्रस्त मिनी ट्रक के चालक को काफी मशक्कत के बाद बाहर निकाला।
हादसे में घायल चालक रोड़ा गांव निवासी ओमप्रकाश बिशनोई को उपचार के लिए नोखा के मांगीलाल बागड़ी अस्पताल लाया गया। जहां उसका प्राथमिक उपचार किया गया। सड़क हादसे की जानकारी मिलने पर नोखा पुलिस घटनास्थल रवाना हुई है।

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