अपने घरों के लिए निकले प्रवासियों के साथ दो-पांच साल के बच्चे भी थे। कुछ बच्च पैदल चल रहे तो कुछ परिजनों की गोद में बैठे थे। प्रवासियों के पैदल निकलने की खबर सुनने के बाद एकबारगी प्रशासन के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। लोगों ने इनकी सूचना केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को भी कर दी थी।
जयपुर रोड पर पैदल जा रहे प्रवासियों ने बताया कि वे करीब दो माह पहले यहां मजदूरी के लिए आए थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद काम-धंधा बंद हो गया। उन्होंने बताया कि कुछ दिन तो ठेकेदार ने उन्हें खाना खिलाया, लेकिन उसके बाद उसने भी खिलाने-पिलाने से पल्ला झाड़ लिया। मध्यप्रदेश के एक व्यक्ति ने कहा, ‘साहब भूखे मरते आखिर क्या करते। इसलिए पैदल ही निकल पड़े।Ó उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के लिए पैदल निकले इन प्रवासियों के साथ दस बच्चे तो 5 साल से कम उम्र के थे। वहीं 15-20 महिलाएं थी।
मूक-बधिर स्कूल में ठहराया जिला प्रशासन ने प्रवासियों को बीछवाल स्थित मूक-बधिक स्कूल में ठहराया है। इससे पहले जयपुर बाइपास पर इन्हें लेने के लिए व्यास कॉलोनी थाना पुलिस और डॉ. देवेन्द्र बिश्नोई गए थे। हैरानी की बात यह थी कि उदासर मिलिट्री एरिया से जयपुर बाइपास पहुंचने तक इनकी भनक किसी प्रशासनिक अधिकारी को नहीं लगी। जयपुर रोड से निकल रहे भाजपा रानी बाजार मण्डल अध्यक्ष नृसिंह सेवग और बजरंग मोदी ने इन प्रवासियों से पूछा तो मामले का खुलासा हुआ।
राशन-पानी साथ सेवग ने बताया कि प्रवासियों से पैदल नहीं चलने के लिए समझाइश की थी, लेकिन वे नहीं मानें। इसके बाद जिला प्रशासन और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों को सूचना दी गई। उल्लेखनीय है कि बीकानेर से मध्यप्रदेश की दूरी करीब १२ सौ तथा उत्तर प्रदेश की दूरी करीब ९५० किलोमीटर है। इसके बावजूद प्रवासी अपने सिर पर राशन-पानी और हाथ में बच्चों को लेकर पैदल ही निकल गए थे।
पत्रिका व्यू पैदल नहीं जाएं, रजिस्ट्रेशन करवाएं प्रवासियों की घर वापसी को लेकर लगातार केन्द्र और राज्य सरकारें प्रयास कर रही हैं। शनिवार को ही मुम्बई और सिकंदराबाद से एक-एक ट्रेन बीकानेर आई है। इसी प्रकार यहां से सैकड़ों प्रवासियों को पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के लिए बसों से जाने की इजाजत प्रशासन दे चुका है। प्रवासियों को चाहिए कि वे पैदल चलने का जोखिम नहीं उठाएं। वे ई-मित्र केन्द्र पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाएं, ताकि प्रशासन उनके जाने की व्यवस्था कर सके।