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11वीं के छात्र का बड़ा कमाल, अब हाइड्रोजन से चलेगी बाइक खर्च मात्र 2500 रूपए

locationनई दिल्लीPublished: Nov 23, 2019 11:08:22 am

Submitted by:

Pragati Bajpai

एनडीआरएफ ने इस अनुसंधान को आगे बढ़ाने की बात कही है अब देखने वाली बात होगी कि इसका व्यापक पैमाने पर कब इस्तेमाल किया जा सकेगा।

hydrogen kit

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नई दिल्ली: वेल्लोर जिले के पेनाथुर गांव में रहने वाले एक छात्र ने एक ऐसी किट बनाई है, जिसकी मदद से दोपहिया वाहन को हाइड्रोजन से चलाया जा सकता है। डी देवेंद्रिरन नाम का ये बच्चा 11वीं का छात्र है और अपने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता है। इस बच्चे ने अपने पिता की बाइक को इस किट से चलाने में सफलता हासिल की है। अभी इस ईंधन से वाहन को 25 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है, लेकिन भविष्य में इस दिशा में काम करके इसकी ढमता को बढ़ाया जा सकता है।

साइंस प्रोजेक्ट के लिए बनाई थी किट-

डी देवेंद्रिरन ने कुछ दिन पहले वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आयोजित राज्य स्तरीय विज्ञान महोत्सव में अपना ये प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया था।

2500 रुपए के खर्च में चलेगी बाइक- 2 स्ट्रोक बाइक चलाने के लिए किट को बनाने में फिलहाल 2500 रुपए खर्च आता है लेकिन अगर आप 4 स्ट्रोक बाइक चलाना चाहते हैं तो महज 500 रुपए एक्सट्रा खर्च करके किट को तैयार किया जा सकता है।

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इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया से अलग किया हाइड्रोजन-
अपनी किट के बारे में बात करते हुए देवेंद्रिरन ने बताया कि इसके लिए एक लीटर पानी में तीन चम्मच नमक मिलाया जाता है। इस पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करने के लिए उसे जस्ता (जिंक) और एल्यूमीनियम की प्लेटों के साथ रखा जाता है।

इससे इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया से पानी ईंधन टैंक में रहता है और हाइड्रोजन ऊपर एकत्र होती जाती है। एकत्र हुई हाइड्रोजन को ट्यूब के माध्यम से कार्बोरेटर में स्थानांतरित किया जाता है, जो इंजन को किकस्टार्ट करने में मदद करती है।

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देवेंद्रिरन के स्कूल के हेडमास्टर आई. उमादेवन ने कहा कि इस किट में कुछ जरूरी सुधार करने के बाद इसे नेशनल डिजाइन एंड रिसर्च फोरम के विशेषज्ञों के सामने रखा जाएगा।

वीआईटी के चांसलर जी. विश्वनाथन ने कहा है कि इस तरह के आविष्कार हमें पेट्रोल का बेहतर विकल्प तलाशने के लिए आश्वस्त करते हैं और इससे समाज को काफी लाभ पहुंचेगा। एनडीआरएफ ने इस अनुसंधान को आगे बढ़ाने की बात कही है अब देखने वाली बात होगी कि इसका व्यापक पैमाने पर कब इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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