नगर निगम ने कर दिया श्रद्धांजलि योजना का अंतिम संस्कार
गरीबों को अंतिम संस्कार तक के लिए नहीं मिल पा रही मदद, श्रद्धांजलि योजना
को निगम ने कर दिया फेल, महज 2 हजार रुपए के लिए निर्धनों को लगवा रहे कई
चक्कर, तत्काल देनी है राशि, ताकि गरीबों को अंत्येष्ठि के लिए भीख न
मांगनी पड़े
बिलासपुर. ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास घर में किसी का देहांत होने पर उनके अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं होते। माली हालत इतनी दयनीय होती है कि उन्हें लोगों के सामने हाथ फैलाकर चंदा करना पड़ता है। इस परेशानी और जिल्लत से बचाने के लिए राज्य सरकार ने श्रद्धांजलि योजना शुरू की।
इसके तहत गरीबों को अंतिम संस्कार करने के लिए तत्काल 2 हजार रुपए देने का प्रावधान है। लेकिन निगम प्रशासन का रवैया ये कि वह चंद पैसों के लिए गरीबों को भटका रहा है। ऐसे 64 लोग हैं, जिन्हें निगम ने समय पर सरकारी मदद नहीं दी।
उन्हें चंदा या उधार के पैसे से अंत्येष्ठि करनी पड़ी। यूं तो कागजों में कई योजनाएं बनती हैं, लेकिन उसे धरातल तक उतरने में वर्षों लग जाते हैं। एक तरफ शासन-प्रशासन के लोग योजना का बखान करते नहीं थकते। तो दूसरी तरफ उसके हितग्राही धक्के खाते रहते हैं। उन्हें योजना का लाभ नहीं मिलता, बल्कि हर दफ्तर और हर टेबिल पर टालमटोल का रवैया और दुत्कार मिलती है।
मानो जिम्मेदार लोगों की संवेदना तक मर चुकी है। अधिकारी-कर्मचारियों को खुद के जेब से पैसे नहीं देने, रकम राज्य शासन के खाते से जाएगी। लेकिन इसके लिए भी इतने चक्कर लगवाए जाते हैं लोग दफ्तर आना ही बंद कर दें। कमोबेश हर सरकारी विभाग में यही हाल है। हमारी नगर सरकार (नगर निगम प्रशासन) तो इसमें किसी से पीछे नहीं।
हद ये कि सरकारी योजना (श्रद्धांजलि) के तहत अंतिम संस्कार के लिए पैसे देने तक में कोताही की जा रही है। गरीबों को ये पैसे तत्काल दिए जाने हैं, लेकिन एक भी मामले में नगर निगम ने तत्काल मदद नहीं दी। बल्कि गरीबों से आवेदन लेकर तरह-तरह की बहानेबाजी करके उन्हें महीनों से चक्कर लगवाए जा रहे हैं। नगर निगम में इस समय ऐसे 64 आवेदन लंबित हैं, जिनमें भुगतान नहीं किया गया। महज 2 हजार रुपए के लिए तारीख पर तारीख दी जा रही है। जिन गरीबों ने किसी तरह उधारी बाड़ी करके अपने परिजन का अंतिम संस्कार कर दिया, अब वे दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
निगम के सामाजिक पेंशन शाखा से योजना का संचालन: श्रद्धांजलि योजना का संचालक नगर निगम के सामाजिक पेंशन शाखा से किया जा रहा है। इसके तहत 50 से 80 हजार रुपए तक शाखा को एडवांस देने का नियम है। लेकिन नगर निगम के एकाउंट शाखा ने पेंशन शाखा को पैसे नहीं दिए। इधर पेंशन शाखा गरीबों को तारीख पर तारीख दे रही है। अब तो एकाउंट विभाग ने जीएसटी नंबर का नया बहाना भी ढूंढ लिया है। जबकि इससे पहले भी यही हाल था।
जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों में भी संवेदना नहीं: नगर निगम की सामान्य सभा में कई मुद्दों को लेकर हंगामा होता है। लेकिन इस संवेदनशील और मानवता के मुद्दे को लेकर बात नहीं होती। पक्ष-विपक्ष के नेता अपनी-अपनी राजनीति जरूर चमकाते हैं, लेकिन दीन-हीन गरीबों के प्रति संवेदना कहीं नजर नहीं आती। सत्ता पक्ष के लोग तो ऐसे मुद्दों पर बात तक नहीं करते। जबकि यह योजना उन्हीं की सरकार ने लागू की है, लेकिन वे इसे दफन करने में लगे हैं।
जीएसटी नंबर नहीं मिलने के कारण भुगतान अटक गया है। जीएसटी नंबर मिलते ही फंड जारी कर दिया जाएगा।
अविनाश बापते, एकाउंट अफसर, निगम
श्रद्धांजलि योजना के तहत 64 आवेदन लंबित हैं। एकाउंट शाखा से चेक नहीं कटने के कारण लोगों को भटकना पड़ रहा है।
बंशी साहू, चेयरमेन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन