हिर्री माइंस में शॉवेल नंबर 14 पिछले 6 महीने से खराब है। शावेल 12 का मरम्मत कार्य 8 महीने से नहीं किया गया है। वहीं शॉवेल नंबर 6 भी 2 महीने से ब्रेकडाउन की स्थिति में है। इसके बावजूद बीएसपी प्रबंधन इन शॉवेलों से पत्थर हटाने जैसा जटिल काम करा रहा है, जबकि इनका उपयोग मिट्टी हटाने के काम में किया जाता है। शॉवेल नंबर 12 की स्थिति तो इतनी खराब है कि ऑपरेटर केबिन में ऑयल का लिकेज लगातार हो रहा है। वहीं 6 नंबर शॉवेल का कै नोपी नहीं है। ऑपरेटर के बैठने की सीट के साथ वाल्ब लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका है। शॉवेल का रिपेयर नहीं होने से उत्पादन कार्य तो प्रभावित हो ही रहा है, ऑपरेटरों की जान भी जा सकती है।
सीटू के सहसंयोजक पार्थसारथी दास ने कहा है कि भेल 30 लाख का खर्च बता शॉवेल रिपेयर नहीं करा रहा है। इस संबंध में बीएसपी प्रबंधन को कई बार जानकारी दी गई, पर कुछ नहीं किया गया। माइंस की हालत इतनी खराब है कि मिट्टी हटाने वाले मशीनों से पत्थर तोडऩे का काम लिया जा रहा है। मैनपावर की भी भारी कमी है। साप्ताहिक अवकाश के दिनों में भी कर्मचारियों को काम पर बुलाया जाता है।
बीएसपी प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा भुगतने के लिए अब कर्मचारी तैयार नहीं हैं। अगर 6 सिंतबर को लेबर कमिश्नर इस मामले का कोई सकारात्मक समाधान निकलाते हैं, तो ठीक। अन्यथा, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।
महेशधर शर्मा, संयोजक, हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन, हिर्री