सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है। उसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करता है। शिक्षिका रेखा गुल्ला 32 वर्षों से एक शिक्षक के तौर पर सेवा दे रही हैं। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थिति के बाद भी अपनी काबिलियत के दम पर एक मुकाम हासिल किया है। अपना मुकाम हासिल करने में भाई जगदीश बुखारिया, पति मदनमोहन गुल्ला ने सहयोग किया। उनका कहना है कि शिक्षा का महत्व मैंने समझा है, और मैं खुद की तरह दूसरों को प्रेरित कर सही मार्गदर्शन देकर एक नई दिशा देना चाहती हूं। इसलिए जब भी अवसर मिलता है, स्वेच्छा से जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाकर उन्हें काबिल बनाने का प्रयास करती हूं।
बच्चे मानते हैं मां की तरह : शहर में तेजस्विनी छात्रावास में जरूरतमंद बच्चियां रहती हैं। साथ ही कुछ ऐसे भी बच्चे हैं, जिनके माता-पिता नहीं हैं। वहां पर संचालिका सुलभा देशपांडे के सहयोग से रेखा गुल्ला बच्चियों को पढ़ाती हैं। वहां की बच्चियां उन्हें मां के समान मानती हैं और उनसे ज्ञान अर्जित करती हैं। इसी तरह उनकी छात्राएं पुलिस, ट्रेजरी ऑफिसर, खिलाड़ी, शिक्षिका अलग-अलग पोस्ट पर कार्यरत हैं।
हॉकी खिलाड़ी रहीं रेखा गुल्ला : रेखा गुल्ला शिक्षिका से पहले हॉकी नेशनल प्लेयर रही हैं। उन्होंने अपने खेल से जूनियर, सीनियर वर्ग से लेकर विश्वविद्यालयीन स्तर की राष्ट्रीय स्पर्धाआों में अपनी प्रतिभा दिखाई। उन्होंने त्रिवेन्द्रम में 1978, जूनियर नेशनल इंदौर में 1980, पेप्सू 1918, अहमदाबाद 1981, हैदराबाद व ग्वालियर में 1982 में अपना खेल कौशल दिखाया है। इसके अलावा उन्होंने नि:शुल्क हॉकी ट्रेनिंग का कार्य भी छात्राओं के लिए वर्षों पहले शुरू किया था।